छत्तीसगढ़

चरोटा’ संक्रामक और चर्मरोग के लिए रामबाण

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ रायपुर- शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में भारत सरकार और राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में कौमारभृत्य-बालरोग विषय पर छह दिवसीय सीएमई कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में देश के 15 राज्यों से आयुर्वेद के विशेषज्ञ हिस्सा लिए और अपना-अपना अनुभव छात्रों के बीच बांटा। आयोजन के अंतिम दिन शनिवार को संक्रामक रोग और चर्म रोगों को आयुर्वेदिक पद्घति से कैसे खत्म किया जा सकता है, इस विषय पर चर्चा हुई। इस अवसर पर शासकीय अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय लोकमान्य नगर इंदौर के धर्मेन्द्र शर्मा ने बालकों में होने वाले संक्रामक रोगों और चर्म रोगों को आयुर्वेद के चक्रमर्द जिसे चरोटा कहा जाता है, के बीज को इलाज के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में चरौटा भाजी के नरम पत्तों का वर्षा ऋतु में तीन दिन भाजी खाने का रिवाज भी है। इस रिवाज की वजह से बच्चे एक तरह से इस रोग से बचते हैं। भाजी खाने से चर्म रोग जैसी बीमारी आपके आसपास नहीं फटकती। इसके अलावा नीम के पत्ते को उबालकर स्नान करने और बच्चों के सिर में नीम के पत्ते का पेस्ट बनाकर लगाने से त्वचागत रोगों से मुक्त मिलती है। वहीं ऐसा करने से त्वचा संबंधित रोग बहुत कम होते हैं।

दो-दो बूंद बदाम का तेल बच्चों की नाक में डालें

शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय बिलासपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि बालकों में होने वाली खासी में खड़ी हल्दी को घी में भेनकर उसके पाउडर को दूध के साथ पिलाया जाना चाहिए और बच्चे के नाक में बाहर के घूल-मिट्टी आदि के बचाव हेतु नाक में दो-दो बूंद का बादाम तेल डालना चाहिए। तुलसी पत्ते का रस और अदरक के रस को मधु के साथ चटाया जाना सर्दी खांसी के उपचार में श्रेष्ठ है।

कार्यक्रम की सीडी प्रदान की गई

इस दौरान कर्यक्रम समन्वयक डॉ. रूपेन्द्र चंद्राकर छह दिवस में हुए सम्म्पूर्ण कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। वहीं 15 राज्यों से आए विशेषज्ञों और प्रतिभागियों को जंगल सफारी एवं वनौषधि उद्यान का निरीक्षण कराया। प्रो.प्रवीण कुमार जोशी ने राज्य में पाए जाने वाली वनौषधियों का परिचय एवं उसकी उपयोगिता के बारे में बताया। कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं कार्यक्रम की सीडी प्रदान की गई। इस दौरान महाविद्यालय के प्राध्यापकों समेत छात्र मौजूद थे।

 

 

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