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बगैर सुरक्षा साधनों के खतरों से खेल रहे हैं ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक’

बगैर सुरक्षा साधनों के खतरों से खेल रहे हैं ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-

बिना सुरक्षा के कोरोना के खिलाफ जंग में उतरे कोरोना वारियर्स

कांकेर-वैश्विक महामारी कोविड-19 के रोकथाम के लिए राज्य और केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। किंतु यह संक्रमण रखतबीज दानों की तरह अपना दायरा बढ़ाता चला जा रहा है। सबसे गंभीर सवाल यह है कि इस जंग में प्रथम पंक्ति के कोरोना वारियर्स भी इसकी चपेट में आ गए हैं। कांकेर जिले में अब तक

 

15 सक्रिय मरीजों की पहचान हुई है जिनमें से 5 स्वास्थ्य विभाग के हैं। आयुष सिंह, जिला चिकित्सालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, चिरायु दल एवं कार्यालयीन कर्मचारी जैसी स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शाखाओं में भी कोरोना वायरस ने अपने पैर पसार लिए।
अब मात्र मैदानी अमला ही सुरक्षित रह गया है जिसके अंतर्गत ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक, सुपरवाइजर एवं बीटीओ आते हैं। किंतु खतरा इनके सर पर भी मंडरा रहा है। गौरतलब है की संक्रमित व्यक्तियों से प्राइमरी कांटेक्ट में आए कई स्वास्थ्य संयोजक की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है एहतियात के तौर पर इन्हें भी होम कोरोनटाइन किया गया है।
’ आपको बता दें की एक ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला व पुरुष की तैनाती ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में 3000 की जनसंख्या एवं शहरी व मैदानी क्षेत्रों में 5000 की जनसंख्या पर होती है। 28 से अधिक राष्ट्रीय कार्यक्रम का क्रियान्वयन एवं 14 योजनाओं सहित समय अनुरूप व परिस्थितिजन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी इनकी होती है। 24 घंटा अपने निर्धारित मुख्यालय में रहते हुए प्रसव गर्भवती माताओं व बच्चों की जांच टीकाकरण टीवी कुष्ठ मलेरिया के मरीजों का इलाज एवं निगरानी परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी देना आदि आदि कार्य भी इनके द्वारा किए जाते हैं। जर जमीन से जुड़े वाह पीड़ित मानवता जैसे पुनीत कार्य को करने वाले इन सैनिकों के बदौलत ही आज देश पोलियो एवं टेटनस मुक्त हो पाया है।’
’ कोविड-19 महामारी काल में भीम की चुनौतियां अत्याधिक बढ़ गई हैं। कंटेंटमेंट जोन में एक्टिव सर्विलेंस कर कड़ी निगरानी रखना, टाइम सेंटर में पहरा देना,
मजदूरों छात्रों व अन्य राज्य से आने वाले व्यक्तियों की पताशाजी कर उन्हें चौकस नजरों से अपने निगरानी में रखना, गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को स्वास्थ्य परामर्श देना, जैसी सारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। किंतु पर्याप्त सुरक्षा संसाधनों के अभाव व उच्चाधिकारियों के उचित प्रोत्साहन की कमी से इनमें निराशा के भाव भी देखने को मिल रहे हैं।’
इस विषय पर स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष जेठू राम नेताम ने बताया कि पिछले 3 माह से संघ के द्वारा ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक को पर्याप्त सुरक्षा सामग्री उपलब्ध कराने हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लगातार पत्राचार के माध्यम से आवेदन व निवेदन किया जा रहा है। इसी संदर्भ में संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं इंद्रावती भवन नया रायपुर के संचालक द्वारा भी उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर आवश्यक सुरक्षा किट उपलब्ध कराने हेतु आदेश निर्देश प्रसारित किए गए। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ जिला कांकेर के अध्यक्ष कदम व कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के जिला संयोजक प्रमोद तिवारी द्वारा भी इस विषय पर केएल चौहान कलेक्टर कांकेर व जेएल उइके मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कांकेर का ध्यानाकर्षण कर स्वास्थ्य संयोजक को पर्याप्त सेफ्टी किट उपलब्ध कराने की बात रखी। किंतु दुख का विषय है आज भी कई जगह पर मास्क सेनीटाइजर ग्लव्स जैसे मूलभूत सुरक्षा संसाधन कोरोना वारियर्स स्वास्थ्य संयोजक की पहुंच से दूर है। अधिकारियों द्वारा लगातार हमारे साथियों को संक्रमित क्षेत्रों में कार्य करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है एवं कार्यवाही का डर दिखाया जा रहा है।
’संघ के सचिव रामेश्वर साहू ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारा संघ कर्मचारी हित के लिए सदैव तत्पर रहा है किंतु यह निराशाजनक स्थिति है कि हमारे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा कर्मचारी की समस्या एवं मांग संबंधी भेजे गये पत्रों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है तथा इनका प्रत्युत्तर भी नहीं मिलता। हमारे साथी लगातार बिना अवकाश के नौतपा के चिलचिलाती धूप व गर्मी में अपने तथा अपने परिवार वालों की प्रवाह किए बगैर इस चुनौती में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। किंतु उच्चाधिकारियों की ऐसी निराशा पूर्ण रवैया से जिले के समस्त ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक का मनोबल कमजोर हो रहा है। लोकतंत्र के चौथे आधार स्तंभ मीडिया के माध्यम से हम अपनी व्यथा को बयां करते हुए अधिकारियों से पुनः निवेदन कर रहे हैं कि हमारे साथियों को अविलंब सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराया जाय अन्यथा भविष्य में संपूर्ण जिले के कर्मचारियों द्वारा कार्य का बहिष्कार किया। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के मुखिया की होगी।बगैर सुरक्षा साधनों के खतरों से खेल रहे हैं ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक’
बिना सुरक्षा के कोरोना के खिलाफ जंग में उतरे कोरोना वारियर्स
वैश्विक महामारी कोविड-19 के रोकथाम के लिए राज्य और केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। किंतु यह संक्रमण रखतबीज दानों की तरह अपना दायरा बढ़ाता चला जा रहा है। सबसे गंभीर सवाल यह है कि इस जंग में प्रथम पंक्ति के कोरोना वारियर्स भी इसकी चपेट में आ गए हैं। कांकेर जिले में अब तक 15 सक्रिय मरीजों की पहचान हुई है जिनमें से 5 स्वास्थ्य विभाग के हैं। आयुष सिंह, जिला चिकित्सालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, चिरायु दल एवं कार्यालयीन कर्मचारी जैसी स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शाखाओं में भी कोरोना वायरस ने अपने पैर पसार लिए।
अब मात्र मैदानी अमला ही सुरक्षित रह गया है जिसके अंतर्गत ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक, सुपरवाइजर एवं बीटीओ आते हैं। किंतु खतरा इनके सर पर भी मंडरा रहा है। गौरतलब है की संक्रमित व्यक्तियों से प्राइमरी कांटेक्ट में आए कई स्वास्थ्य संयोजक की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है एहतियात के तौर पर इन्हें भी होम कोरोनटाइन किया गया है।
’ आपको बता दें की एक ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला व पुरुष की तैनाती ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में 3000 की जनसंख्या एवं शहरी व मैदानी क्षेत्रों में 5000 की जनसंख्या पर होती है। 28 से अधिक राष्ट्रीय कार्यक्रम का क्रियान्वयन एवं 14 योजनाओं सहित समय अनुरूप व परिस्थितिजन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी इनकी होती है। 24 घंटा अपने निर्धारित मुख्यालय में रहते हुए प्रसव गर्भवती माताओं व बच्चों की जांच टीकाकरण टीवी कुष्ठ मलेरिया के मरीजों का इलाज एवं निगरानी परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी देना आदि आदि कार्य भी इनके द्वारा किए जाते हैं। जर जमीन से जुड़े वाह पीड़ित मानवता जैसे पुनीत कार्य को करने वाले इन सैनिकों के बदौलत ही आज देश पोलियो एवं टेटनस मुक्त हो पाया है।’
’ कोविड-19 महामारी काल में भीम की चुनौतियां अत्याधिक बढ़ गई हैं। कंटेंटमेंट जोन में एक्टिव सर्विलेंस कर कड़ी निगरानी रखना, टाइम सेंटर में पहरा देना, मजदूरों छात्रों व अन्य राज्य से आने वाले व्यक्तियों की पताशाजी कर उन्हें चौकस नजरों से अपने निगरानी में रखना, गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को स्वास्थ्य परामर्श देना, जैसी सारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। किंतु पर्याप्त सुरक्षा संसाधनों के अभाव व उच्चाधिकारियों के उचित प्रोत्साहन की कमी से इनमें निराशा के भाव भी देखने को मिल रहे हैं।’
इस विषय पर स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष जेठू राम नेताम ने बताया कि पिछले 3 माह से संघ के द्वारा ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक को पर्याप्त सुरक्षा सामग्री उपलब्ध कराने हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लगातार पत्राचार के माध्यम से आवेदन व निवेदन किया जा रहा है। इसी संदर्भ में संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं इंद्रावती भवन नया रायपुर के संचालक द्वारा भी उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर आवश्यक सुरक्षा किट उपलब्ध कराने हेतु आदेश निर्देश प्रसारित किए गए। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ जिला कांकेर के अध्यक्ष कदम व कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के जिला संयोजक प्रमोद तिवारी द्वारा भी इस विषय पर केएल चौहान कलेक्टर कांकेर व जेएल उइके मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कांकेर का ध्यानाकर्षण कर स्वास्थ्य संयोजक को पर्याप्त सेफ्टी किट उपलब्ध कराने की बात रखी। किंतु दुख का विषय है आज भी कई जगह पर मास्क सेनीटाइजर ग्लव्स जैसे मूलभूत सुरक्षा संसाधन कोरोना वारियर्स स्वास्थ्य संयोजक की पहुंच से दूर है। अधिकारियों द्वारा लगातार हमारे साथियों को संक्रमित क्षेत्रों में कार्य करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है एवं कार्यवाही का डर दिखाया जा रहा है।
’संघ के सचिव रामेश्वर साहू ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारा संघ कर्मचारी हित के लिए सदैव तत्पर रहा है किंतु यह निराशाजनक स्थिति है कि हमारे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा कर्मचारी की समस्या एवं मांग संबंधी भेजे गये पत्रों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है तथा इनका प्रत्युत्तर भी नहीं मिलता। हमारे साथी लगातार बिना अवकाश के नौतपा के चिलचिलाती धूप व गर्मी में अपने तथा अपने परिवार वालों की प्रवाह किए बगैर इस चुनौती में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। किंतु उच्चाधिकारियों की ऐसी निराशा पूर्ण रवैया से जिले के समस्त ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक का मनोबल कमजोर हो रहा है। लोकतंत्र के चौथे आधार स्तंभ मीडिया के माध्यम से हम अपनी व्यथा को बयां करते हुए अधिकारियों से पुनः निवेदन कर रहे हैं कि हमारे साथियों को अविलंब सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराया जाय अन्यथा भविष्य में संपूर्ण जिले के कर्मचारियों द्वारा कार्य का बहिष्कार किया। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के मुखिया की होगी।

 

 

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