लॉकडाउन में घर बैठे-बैठे कैसे और कितने मोटे हो रहे हैं लोग? | Know how people are gaining weight and how much during covid 19 lockdown | rest-of-world – News in Hindi

ताला खुलेगा तो लोग नहीं पहचानेंगे?
हालांकि यह अतिशयोक्ति है, जो सोशल मीडिया पर बन रहे मीम्स में ज़ाहिर की जा रही है. वेट गेन और क्वारैण्टीन 15 जैसे हैशटैग लॉकडाउन के दौरान समय समय पर ट्रेंड करते रहे हैं. मीम्स में लोग फोटो डालकर बता रहे हैं कि लॉकडाउन से पहले वह कैसे थे और मोटापे की अपनी ही एक काल्पनिक तस्वीर डालकर अंदाज़ा दिखा रहे हैं कि लॉकडाउन के बाद उनकी हालत कैसी होने वाली है.
क्यों बढ़ रहा है मोटापे का खतरा?लॉकडाउन के चलते लोगों का सोने जागने का शेड्यूल पूरी तरह बिगड़ चुका है. विकल्प कम होने के कारण ज़्यादा कैलोरी वाले भोजन का सेवन किया जा रहा है और देर रात तक जागने के कारण सुबह का व्यायाम नहीं किए जाने के भी मामले विशेषज्ञ नोटिस कर रहे हैं. कोविड 19 के संक्रमण से बचाव के चक्कर में लोग लाइफस्टाइल बीमारियों जैसे डायबिटीज़, दिल के रोग, हाइपरटेंशन और बीपी की समस्याओं से घिर सकते हैं.

खानपान सहित लोगों के सोने जागने और व्यायाम का शेड्यूल भी बिगड़ा है. फाइल फोटो.
आंकड़ों का एक उदाहरण
केरल को देश में मोटापे की राजधानी माना जाता रहा है. डेवलपमेंटल स्टडीज़ केंद्र के मुताबिक यहां के आंकड़े देखें. 15 से 60+ उम्र के पुरुषों में से 52.5% बीपी की समस्या है जबकि 56.3% महिलाओं में. इसी तरह, 15 से ज़्यादा की उम्र के 41.6% पुरुष और 38.8% महिलाएं डायबिटीज़ की शिकार हैं. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि लॉकडाउन के बाद ये प्रतिशत और बढ़े दिख सकते हैं और समस्याएं भी और बढ़ी नज़र आ सकती हैं.
तो क्या कदम उठा रहे हैं विशेषज्ञ?
डायटिशियन, फिज़िशयन और फिटनेस विशेषज्ञ इंटरनेट और टीवी के ज़रिये अपने मरीज़ों या सामान्य रूप से लोगों के साथ कनेक्ट होकर उन्हें बेहतर डाइट के लिए टिप्स दे रहे हैं. वहीं मिलिंद सोमन जैसे सेलिब्रिटी फिटनेस को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. कई विशेषज्ञ योग और व्यायाम संबंधी मशवरे दे रहे हैं ताकि आप लॉकडाउन के समय में अपने वज़न को नियंत्रित रख सकें.
कैसे बढ़ रहा है वज़न?
लॉकडाउन के समय में एक तो चिंताओं और आशंकाओं के चलते लोगों ने घरों में राशन और पैकेज्ड फूड का स्टॉक किया है. दूसरा, वर्क फ्रॉम होम के कारण कई लोग घरों में बेकाबू तरीके से कुछ न कुछ हर समय खा या पी रहे हैं, इनमें पैकेज्ड फूड ज़्यादा है. तीसरे, चिंता और डर के कारण शरीर में जो हॉर्मोन संबंधी प्रक्रियाएं होती हैं, वो भी मोटापे या डायबिटीज़ व बीपी जैसे रोगों का कारण बनती हैं. और, वर्क फ्रॉम होम व इंटरनेट या टीवी देखने में ज़्यादा समय बिताने के कारण सोने जागने का अनुशासन बिगड़ा है.
क्या यह सिर्फ भारत का हाल है?
नहीं. पश्चिमी देशों में भी मोटापे को लेकर बड़ी चिंताएं सामने आई हैं. वेबएमडी पत्रिका ने एक हज़ार अमेरिकी पाठकों के बीच एक सर्वे किया तो पता चला कि कोविड 19 संबंधी प्रतिबंधों के चलते करीब आधी महिलाओं और एक चौथाई पुरुषों ने वज़न बढ़ने की बात मानी. वहीं, अमेरिका से बाहर किए गए सर्वे में शामिल आधे से ज़्यादा पुरुषों और एक तिहाई महिलाओं ने वेट बढ़ने की बात कही. दूसरी तरफ, एक महीने के भीतर 5 लाख से ज़्यादा फेसबुक यूज़रों ने क्वारैण्टीन वेट गेन और क्वारैण्टीन15 जैसे हैशटैग का इस्तेमाल किया.
विदेशों में वेट गेन का कारण?
मार्च के आखिरी दो हफ्तों में फरवरी की तुलना में अमेरिकियों ने कैंडी 266% ज़्यादा खाई. इसके अलावा ब्रेड 54% औ नूडल्स 36% ज़्यादा खाए गए यानी कार्बयुक्त भोजन के सेवन में इजाफ़ा हुआ. एक और डेटा में बताया गया कि अमेरिकियों ने बेकिंग चीज़ें 40% ज़्यादा खाने की बात कही. दूसरी तरफ, 70% अमेरिकियों और 35% अमेरिका से बाहर के लोगों ने कहा कि वो ‘तनाव की वजह से ज़्यादा खा’ रहे हैं और वज़न बढ़ रहा है.
कहीं घट भी रहा है वज़न
ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन में हर जगह से वज़न बढ़ने के ही समाचार हैं. जो लोग इस समय का इस्तेमाल अपनी फिटनेस और इम्यूनिटी बढ़ाने पर कर रहे हैं, वो वज़न घटाने में कामयाब भी हो रहे हैं. भारत और अन्य कम आय वाले देशों में एक तरफ यह स्थिति भी है कि लोगों के पास खाने तक के लाले पड़े हैं तो दूसरी तरफ, विकसित देशों में डाइट को लेकर जागरूकता की भी खबरें हैं.
लाइफस्टाइल बीमारियों को लेकर चिंता
इन हालात में विशेषज्ञों की बड़ी चिंता यह है कि जो लोग पहले ही मोटापे या उससे जुड़ी बीमारियों के गंभीर शिकार थे, लॉकडाउन के कारण उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हुई है. दूसरी तरफ, लॉकडाउन के चलते बेतहाशा खाने पीने और शारीरिक मेहनत कम होने जैसी वजहों से लाइफस्टाइल रोगों का खतरा बढ़ेगा.
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