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चीन की शर्त- LAC पर रुके निर्माण कार्य, राजनाथ सिंह ने CDS, तीनों सेना प्रमुखों के साथ लिया सुरक्षा जायजा । Rajnath Singh Reviews Security With CDS, 3 Service Chiefs as China Seeks Halt to Infra Work Along LAC | nation – News in Hindi

श्रेया ढौंडियाल
नई दिल्ली. केंद्रीय रक्षा मंत्री (Union Defence Minister) राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मंगलवार को चीन (China) के साथ लद्दाख में चल रही सीमा पर तनातनी को लेकर एक लंबी सिक्योरिटी रिव्यू मीटिंग की. इस बैठक में उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत, और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल थे.

यह रिव्यू मीटिंग (Review Meeting) पिछले दो हफ्तों में हुई लगातार बातचीत में हालिया प्रगति है. इस बातचीत में भारत लगातार चीन (China) की ओर से दिखाई जा रही आक्रामकता का जवाब देने के अपने विकल्पों की तलाश कर रहा है.

दोनों पक्ष विवादित बॉर्डर के इलाके पर जताते रहे हैं अपना दावासिंह को चीन के साथ भारत की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की स्थिति के बारे में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने जानकारी दी. LAC दोनों देशों के बीच का वास्तविक बॉर्डर है, जहां से सेना प्रमुख दो दिन पहले ही लेह से स्थिति का जायजा लेकर लौटे हैं.

भारत और चीनी बलों के बीच 5 मई को हुई पहली सीमा झड़प के बाद से मामले पर तनाव को कम करने के लिये आयोजित की गई 6 दौर की बातचीत असफल रही है और दोनों ही पक्ष विवादित बॉर्डर के इलाके पर अपने कब्जे का आक्रामक दावा करते रहे हैं.

चीन की शर्त- LAC पर मूलभूत ढांचे के निर्माण कार्य बंद करे भारत
सूत्रों का कहना है कि चीन ने यह शर्त रखी है कि भारत LAC पर अपनी ओर भी मूलभूत ढांचे का निर्माण कार्य बंद कर दे, यह एक ऐसी शर्त है जो कि नई दिल्ली को अस्वीकार्य ही रहेगी. वहीं सूत्रों ने बताया कि दूसरी ओर भारत ने चीन से कहा है कि वह बॉर्डर पर वर्तमान स्थिति को बनाये रखे.

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिये विवाद की मुख्य जड़ सीमा पर 255-किलोमीटर दरबोक-श्योक-डीबीओ सड़क रही है, जिसे भारत ने पिछले साल सीमा पर अपनी ओर बनाया था. यह देपसांग क्षेत्र और गलवान घाटी तक जाती है और काराकोरम दर्रे के पास समाप्त होती है. बुनियादी ढांचे के विकास ने गश्तों को संचालित करना आसान बना दिया है, साथ ही इससे गश्तों की आवृत्ति भी बढ़ाई जा सकती है.

भारत और चीन के बीच गहराया तनाव बना रहेगा चर्चा की वजह
मंगलवार की बैठक तीन दिन के द्वि-स्तरीय सैन्य कमांडरों की कॉन्फ्रेंस के लिए दिल्ली में शीर्ष सेना कमांडरों से मिलने से एक दिन पहले हुई है. जबकि सेना के सूत्रों ने कहा है कि कॉन्फ्रेंस का ध्यान रसद और मानव संसाधनों पर केंद्रित होगा. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन के साथ सीमा पर जारी स्थिति चर्चा पर हावी रहने वाली है.

इस महीने के शुरू में तनाव तब बढ़ गया था जब लद्दाख में पैगोंग त्सो झील क्षेत्र में लगभग 250 भारतीय और चीनी सेना के जवान लोहे की छड़ों और डंडे लेकर भिड़ गए थे और दोनों तरफ के सैनिकों ने पथराव किया था जिसमें दोनों पक्षों के लोग घायल हुए थे.

एक अलग घटना में, लगभग 150 भारतीय और चीनी सैन्यकर्मी 9 मई को सिक्किम सेक्टर में नकु ला दर्रा के पास आमने-सामने आ गये थे. दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिकों को गंभीर चोटें आई थीं.

हिंसक झड़पों के बाद, भारत और चीन दोनों ने अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है, पूर्वी लद्दाख में तीन क्षेत्रों में LAC के पास कुछ हिस्सों में अतिरिक्त किलेबंदी और निर्मित टेंट लगाए हैं. भारतीय सेना ने भी LAC की ओर से चीनी टुकड़ी के निर्माण की रिपोर्टों के बाद उत्तराखंड में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है.

यह भी पढ़ें: भारत को चीन के साथ LAC को लेकर स्थिति साफ करने के प्रयास करने चाहिए

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