छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

पहले हो शुल्क वृद्धि की उच्चस्तरीय जांच, फिर मिले स्कूल प्रबंधन को शुल्म वसूलने की अनुमति पैरेंटस का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट में शासन रखे अपना पक्ष

DURG:-उच्च न्यायालय बिलासपुर में बिलासपुर प्राईवेट स्कूलों के द्वारा याचिका दायर कर बच्चों से शिक्षण लेने की अनुमति देने के संबंध में प्रेयर किया गया है, इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग को भी अपना पक्ष प्रस्तुत किया जाना है, जिसको लेकर छत्तीसगढ़ पैरेट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला को पत्र लिखकर पालकों का भी पक्ष सुनकर उच्च न्यायालय में जवाब प्रस्तुत की मांग किया गया है।

प्रदेश के प्राईवेट विद्यालयों में लगभग 2,97,000 बच्चे शिक्षा के अधिकार के अतर्गत पढ़ रहे है। यह बच्चें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों से आते है जितने पास स्मार्ट फोन की सुविधा तक उपलब्ध नहीं होता है। प्राईवेट स्कूलों में नर्सरी से लेकर कक्षा बारहवीं तक के बच्चों के लिए ऑनलाईन क्लासेस 15 जून से आरंभ हो चुका है और इस ऑनलाईन क्लासेस से आरटीई के बच्चे प्रभावित हो रहे है और उनके पालक परेशान हो रहे है, क्योंकि कई बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे है। ऑनलाईन क्लासेस आरंभ होने से आरटीई के बच्चों के साथ भेदभाव हो रहा है।

कई प्राईवेट विद्यालयों के द्वारा नोटिफाईड और जस्टिफाईट फीस नहीं लिया जा रहा है, प्रतिवर्ष ऑडिट रिपोर्ट/बैलेश शीट और अनुमोदित फीस की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। कई प्राईवेट विद्यालयों के द्वारा शिक्षण शुल्क का अनुमोदन कराए बिना फीस वृद्धि की जा रही है। कोरोना महामारी में प्राईवेट स्कूलों को शिक्षण शुल्क लेने की अनुमति देने के पूर्व उनके द्वारा इस शिक्षा सत्र 2020-21 मे ली जा रही शिक्षण शुल्क एवं अन्य सभी शुल्क का परीक्षण तथा स्थल निरीक्षण जिला स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों की 3 सदस्यीय समिति गठित कर यह देखा जावे, कि विद्यालय का संचालन न लाभ न हानि के सिद्धांत पर हो रहा है या नहीं?

विद्यालय द्वारा निर्धारित वार्षिक शुल्क सत्र 2020-21 के प्रारूप तथा उनके द्वारा बच्चों की उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का तुलनात्मक परीक्षण किया जाये तथा यह भी देखा जावे, कि क्या विद्यालय द्वारा निर्धारित शुल्क, उनके द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की तुलना मे युक्तियुक्त है, अथवा नहीं?

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