पश्चिम बंगाल के श्रमिक बोले- लाकडाउन में छत्तीसगढ़ से मिली मदद हो कभी भूला नहीं पाएंगे
सबका संदेश
साईकिल में सुरत से कलकत्ता लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को छत्तीसगढ़ में मिला अपनों सा स्नेह और मदद
पश्चिम बंगाल के श्रमिक बोले- लाकडाउन में छत्तीसगढ़ से मिली मदद हो कभी भूला नहीं पाएंगे
प्रवासी श्रमिकों को छत्तीसगढ़ के कबीरधाम के चिल्फी में भोजन और आराम करा कर उनके मंजिल तक राज्य की अंतिम सीमा तक बस से छोड़ा गया
कवर्धा, 24 मई 2020। कोरोना के रोकथाम के लिए जारी देश व्यापी लाॅकडाउन में आज हर प्रवासी श्रमिक और हर नागरिक अपने-अपने घर सुरक्षित लौटने के लिए बेताब है। कही सरकारी मदद से तो कही अपने संसाधनों से घर लौट रहे है। छत्तीसगढ़ की सीमा बार्डर में राजस्थान से साईकिल में सवार हो अपने घर पंश्चित बंगाल लगभग 2 हजार किलोमीटर के लिए निकले 19 प्रवासी श्रमिकों की कहानी ने दिल को झकझोर कर रख दिया। कोरोना के इस संकट काल में उन्हे छत्तीसगढ़ की सीमा कबीरधाम की चिल्फी में मिले अपनो सा स्नेह, मदद, मिट्टी की घड़े में रखे ठंडा पानी, सुखा नास्ता और भरपेट भोजन ने पेट और गले को तर कर दिया और उनके सभी दुख-दर्द को मिटा दिया। सभी श्रमिकों को बस के माध्यम से छत्तीसगढ़ की प्रवेश सीमा कबीरधाम से लेकर प्रदेश के अंतिम सीमा क्षेत्र महासमुंद जिले के सीमा क्षेत्र तक उनके मंजिल के आगे तक की सफर के लिए निःशुल्क छोड़ा गया। श्रमिकों ने कहा इस संकट में छत्तीसगढ़ से मिले अपनो सा मदद और स्नेह को कभी नहीं भूला पाएंगे। कोरोना संकट के इस दौर में सुरत से लेकर पंश्चिम बंगाल तथा जीवन के इस लम्बी यात्रा मंे छत्तीसगढ़ से मिले मदद अपने स्मृति में सदैव सुखद पल बन कर रहेगा। इस मदद के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, जिला प्रशासन, बोडला एसडीएम श्री विनय सोनी और चिल्फी में संचालित सेवा सदन के प्रति आभार व्यक्त किया हैं।
राजस्थान के सुरत से अपने घर लगभग 2 हजार किलोमीटर दूर के लिए साईकिल से निकले पंश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिको ने बताया कि वह सुरत में काम करते है। कुछ श्रमिक सोने-चांदी के आभूषण बनाते है, तो कुछ कपड़े के मिल में काम करते है, तो कुछ वहां दैनिक मजदूरी करते है। लम्बे समय से सुरत में रहकर अपने और परिवार का भरण पोषण करते है। परितोष नाम के श्रमिक ने बताया कि वह कभी जिंदगी में ऐसा नहीं सोचा था कि कभी ऐसा वक्त आएगा जब उन्हे पंश्चित बगांल तक के लिए साईकिल से सफर करना पड़ेगा। सुरत में ही जब गुगल से ही पंश्चिम बंगला की दूरी का पता लगाया गया तब लगभग दो हजार किलोमीटर की दूरी की जानकारी मिलतेे ही हम सब हैराने थे। आखिर साईकिल से कैसे सफर तय होगा। उनके साथी रघ्घु सहित सभी ने हौसला बढ़ाया और निकल पड़े पश्चिम बंगाल के लिए। एक और साथी शिव ने कहा कोई ना कोई इस संकट में फरिस्ता बनकर मदद के लिए आएंगे और दूरी कम हो जाएगी।
परितोष ने बताया कि उनके साथी का कहना सच साबित हुआ। लगभग 11 सौ किलोमीटर आधा दूरी साईकिल यात्रा करने के बाद छत्तीसगढ़ पहुंचे ही मदद के लिए एक फरिस्ता बन कर आ ही गया। चिल्फी में संचालित सेवासदन के फादर एलोसियस एम्ब्रोस ने श्रमिकों की मदद के लिए संचालित छत्तीसगढ़ सरकार के टोल फ्री नम्बर पर श्रमिकों के लिए मदद मांगी। राज्य शासन के निर्देश पर कबीरधाम कलेक्टर श्री अवनीश कुमार शरण के मार्गदर्शन में बोडला एसडीएम और उनकी टीम द्वारा सभी प्रवासी श्रमिकों को चिल्फी के राहत शिविर में सुखा नास्ता, ठंडा पानी, और भरपेट भोजन कराया गया। श्रमिकों की यात्रा हिस्ट्री की जानकारी लेने के बाद सभी श्रमिकों को कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए मास्क दिया गया। रास्ते में सफर के लिए सुखा नास्ता भी दिया गया और राज्य की अंतिम सीमा महासमुंद जिले के सराईपाली-सुहेला बार्डर तक बस के माध्यम से छोड़ा गया। सभी श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ में मिले स्नेह और अपना का व्यवहार के लिए सहृदयता से आभार व्यक्त किया।