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पहले नाली निर्माण, खबर के बाद आनन फानन में टैंडर और फिर पीआईसी में प्रस्ताव।

पहले नाली निर्माण, खबर के बाद आनन फानन में टैंडर और फिर पीआईसी में प्रस्ताव

डोंगरगढ़- हमने अपने पाठकों को पहले अंक में बताया था कि नगर पालिका डोंगरगढ़ में नवपदस्थ सीएमओ हेमशंकर देशलहरा, इंजीनियर विजय मेहरा ठेकेदार श्याम अग्रवाल(भूत) की मिलीभगत से बिना किसी प्रस्ताव, टैंडर व वर्कआर्डर के सीएमओ निवास में नाली निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया गया जो लगभग पूर्णता की ओर था लेकिन इसी बीच 25 जून को खबर प्रकाशित करने से ये तीनों

 

सकते में आ गए और आनन फानन में 27 जून को बैक डेट में 25 जून की तारीख में टैंडर निकाला गया जिसमें नाली निर्माण के साथ साथ अन्य 8 कार्यों को भी शामिल किया गया। इसके बाद 1 जुलाई की प्रेसिडेंट इन काउंसिल की बैठक आहूत की गई लेकिन इसकी सूचना पीआईसी के सारे सदस्यों को नहीं होने से बैठक निरस्त की गई और 2 जुलाई को शाम 4 बजे पुनः बैठक आहूत की गई जिसमें केवल विषयों पर चर्चा कर निर्णय लिया गया जिसमें वार्ड नं 11 सीएमओ निवास में बनाई जा रही नाली निर्माण कार्य को भी शामिल किया गया।
अब नियम की बात करें तो सूत्रों के अनुसार किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के पूर्व जिस वार्ड में कार्य होना है उस वार्ड का पार्षद प्रस्ताव बनाकर देगा कि उन्हें उनके वार्ड में सीसी रोड, सीसी नाली या अन्य कोई कार्य करवाना है जिसके बाद यह प्रस्ताव क्षेत्रीय कार्यालय दुर्ग जायेगा जहाँ से प्रस्ताव पास होने के बाद वापस डोंगरगढ़ नगर पालिका आयेगा जिसके बाद इंजीनियर द्वारा उक्त कार्य का स्टीमेट बनाकर कागजी कार्यवाही पूरी कर इसे पीआईसी में विचार एवं निर्णय के लिए रखा जायेगा जहां पर सर्वसम्मति से पास होने के बाद इसकी निविदा समिति को भेजा जाएगा जो निविदा अखबार में प्रकाशित कर पंजीकृत ठेकेदारों से निविदा आमन्त्रित करेगी फिर जिस ठेकेदार को निविदा मिलेगी उसे कार्य प्रारंभ करने का वर्क आर्डर जारी किया जाता हैं तब जाकर ठेकेदार द्वारा कार्य प्रारंभ किया जाता है लेकिन यहाँ पर कार्य पहले प्रारंभ किया गया, फिर निविदा निकाली गई और फिर आखिर में प्रस्ताव किया गया जो नगर पालिका अधिनियम के सारे नियमो को ताक में रखकर किया जा रहा है।

इसके पूर्व भी इंजीनियर विजय मेहरा अध्यक्ष निधि के कुछ कार्यों को बिना किसी प्रस्ताव के प्रारंभ करने को लेकर विवादों में घिरे थे जिसे राजनीतिक सरक्षण के चलते दबा दिया गया लेकिन इसके बाद भी वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आये और नये सीएमओ को खुश करने और उनका खास बनने के लिए नियमो को ताक में रखकर बिना टैंडर के ही नाली निर्माण कार्य प्रारंभ करवा दिया। देखने वाली बात यह है कि लगातार समाचार प्रकाशित होने के बाद भी अब तक इस मामले में ना तो एसडीएम और ना ही कलेक्टर के द्वारा कार्यवाही तो दूर जांच भी प्रारंभ नहीं की गई जो सीएमओ द्वारा कहे गए शब्दों को चरितार्थ करती हैं कि मैं मंत्री का रिश्तेदार हूँ दाऊ जी भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

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