जानिए ऐसे मंदिर के बारे में जहां पर इस कुतिया की होती हैं पूजा
सबका संदेस न्यूज़ –हमारे यहां भारत देश में विभिन्न देवी -देवताओं के मंदिर हैं। पर आपने कभी ये सुना हैं कि एक ऐसा मंदिर भी जहां पर कुतिया की पूजा होती हैं। सुनकर दंग रह गए ना !! जी हाँ , ये सच हैं झांसी से 65 किमी दूर मऊरानीपुर इलाके में रेवन और ककवारा गांव है जहां पर ये मंदिर स्थित हैं।
वहाँ निवासित लोगों का मानना हैं कि उसी स्थान पर जहां वो मंदिर हैं वही पर उस कुतिया की मृत्यु हुई थी और बाद में जब लोगो ने उसे उसी जगह दफनाया तो दफनाया गया स्थान पत्थर का हो गया। इलेक्शन के दौरान आते जाते लोग भी मंदिर के सामने दो मिनट के लिए रुक कर सिर झुकाते है। कुतिया को धैर्य का प्रतीक माना जाता है।
यहां रहने वामहिलाएं इस मंदिर में जल चढ़ाती हैं और उनकी पूजा रचना करती हैं। और हैरत की बात तो ये हैं कि यहां पर लोग इस मंदिर पर स्थित कुतिया को “कुतिया महारानी” के नाम से जानते हैं।
मंदिर में एक चबूतरे पर काले रंग की कुतिया की मूर्ति लगाई गयी है । जिसे लोग ‘कुतिया देवी’ के नाम से जानते हैं ।
आइये अब आपको बताते हैं कि आखिर ऐसी कौनसी घटना थी जो मंदिर बनाने की नौबत आ पड़ी।बताते हैं कि काफी समय पहले एक दिन ही दोनों गांवों में दावत थी। दावत के दौरान रमतूला बजाया जाता था। जिससे लोगों को पता चल जाता था कि दावत शुरू हो गई।
इस दौरान रेवन गांव से रमतूला बजा और कुतिया वहां पहुंची। लेकिन तब तक वहां पहुंची दावत खत्म हो गई। थोड़ी देर में ककवार गांव से रमतूला बजा लेकिन वहां भी वहीं हुआ। गांव के बुजुर्ग श्याम लाल बताते हैं कि कुतिया बीमार और भूखी थी। दोनों गांवों के बीच दौड़ने के कारण वह थक कर बीच में बैठ गई। भूख और बीमारी के कारण वहीं उसकी मौत हो गयी।
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