कोरोना संक्रमण के भय में शहर के सभी सार्वजनिक प्याऊ घर भी लॉकडाउन में
भीषण गर्मी में अपनी प्यास बुझाने नही मिल पा रहा लोगों को सार्वजनिक प्याऊघर की सुविधा
भिलाई । देर से ही सही पर अब गर्मी का प्रकोप तेज होने लगा है। लॉकडाउन में छूट के बाद लोगों का घर से निकलना शुरू हो गया है। ऐसे लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए सार्वजनिक प्याऊ की सुविधा नहीं मिल पा रही है। कोरोना संक्रमण के भय में शहर के सभी सार्वजनिक प्याऊ घर लॉकडाउन है। इस वजह से बरसों बाद आम लोगों की प्यास बुझाने की शहर में कायम परंपरा टूट सी गई है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने घोषित लॉकडाउन का असर सार्वजनिक प्याऊ घरों पर भी हुआ है। गर्मी का प्रकोप तेज हो गया है लेकिन शहर में कहीं पर भी प्याऊ घर का संचालन इस बार शुरू नहीं हो सका है। इससे राहगीरों को प्यास बुझाने में दिक्कत हो रही है। प्रशासन ने कुछ शर्तों के साथ लॉकडाउन में छूट प्रदान किया है। इसके साथ ही बाजार और सड़कों पर लोगों आवाजाही बनी हुई है। लेकिन लोगों को प्यास लगने पर सार्वजनिक प्याऊ खोजे नहीं मिल रहे हैं। संपन्न वर्ग बोतल बंद पानी से अपने कंठ को तर कर रहे हैं लेकिन आम गरीब राहगीरों की प्यास नही बुझ पा रही है।
फोरलेन सड़क पर सुपेला चौक के ट्रेफिक टावर के पास हर साल सार्वजनिक प्याऊ खोला जाता है। पावर हाउस चौक पर स्वर्गीय रितेश बिचपुरिया की स्मृति में उनके जन्मदिन पर 13 अप्रैल से सार्वजनिक प्याऊ शुरू किए जाने की परंपरा रही है। खुर्सीपार गेट तिराहे के पास हनुमान मंदिर के किनारे भी प्याऊ शुरू किया जाता रहा है। इसके अलावा नहरूनगर चौक से लेकर कुम्हारी तक फोरलेन सड़क पर अनेक प्याऊ गर्मी का मौसम शुरू होते ही खुल जाते थे। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सभी निजी व सार्वजनिक प्याऊ शुरू होने से पहले ही बंद है। भिलाई टाउनशिप में जेपी चौक के पास सेक्टर-2 इलाके में स्व सरदार करतार सिंह द्वारा स्थापित प्याऊ में पुरी तरह लॉकडाउन के चलते प्यासों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। सेक्टर-5 चौक रिसाली के डीपीएस चौक, सेक्टर-2 सिविक सेंटर, सेक्टर-1 पावर हाउस स्टेशन के पास के सभी प्याऊ में ताला लटक रहा है।
गौरतलब रहे कि फोरलेन सड़क से अभी भी प्रवासी मजदूरों का पैदल और विभिन्न साधन से गुजरने का सिलसिला थमा नहीं है। सार्वजनिक प्याऊ ऐसे प्रवासी मजदूरों के प्यास बुझाने में अहम किरदार निभा सकते थे। इसके अलावा वाहन चालकों की प्यास भी इन्ही सार्वजनिक प्याऊ घरों के माध्यम से बुझ सकती थी। लेकिन बरसों बाद ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है कि फोरलेन सड़क के किनारे सार्वजनिक प्याऊ घर खोलने की परंपरा टूट गई सी गई है।