छत्तीसगढ़

ऐसा क्यों हुआ कि हमारे मुखिया के कानों तक इनकी आवाज़ें नहीं पहुंच पाईं? – प्रकाशपुंज पाण्डेय

ऐसा क्यों हुआ कि हमारे मुखिया के कानों तक इनकी आवाज़ें नहीं पहुंच पाईं? – प्रकाशपुंज पाण्डेय

राजनीतिक विश्लेषक और समाजसेवी प्रकाशपुंज पांडेय ने मीडिया के माध्यम से रोश प्रकट करते हुए कहा है कि प्रदेश में केवल सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन स्थितियाँ नहीं। उन्होंने कहा है कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस या फिर कोई अन्य राजनीतिक दल, जब विपक्ष में होते हैं तो इनका रूप कुछ और होता है और जब सत्तासीन होते हैं तो इनकी तेवर बदल जाते हैं। ऐसा क्यों होता है कि विपक्ष में कोई भी राजनीतिक दल बेहद ही संवेदनशील प्रतीत पड़ता है लेकिन सत्ता में आते ही वही दल असंवेदनशील दिखाई देने लगता है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि वह चाहे 4 साल पहले योगेश साहू हो या आज हरदेव सिन्हा, इनकी स्थिति एक सी है। दोनों ने अपनी परेशानियों का निष्कर्ष और समाधान ढूंढने के लिए अपने मुखिया के दरवाज़े पर गुहार लगाई और असमर्थ होने पर आत्मदाह कर लिया और नतीज़ा यह हुआ कि दोनों को इंसाफ तो नहीं मिला लेकिन हां मौत ज़रूर मिली और पीछे छूट गया उनका बेसहारा परिवार, जिसमें बिलखते मां बाप, भाई बहन, व्याकुल व असहाय पत्नी और मासूम बच्चे। आखिर क्या दोष था इनका? वे ऐसा करने पर क्यों मजबूर हुए? क्या इसका कारण जानने के लिए किसी ने प्रयास किया? शायद नहीं। क्योंकि कि पूर्व में अगर प्रयास किए जाते तो आज यह आत्मदाह नहीं होते।

15 सालों तक छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज़ होने के बावजूद, तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के राज में युवा परेशान रहे और मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह करते रहे। लेकिन जनता को क्या पता था कि सत्ता परिवर्तन के बाद आज 2020 में भी प्रदेश के युवा, मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह करने को मजबूर होंगे। आखिर क्यों हो रही है ऐसी घटनाएँ? इसका सुध कौन लेगा? इन निर्दोषों का क्या कसूर था? कुछ तो बात होगी जो यह दोनों अपने अपने समय के मुख्यमंत्रियों से कहना चाह रहे होंगे! ऐसा क्या और क्यों हुआ कि हमारे मुखिया के कानों तक इनकी आवाज़ें नहीं पहुंच पाईं? केवल ट्विटर पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने से जनता की मुश्किलों का समाधान नहीं होगा। ज़रा सोचिए।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय,
रायपुर, छत्तीसगढ़ 
7987394898, 9111777044

Related Articles

Back to top button