बंबई हाईकोर्ट ने कहा- N-95 मास्क की अधिकतम कीमत तय करने पर पुनर्विचार करे केंद्र | Bombay HC asks Centre to reconsider fixing price cap for N95 masks | maharashtra – News in Hindi


केंद्र सरकार की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि अभी ऐसे मास्क की अधिकतम कीमत तय करने की कोई योजना नहीं है
बंबई उच्च न्यायालय (Bombay Highcourt) में दायर जनहित याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से लागू लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान मास्क (Mask) की कालाबाजारी को रोकने के लिए इसकी अधिकतम कीमत तय करने की जरूरत है.
वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की पीठ ने कहा कि केंद्र आवश्यक वस्तुओं के कीमतों को लेकर मौजूद कानून पर संज्ञान ले और उसके अनुरूप एन-95 मास्क की अधिकतम कीमत तय करे. अदालत ने इससे पहले केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या एन-95 मास्क की अधिकतम कीमत तय करने की उसकी कोई योजना है.
कालाबजारी के लिए अधिकतम कीमत तय करने की जरूरत
सुचेता दलाल और अंजलि दमानिया की ओर से दायर जनहित याचिका पर अदालत ने सुनवाई की. याचिका में कहा गया कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान मास्क की कालाबाजारी को रोकने के लिए इसकी अधिकतम कीमत तय करने की जरूरत है. इससे पहले 19 मई को याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान देसाई ने अदालत को बताया कि कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एन-95 मास्क की कमी है और इन सुरक्षा उपकरणों की जमाखोरी और कालाबाजारी रोकना जरूरी है.हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने अदालत को बताया कि वह एन-95 मास्क की अधिकतम कीमत तय करने के लिए पहले ही केंद्र को लिख चुकी है.
सरकार ने कहा कीमत तय करने की जरूरत नहीं
केंद्र सरकार की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि अभी ऐसे मास्क की अधिकतम कीमत तय करने की कोई योजना नहीं है क्योंकि सरकार के हस्तक्षेप के बाद इन्हें पहले ही 47 प्रतिशत कम कीमत पर बेचा जा रहा है. सिंह ने कहा, ‘‘ 21 मई को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने परामर्श जारी कर कहा था कि एन-95 के सभी उत्पादकों,आयातकों और आपूर्तिकर्ताओं को बाजार में बेचे जाने वाले मास्क की कीमतों में समानता लानी चाहिए ताकि वाजिब मूल्य पर इन्हें बेचा जा सके.’’ उन्होंने बताया कि इस परामर्श के बाद मास्क की कीमतों में 47 प्रतिशत की कमी आई.
हालांकि, अदालत द्वारा फैसले पर पुनर्विचार करने अन्यथा उचित आदेश पारित करने की बात कहने पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कीमत को लेकर पुनर्विचार करने पर सहमति जताई. जनहित याचिका के मुताबिक एन-95 मास्क को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जरूरी वस्तु की श्रेणी में रखा गया है. इसके बावजूद राज्य में इसकी जमाखोरी और मुनाफाखोरी हो रही है.
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First published: June 9, 2020, 8:16 PM IST