हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के इलाज में हैं पूरी तरह बेअसर – Hydroxychloroquine and Chloroquine are completely ineffective in treating coronavirus patients | knowledge – News in Hindi

साथ ही ये दवाइयां ज्यादातर मरीजों को नुकसान भी पहुंचा रही हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ सैन डियागो के साथ ही चीन के शैंडॉन्ग में यंताई युहंगदिंग हॉस्पिटल और शेंयांग में शैंगजिंग हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने पाया कि ये दोनों दवाइयां कोरोना वायरस के मरीजों को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर रही हैं.
मरीजों के नर्वस और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर बुरा असर
शोधकर्ताओं ने 4 अप्रैल से क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की डोज के जरिये इलाज किए जा रहे मरीजों में होने वाले बदलावों का अध्ययन किया. इस दौरान उन्होंने दोनों दवाइयों के वायरल इंफेक्शन पर होने वाले असर और मरीजों की सुरक्षा का अध्ययन किया. इसके बाद जुटाए गए डाटा का मेटा-एनालिसिस किया. इसके अलावा एनालिसिस में होने वाली खामियों का आकलन करने के लिए ट्रायल सीक्वेंशियल एनालिसिस भी किया गया.

शोधकर्ताओं ने 2,613 वयस्क मरीजों के 11 क्लीनिकल ट्रायल का अध्ययन किया.
शोधकर्ताओं ने 2,613 वयस्क मरीजों के 11 क्लीनिकल ट्रायल का अध्ययन किया. शोध में पाया गया कि दवाई देने के बाद मरीज के प्लाज्मा में वायरस की संख्या और संक्रमण के लक्षणों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया था. इसके उलट दोनों दवाइयां देने के बाद 31.4 फीसदी मरीजों के नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ना शुरू हो गया था. वहीं, 95 फीसदी लोगों के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर भी असर हुआ.
हार्ट की मसल्स को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं दोनों दवा
शोधकर्ताओं के मुताबिक, क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की डोज देने के बाद मरीजों के हार्ट की मसल्स के डैमेज (Cardio-toxicity) होने की आशंका भी बढ़ जाती है. दुनिया भर में बहुत से स्वास्थ्य विशेषज्ञ और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स कोरोना वायरस के मरीजों के दलाज में इन दोनों दवाइयों के इस्तेमाल के खिलाफ हैं. उनका कहना है कि इन दोनों दवाइयों के खतरनाक साइड इफेक्ट भी हैं. ऐसे में इसका इस्तेमाल संक्रमितों की हालात ज्यादा खराब कर सकता है.
MedRxiv की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां तक कि कुछ लीगल और मेडिकल ग्रुप्स का मानना है कि कोविड-19 के इलाज में इन दोनों दवाइयों के इस्तेमाल की वकालत करने वाले स्वास्थ्य अधिकारियों, सरकारों और डॉक्टर्स व हॉस्पिटल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. वहीं, उनका कहना है कि मरीजों को भी अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए इन दवाइयों के जरिये इलाज कराने से इनकार कर देना चाहिए.

शोधकर्ताओं का दावा है कि फ्रांस के एक डॉक्टर ने क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों को गलत तरीके से दुनिया के सामने पेश किया.
फ्रांस के एक डॉक्टर ने किया सफल इलाज का फर्जी दावा
शोधकर्ताओं का दावा है कि फ्रांस के एक डॉक्टर ने क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों को गलत तरीके से दुनिया के सामने पेश किया. उसने बताया कि इन दवाइयों से कोरोना वायरस के मरीजों को फायदा मिल रहा है. थाइलैंड मेडिकल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद पूरी दुनिया में इन दवाइयों को लेकर चर्चा शुरू हो गई, जबकि ये शुरुआत से ही फर्जी दावा था.
इस बीच बहुत से लोगों ने ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में विश्वास जताते हुए मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया. उन्हें ये भी पता नहीं था कि वे अनजाने में ही कोरोना वायरस के मरीजों की हत्या कर रहे हैं. अमेरिका के एफडीए ने शुरुआत में इस दवा के कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल की वकालत की थी, लेकिन अब वह भी डब्ल्यूएचओ और सीडीसी की भाषा बोल रहा है. अब डब्ल्यूएचओ और चीन की कुछ सरकारी एजेंसियों के साथ अमेरिका का एफडीए व सीडीसी भी इन दोनों दवाइयों से इलाज के दावे को फर्जी बता रहे हैं.
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