भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश मे थोपे गए आपातकाल के विरोध में

कांकेर: 25 जून 1975 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश मे थोपे गए आपातकाल के विरोध में और इसकी जानकारी आज की युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिये लोकसभा सांसद मोहन मण्डावी ने कमल सदन कांकेर में प्रेस किया ।
सर्वप्रथम श्री मोहन मण्डावी ने मीडिया के पत्रकारो का धन्यवाद किया कि वे कोरोना संकट में भी अपनी जान की बाजी लगाकर संकट की जानकारी लोगो तक पहुंचा रहे है ।
आपातकाल के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा थोपा गया आपातकाल इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है जिसे हम कभी भूल नही सकते । इसे बार बार हर बार स्मरण करने की जरूरत है ताकि सत्ता के मद में चूर होकर कांग्रेस दोबारा ऐसा दुस्साहस न कर सके ।
उन्होंने आगे कहा कि लाखों हुतात्माओं के बलिदान से प्राप्त आजादी के बाद के लोकतंत्र को इंदिरा गांधी ने एक झटके में आधी रात को खत्म कर देश को फिर से तानाशाही और एक परिवार की गुलामी की ओर धकेल दिया था । अपने भ्रष्टाचार व अनियमितता के काले कारनामे को बचाने के लिये इंदिरा गांधी ने विपक्षियों को जेल में डाल दिया था ।
मोहन मण्डावी ने आगे बताया कि आपातकाल से पहले 1974 को बिहार के छात्र आंदोलन जिसे जय प्रकाश नारायण ने चालू किया था उसे इंदिरा गांधी की सरकार ने निर्मम त्तरीके से कुचल कर उन्हें जेल में बन्द कर दिया इससे सरकार के खिलाफ पूरे देश मे असंतोष और गुस्सा उपजा ।
मण्डावी ने आगे कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी के चुनाव में प्रतिद्वंद्वी रहे राज नारायण की चुनाव याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर उन्हें 6 साल चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य घोषित कर दिया जिससे कुपित होकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश मे आपातकाल थोप दिया व विपक्षी पार्टियों के नेताओ को जेल में ठूस दिया । विपक्षी नेताओं और गैर कांग्रेसी नेताओं, आरएसएस के स्वयं सेवकों को पूरे 21 माह बिना किसी केस के जेल में रखा गया ।
मण्डावी ने आगे बताया कि आपातकाल के दौरान प्रमुख विपक्षी नेता अटल बिहारी बाजपेई, लाल कृष्ण आडवाणी, के आर मलकानी, अरुण जेटली, जार्ज फर्नांडिस, नीतिश कुमार, सुशील मोदी, राम विलास पासवान, शरद यादव, अविभाजित मध्यप्रदेश से सच्चिदानंद उपासने परिवार, बद्रीधर दिवान समेत लाखो लोगो को गिरफ्तार कर लिया ।
विपक्षी नेताओं को ये भी नही पता था कि वे कितने दिनों तक जेल में रहेंगे । इन्हें जेल में अपराधियों की तरह व्यवहार किया गया ।
मोहन मण्डावी ने आगे बताया कि आपातकाल के दौरान अखबारों की बिजली काट दी गई, मीडिया का गला घोंट दिया गया, लाखो लोगो की जबरन नसबंदी कर दी गई । 3801 अखबारों को जब्त किया गया । 327 पत्रकारों को मीसा कानून के तहत जेल में बन्द कर दिया गया । 290 में अखबारों में सरकारी विज्ञापन बन्द कर दिए गए ।
विदेशी पत्रकारो को देश छोड़ने का आदेश दिया गया ।
मोहन मण्डावी ने कहा कि आज छग में भी आपातकाल वाली स्थिति निर्मित की जा रही है । छग सरकार द्वारा पत्रकारों के ऊपर एफ आई आर दर्ज की जा रही है । सोशल मीडिया में सरकार के खिलाफ लिखने पर भाजपा कार्यकर्ताओं के ऊपर छग सरकार द्वारा मुकदमे दर्ज किए जा बिजली जाने की शिकायत मात्र से राजद्रोह के केस में फंसाया जा रहा है ।
मोहन मण्डावी ने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार आपातकाल वाली मानसिकता से ग्रस्त होकर लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश कर रही है । दुर्भावनाओं के कारण छग में सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने सभी मीसा बंदियों की पेंशन बन्द कर दी ।
मोहन मण्डावी ने कहा कि देश मे लोकतंत्र को वापस लाने का श्रेय भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, और आरएसएस के स्वयं सेवकों को जाता है । उन्होंने लोकतंत्र बचाने का संकल्प लिया।
मोहन मण्डावी ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट से निपटने के लिये जिले के स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के लिये 20 करोड़ रु दिया है ।
उन्होंने बताया कि जिलाधीश द्वारा जानकारी दी गई है कि अब तक 11 करोड़ रु खर्च हो चुके है लेकिन कहाँ खर्च हुआ मांगे जाने के बाद भी जानकारी नही दी गई है । 9 करोड़ रु अन्य मद में खर्च करने हेतु हस्तांतरण की बात सामने आ रही है ।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व विधायक सुमित्रा मारकोले, जिला उपाध्यक्ष रवि तिवारी, राजीव लोचन सिंह, निपेन्द्र पटेल, देवेंद्र भाऊ, देवेंद्र साहू, जय प्रकाश गेडाम, राजा देवनानी उपस्थित रहे ।