प्रदेश सरकार कोरोना विकट काल में जमीनी नतीजे देने वाले काम करें- शिव चंद्राकर रोका छेका जैसी आंखों में धूल झोंकने वाली योजनाएं पेश न करें
DURG:-भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शिव चंद्राकर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से प्रताडि़त प्रदेश की जनता इस समय जीवन के कई मोर्चों पर एक साथ जूझ रही है यहां उसे अपने आप को और अपने परिवार को करोना के कहर से वहीं दूसरी तरफ आर्थिक समस्या उसके सामने विकराल रूप धरकर खड़ी है जो अपने आप में कई समस्याओं की जननी है क्योंकि प्रदेश की एक बड़ी आबादी के हाथों से आय के संसाधन लगभग जा चुके हैं ऐसे में प्रदेश के मुख्य भूपेश बघेल रोका छेका जैसे अपनी छवि चमकाने वाली योजनाओं के लांचिंग में व्यस्त हैं जिसमें जनता के पैसों के साथ-साथ सरकारी अमले के कार्य दिवस और ऊर्जा व्यर्थ हो रही है जबकि इस समय कोरोनावायरस से त्राहिमाम मचा रही प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाने की सबसे ज्यादा जरूरत है।
भाजपा नेता शिव चंद्राकर ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार की रोका छेका जैसे व्यर्थ की योजनाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि रोका छेका जैसे प्रबंधन ग्रामीण व्यवस्था में आदि काल से ही मौजूद हैं खेती किसानी के समय ग्रामीण अपने पशुधन को अपने घरों में ही बांध कर रखते हैं ताकि वे फसलों को नुकसान न पहुंचाएं और जो कोई इस व्यवस्था को अनदेखी करता है तो उसे गांव की पंचायत या ग्रामसभा दंडित करती है ताकि वे औरों के लिए उदाहरण बने ऐसे में यह समझ से परे है कि प्रदेश सरकार के मुखिया श्री बघेल एक पुरानी व्यवस्था को नए नामांतरण के साथ पेश कर साबित क्या करना चाहते हैं यह तो कुछ उसी तरह की बात हो गई कि गुड़ को चमकीले पन्ने में लपेट का नया नाम दे दिया जाए गन्ने की मिठाई, क्या प्रदेश की जनता सरकार की नजरों में इतनी बेवकूफ है कोरोनावायरस में प्रदेश की जनता के बड़े वर्ग से रोजी रोजगार के साधन छीन लिया श्री चंद्राकर ने प्रदेश सरकार से अपील किया है कि यदि कुछ करना है तो उनके लिए करें जिसके नतीजे जमीनी स्तर पर नजर आए केवल जुबानी जमा खर्च के स्तर पर नहीं तब प्रदेश के मुखिया की छवि अपने आप चमक जाएगी क्योंकि कोरोनावायरस के चलते अर्थव्यवस्था को लगे झटके की वजह से जहां स्थानीय स्तर पर लोगों के आय के संसाधन हाशिए पर चले गए हैं वहीं दिगर प्रदेशों से पलायन करके आने वालों की संख्या भी लाखों में इसमें सबसे ज्यादा संकट कस्बाई और शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले निम्न मध्यम आय वर्गी आबादी की है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में फिर भी मनरेगा और सामने खेती किसानी से संबंधित रोजगार के अवसर होंगे लेकिन शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले बेरोजगार गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं