छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

कोरोना के बढते संक्रमण के बाद भी रेलवे लोको पायलटों को लेकर गंभीर नही

डोंगरगढ़ के रनिंग रूम में महाराष्ट्र के लोको पायलटों के साथ रूकने के आदेश से भयभीत है लोको पायलट

महाराष्ट्र में कोरोना से अत्यधिक लोगों के मरने और संक्रमण के कारण सता रहा है इनको कोरोना संक्रमण का खतरा

BHILAI । मुख्यालय से ट्रेन लेकर डोंगरगढ़ और बिलासपुर तक जाने वाले भिलाई -दुर्ग के लोको पायलट रेलवे के स्थानीय अफसरों के रनिंग रूम में ठहरने के आदेश से भयभीत है। लॉकडाउन के शर्तों का पालन रेलवे के रनिंग रूम में नहीं किए जाने पर सवाल उठ रहा है। इन रनिंग रूम में दीगर प्रदेश के रेड जोन से आकर ठहरने वाले स्टाफ के चलते ग्रीन जोन के पायलटों के कोरोना संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है।

कोरोना संक्रमण के लिहाज से रेलवे के डोंगरगढ़ स्थित रनिंग रूम को बेहद ही संवेदनशील माना जा रहा है। इसके पीछे यहां पर नागपुर व गोंदिया के पायलट व असिस्टेंट के ठहरने का तर्क दिया जा रहा है। दरअसल नागपुर में कोरोना के चलते 7 लोगों की मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र के इस शहर और इसके आसपास कोरोना संक्रमितों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इस वजह से भिलाई -दुर्ग के पायलट और असिस्टेंट डोंगरगढ़ के रनिंग रूम में ठहरने को लेकर भयभीत नजर आ रहे हैं। पायलटों का कहना है कि दुर्ग जिला अभी ग्रीन जोन में आ चुकी है। जबकि नागपुर रेड जोन में बना हुआ है। ऐसी स्थिति में नागपुर व गोंदिया के पायलट व असिस्टेंट के साथ एक ही रनिंग रूम में रहने से भिलाई -दुर्ग में कोरोना का संक्रमण फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने अभी लॉकडाउन चार लागू है। इस दौरान छत्तीसगढ़ में प्राय: सभी तरह की दुकानें सोमवार से शुक्रवार के बीच एक निश्चित समयावधि तक खुल रही है। स्थानीय होटल व रेस्टोरेंट को भी खोलने की छूट बिठाकर नहीं खिलाने की शर्त पर दी गई है। लेकिन रेलवे के रनिंग रूम में इस शर्त का पालन नहीं हो पाने की स्थिति में है। इसी वजह से लोको पायलट में कोरोना संक्रमित होने का भय सता रहा है।

ज्ञातव्य हो कि रेलवे के रनिंग रूम में अलग-अलग मुख्यालय से लोको पायलट को ट्रेन लेकर आने के बाद ठहरना पड़ रहा है। इस दौरान उन्हें होटल व रेस्टोरेंट की तरह ही भोजन परोसने की व्यवस्था सुनिश्चित है। जबकि कोरोना संक्रमण के चलते होटल व रेस्टोरेंट में खानपान की सामग्री पार्सल के रूप में ही बेची जा रही है। इस लिहाज से यह कहना गलत नहीं होगा कि रेलवे का लोको पायलटों को रनिंग रूम में ठहरने का दिया गया आदेश लॉकडाउन की शर्तों का खुला उल्लंघन है।

भिलाई  के बीएमवाय और दुर्ग में पदस्थ लोको पायलट की ड्यूटी डोंगरगढ और बिलासपुर के बीच लगती है। ट्रेन लेकर दोनों दिशा में जाने वाले पायलट और असिस्टेंट वापसी की ड्यूटी लगने से पहले तक डोंगरगढ़ और बिलासपुर के रनिंग रूम में ठहरते हैं। यहीं पर उनके भोजन और आराम की व्यवस्था रहती है। लॉकडाउन 1 से लेकर 3 तक रेलवे बोर्ड के निर्देश पर पायलट और असिस्टेंट को इंटरपोज की सुविधा दी जा रही थी।

इस सुविधा के तहत उन्हें ट्रेन लेकर गंतव्य तक पहुंचने के दौरान बीच रास्ते से ही मुख्यालय वापसी के लिए उस दिशा में जा रही ट्रेन में ड्यूटी लगा दी जा रही थी।

इससे पायलटों को रनिंग रूम में रुकने की जरुरत नहीं थी। रेलवे प्रशासन भी यही चाहती थी। ताकि लॉकडाउन के शर्तों का पालन हो सके। वहीं जिन पायलट और असिस्टेंट का इंटरपोज संभव नहीं हो पा रहा था, उन्हें किसी भी गुड्स टे्रन में घर वापसी की सुविधा दी जा रही थी। लेकिन चार दिन पहले अचानक रेलवे के स्थानीय प्रशासन ने लॉकडाउन से पहले की तरह ड्यूटी लगाते हुए सभी पायलट व असिस्टेंट के लिए रनिंग रूम में ठहरने का आदेश जारी करने से खलबली सी मच गई है।

गौरतलब रहे कि बिलासपुर के रनिंग रूम में मध्यप्रदेश के शहडोल तथा ओडिशा के झारसुगुड़ा और ब्रजराजनगर के पायलट ठहरते हैं। इन्हीं के साथ भिलाई  और दुर्ग के पायलट को भी ठहरना पड़ रहा है। दोंगढ़ गढ़ के रनिंग रूम की स्थिति भी इसी तरह बनी हुई। यहां पर महाराष्ट्र के गोंदिया व नागपुर से आने वाले पायलट ठहरते हैं। इनके साथ ही भिलाई , दुर्ग व रायपुर के पायलट व असिस्टेंट को भोजन व आराम करने की मजबुरी से कोरोना संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ गया है।

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