भारत का COVID-19 आर्थिक पैकेज दिखने में बड़ा, असल में नहीं- रेटिंग एजेंसी | business News in Hindi
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच किस्तों में इस पैकेज विस्तृत घोषणाएं की थी.
फिच सॉल्यूशंस (Fitch Solutions) ने अपने नोट में कहा, पैकेज की करीब आधी राशि राजकोषीय कदम से जुड़ी है, जिसकी घोषणा पहले की जा चुकी थी. साथ ही इसमें रिजर्व बैंक की मौद्रिक राहत वाली घोषणाओं के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले अनुमान को भी जोड़ लिया गया.
फिच सॉल्यूशंस ने अपने नोट में कहा, पैकेज की करीब आधी राशि राजकोषीय कदम से जुड़ी है, जिसकी घोषणा पहले की जा चुकी थी. साथ ही इसमें रिजर्व बैंक की मौद्रिक राहत वाली घोषणाओं के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले अनुमान को भी जोड़ लिया गया.
2020-21 में 1.8 फीसदी ग्रोथ रहने का अनुमान
रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक यह केंद्र सरकार की कोविड-19 संकट केबीच राजकोषीय विस्तान की अनिच्छा को दिखाता है. जबकि देश की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 2020-21 में 1.8 फीसदी रहने का अनुमान है. फिच ने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ रहा है, क्योंकि एक तरफ कोविड-19 का संक्रमण बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ घरेलू और वैश्कविक दोनों मांग भी कमजोर है. हमारा मानना है कि सरकार के प्रोत्साहन में जितनी देरी होगी अर्थव्यवस्था के नीचे जाने का खतरा उतना बढ़ता जाएगा. अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार को और अधिक खर्च करने की जरूरत है, हालांकि इस वजह से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है.
नोट के मुताबिक 13 से 17 मई के बीच कई गई घोषणाओं में सरकार ने लोन गारंटी, लोन चुकाने की अवधि में विस्तार इत्यादि के साथ नियामकीय सुधार किए हैं. हालांकि पैकेज के तहत किया जाने वाला नया व्यय जीडीपी का मात्र एक फीसदी है. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, यह पैकेज अर्थव्यवस्था की तात्कालिक चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं है. इसलिए हम वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार और देश के संयुक्त स्तर पर घाटे का अनुमान बढ़ाकर क्रमश: 7 फीसदी और 11 फीसदी कर रहे हैं. पहले यह अनुमान क्रमश: 6.2 फीसदी और 9 फीसदी था.
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए मनी से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: May 19, 2020, 5:49 PM IST