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घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेट्रोल कीमतों के बीच दो दशक में आया सबसे बड़ा अंतर, देश में तेजी से बड़े पेट्रोल के दाम | frist time Gap between domestic and international fuel prices highest | business – News in Hindi

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेट्रोल कीमतों के बीच दो दशक में आया सबसे बड़ा अंतर, देश में तेजी से बड़े पेट्रोल के दाम

आर्थिक गतिविधियों के रुक जानें से ईंधन की कीमतों में भी भारी गिरावट

कोरोना महामारी (Coronavirus) के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम कीमतों (Domestic and International fuel Prices) के बीच का अंतर लगभग दो दशकों में सबसे अधिक रहा है.

कोरोना संक्रमण महामारी ने दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर दिया है. जिसने चीन, अमेरिका, भारत जैसे अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव डाला. अगर वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो इस साल अर्थव्यवस्था में 5.2 फीसदी की कमी आने की संभावना है. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों एवं आर्थिक गतिविधियों के रुक जानें से ईंधन की कीमतों में भी भारी गिरावट आई है. बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 21 अप्रैल को 9.12 डॉलर प्रति बैरल गिर कर $ 43.08 / बैरल हो गया. 21 साल में पहली बार इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई.अगस्त 2016 के बाद से यह पहली बार इस स्तर पर आया.

लगभग दो दशकों में सबसे बड़ा अंतर
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार, महामारी के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम कीमतों के बीच का अंतर लगभग दो दशकों में सबसे अधिक रहा है. जिसका मुख्य कारण पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर करों में तेज वृद्धि है. यह एनालिसिस दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतों और ब्रेंट क्रूड की कीमतों पर आधारित है. दिल्ली में 17 दिन में पेट्रोल के दाम 8.50 रुपये और डीज़ल की कीमतें 9.77 रुपये तक बढ़ गई.

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर भारत में खुदरा कीमतों में दिखा है. रिपोर्टों के अनुसार, घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रहीं बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत पर आधारित हैं. जून के महीने में खुदरा कीमतों में तेजी आई. 6 जून से 22 जून के बीच पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 8.30 रुपये / लीटर और 9.16 रुपये / लीटर की वृद्धि हुई है.ये भी पढ़ें : Petrol Price Today- पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में जारी तेजी पर 17 दिन बाद लगा ब्रेक, जानिए नए रेट्स

लॉकडाउन की वजह से हुआ नुकसान
लॉकडाउन की वजह से हुए नुकसान की कुछ भरपाई के लिये केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने कर राजस्व को बढ़ाने के लिए मई में ईंधन की कीमतों पर अधिभार बढ़ाया था. पेट्रोल-डीजल की कीमतें भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग हैं, क्योंकि वे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत नही हैं. केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ईंधन की कीमतों का मुद्दा केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के राजस्व से सीधे जुड़ा हुआ है। उनके अनुसार, राजस्व प्रोत्साहन ने सरकारों द्वारा करों को बढ़ाने के लिए कदम बढ़ाया था ताकि ईंधन की खपत कम होने के साथ-साथ अधिक राजस्व प्राप्त हो सके.



First published: June 24, 2020, 8:16 AM IST



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