छत्तीसगढ़

मक्का प्रोसेसिंग प्लांट की प्रक्रिया शुरू, नेकाफ प्रतिनिधियों के संघ कलेक्टर की हुयी मेगा बैठक

18 jul, 2020/सबका संदेश

कोण्डागांव। बस्तर के आदिवासी बहुल जिले कोण्डागांव में प्रस्तावित महात्वाकांक्षी परियोजना माॅ दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण ईकाई निर्माण की शुरूवाती प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। ज्ञातव्य है कि जिला कोंडागांव के किसानों द्वारा किया जा रहा मक्का उत्पादन एक समस्या की तरह नजर आता था क्योंकि स्थानीय स्तर पर मक्के की खपत ना होने की वजह से फसल के दाम नहीं मिल पाते थे। पर छत्तीसगढ़ सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर कोंडागाँव के 65 हजार किसानों ने एक साझा सपना मक्का प्रसंस्करण इकाई के रूप में देखा। सहकारिता की मूल भावना को केंद्र में रखकर आरंभ किया गया यह भागीरथ प्रयास धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है। अनगिनत लोगों के मानसिक श्रम, सोच और संकल्पना के साथ ही असंख्य श्रमवीरों की शुभेच्छा और श्रम साधना अब आकार ले रही है। जिला प्रशासन के प्रयासों की बदौलत ही मक्का प्रसंस्करण के प्रकल्प से 50 हजार के लगभग किसान अल्प समय में जुड़े और परियोजना के हिस्सेदार बने हैं। कोंडागाँव के किसानों के लिए समस्या की तरह नजर आने वाला मक्के का विपुल उत्पादन समाधान में बदलने की कवायद के रुप में यह प्रयास निरंतर आगे बढ़ रहा है और इस सहकारिता की भावना ने आज एक आंदोलन का रूप ले लिया है ।
इस संबंध में जिले के कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा की अध्यक्षता में आयोजित आज आवश्यक  बैठक रखी गई थी। इस बैठक में कलेक्टर ने प्रस्तावित प्लांट की क्षमता, उत्पादन, मानव शक्ति, मक्के के विभिन्न उत्पादों के निर्यात, परिवहन, बाजार प्रबंधन, किसानों के लाभांश का बारीकी से विश्लेषण करते हुए विभिन्न निर्देश दिये। बैठक में जानकारी दी गयी कि कुल 136 करोड़ की लागत से स्थापित होने जा रही यह इकाई मुख्यतः मक्के से स्टार्च, ग्लूटोन, ग्लूकोज, प्रोटीन व फाइबर का निर्माण करेगी साथ में यह भी बताया गया कि इन सभी उत्पादों की राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त माँग है। 300 टन प्रतिदिन मक्के की खपत वाला यह कारखाना अपने उत्कृष्ट उत्पादन , विपणन व मार्केटिंग कौशल से 4 वर्षों में स्वावलंबी हो सकेगा।

चूंकि इस प्रसंस्करण ईकाई में जिले के 50 हजार कृषक हिस्सेदार बने हैं उसे देखते हुए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बस्तर के अबूझ कहे जाने वाले वनवासी जन अपने श्रम की सामर्थ्य और सहकार भाव से समूचे प्रदेश को विकास की नई राह दिखाने के साथ ही मक्का प्रसंस्करण इकाई के रूप में आर्थिक समृद्धि की एक नई नजीर पेश करने जा रहे हैं जिससे जिले की आने वाली पीढ़ियां दीर्घकाल तक प्रेरणा लेती रहेंगी। मक्का कारखाने की पूर्ण होने की समय सीमा यूं तो 18 माह नियत है लेकिन जिला कलेक्टर द्वारा त्वरित पहल करते हुये मक्का प्लांट में आने वाली तमाम रूकावटों को दूर कर तत्काल निर्माण कार्य आरंभ करने निर्देशित किया गया और उम्मीद जताई कि परियोजना तय सीमा से पहले ही बन कर तैयार होगी।

जहां तक प्लांट की स्थापना से यहां के कृषकों को मिलने वाले दुरगामी लाभ पर दृष्टि डाली जाये तो वर्तमान में जहां कृषकों को मक्का के प्रति क्विंटल मूल्य 1 हजार से 15 सौ रूपये मिल रहा है वहीं प्रोसेसिंग पश्चात् उन्हें 35 सौ रूपये प्राप्त होंगे। इस प्रकार कृषकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी इसके अलावा मौजुदा राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय बाजार के नजरिये से भी प्लांट की एक बड़ी भूमिका होगी। साथ में स्थानीय तौर पर प्रत्यक्ष रूप में 8 सौ से 1 हजार लोगो को तत्काल रोजगार उपलब्ध होगा जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 1 लाख व्यक्ति रोजगार की दृष्टि से लाभांवित होंगे। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि स्थानीय कृषकों के लिए बेहद अहम इस सयंत्र के स्थापना की प्रक्रिया प्रारंभ हो चूकी है। और यह पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि आने वाले समय में यहां के कृषकों के सामाजिक आर्थिक बदलाव में इस सयंत्र की प्रमुख भूमिका होगी। और इस संबंध में हर समय-सीमा बैठक में सयंत्र निर्माण की प्रक्रिया चरणबद्ध समीक्षा की जायेगी। जिला कलेक्ट्रट सभाकक्ष में चली आज की मैराथन बैठक में कारखाना के नवनियुक्त प्रबन्ध संचालक के एल उईके, जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी डी एन कश्यप, पूर्व प्रबंध संचालक पवन प्रेमी सहित नेकाफ के रवि मानव, एन एफ सी डी के सिंटू चकमा, हरि स्टोर के भावेश के अलावा नेकाफ की पूरी टीम ने शिरकत की।

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राजीव गुप्ता

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