धान की कतार बोनी से कमी होगी कृषि लागत
धान की कतार बोनी से कमी होगी कृषि लागत
कांकेर मानसूनी वर्षा के साथ-साथ किसान धान की बोनी प्रारम्भ कर दिये हैं, जिले में धान का रकबा लगभग 1.83 लाख हेक्टेयर है जिसमें से लगभग 65 प्रतिशत क्षेत्र में कृषक छिटकवां विधि से धान की बुवाई करते हैं उसके एक माह पश्चात् बियासी करके धान की निंदाई एवं गुड़ाई करते है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया वर्षा पर आधारित होती है। समय पर यदि बारिश नहीं हुई तो बयासी
प्रक्रिया में किसान पिछड़ जाते हैं साथ ही साथ कई कृषक घास की अधिकता के कारण आधार खाद उपयोग नहीं करते जिसकी वजह से धान की उपज में काफी कमी आती है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर द्वारा बीज उर्वरक बुवाई यंत्र द्वारा धान की कतार बोनी के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है एवं कतार बोनी का प्रदर्शन कर किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। धान की कतार बुआई करने से प्रारंभ के वर्षा जल का सीधे लाभ मिल जाता है तथा बुवाई के तुरंत पश्चात् नींदानाशक का उपयोग कर खरपतवारों को रोक दिया जाता है। धान की कतार बोनी करने से एक ओर जहां धान की फसल छिटकवा विधि से बोई गई फसल की तुलना में 10-15 दिन जल्दी पकती है, जिससे आगामी रबी मौसम में उपलब्ध नमी का उपयोग कर किसान दूसरी फसल ले सकते हैं, वहीं दूसरी ओर कम वर्षा की स्थिति में भी उपज पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। कतार बोनी विधि से उत्पन्न धान की उपज रोपाई वाले धान के बराबर आती है तथा लागत में कमी के साथ साथ नींदाई, रोपाई में आने वाले मजदूरों की समस्या से निजात भी मिलता है।