क्यों पीठ दिखाकर वेलकम किया गया इस यूरोपियन मुल्क की PM का silent protest of medical staff in belgium against prime minister sophie wilmes coronavirus | knowledge – News in Hindi

क्या है मामला
पीएम सोफी के लिए ये वक्त काफी मुश्किल बताया जा रहा है. देश की पहली सर्वोच्च महिला लीडर होने के नाते उन्हें लोगों का यकीन भी जीतना है. बता दें कि देश के 189 साल के इतिहास में सोफी पहली महिला पीएम हैं. कोरोना के हालात जांचने के लिए हाल ही में पीएम ने ब्रुसेल्स के एक अस्पताल का दौरा किया, जहां के स्टाफ ने उन्हें पीठ दिखाते हुए वेलकम किया. ब्रुसेल्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल स्टाफ का मानना है कि हेल्थकेयर वर्कर्स को PPE की सुविधा नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है.

अस्पताल स्टाफ का मानना है कि हेल्थकेयर वर्कर्स को PPE की सुविधा नहीं मिल रही है
उनका ये भी आरोप है कि उन्हें काम के मुताबिक तनख्वाह नहीं मिल रही. इसके अलावा इतनी संक्रामक बीमारी के दौरान लगातार काम करते नर्सिंग स्टाफ की मदद के लिए गैर-पेशेवर लोगों को काम पर लगाया जा रहा है जो कि और भी खतरनाक है. इसी असंतोष के कारण पीएम के अस्पताल कैंपस में आते ही पूरा का पूरा मेडिकल स्टाफ अपनी पीठ मोड़कर खड़ा हो गया. विरोध का ये अनोखा और काफी मजबूत तरीका आनन-फानन वायरल हो गया.
#BELGIUM – Protest against the Prime Minister Sophie Wilmes, hospital St. Pierre in Brussels.#coronavirus pic.twitter.com/fFsfgtfHKd
— Ali Özkök (@Ozkok_A) May 16, 2020
दूसरे वर्ल्ड वॉर से भी ज्यादा भयावह आंकड़ा
लोगों का गुस्सा बेल्जियम में कोरोना के कारण सबसे ज्यादा मृत्युदर पर है. मृत्युदर की बात करें तो ये देश वाकई में दुनिया में सबसे बुरी तरह से संक्रमित है. यहां अब तक 9,080 जानें कोरोना इंफेक्शन के कारण गई हैं. इसे अगर आबादी के हिसाब से देखें तो आंकड़ा और डरावना है. बेल्जियम की कुल आबादी 11.5 मिलियन है. यानी इस हिसाब से हर 1 लाख पर 66 लोग कोरोना के कारण मारे जा रहे हैं. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी (Johns Hopkins University) के मुताबिक ये डाटा अमेरिका से भी ज्यादा है, जहां की कुल आाबादी 330 मिलियन है और इसके हिसाब से वहां हर 1 लाख पर 19 लोगों की मौत हो रही है.
क्यों हो रही हैं इतनी मौतें
वहां के एक्सपर्ट्स के अनुसार इसकी एक वजह देश में कोरोना के कारण हर जगह हो रही मौतों को शामिल करना है. इस देश में न सिर्फ अस्पताल, बल्कि केयर होम्स, नर्सिंग होम्स और घरों में हो रही मौतों को भी आंकड़े में जोड़ा जा रहा है, इसी वजह से डाटा इतना बड़ा-चढ़ा दिख रहा है. जबकि दूसरे देशों में ज्यादातर मामलों में अस्पतालों में ही हो रही मौतें दर्ज की जा रही हैं.

मृत्युदर की बात करें तो ये देश वाकई में दुनिया में सबसे बुरी तरह से संक्रमित है
क्या है बेल्जियम की तैयारी
इस देश में 18 मार्च से ही लॉकडाउन लगा हुआ है. इसके तहत बेहद जरूरी सेवाओं को छोड़कर सारा बिजनेस बंद है और लोग घरों पर हैं. परिवार का केवल एक ही सदस्य जरूरी शॉपिंग के लिए बाहर जा सकता है. कॉलोनीज और पार्कों में ड्रोन हैं जो लगातार लोगों पर निगरानी रख रहे हैं और बेवजह घूमते लोगों से जुर्माना ले रहे हैं. बेल्जियम के पड़ोसी देश नीदरलैंड में इंटेलिजेंट लॉकडाउन लगा हुआ है. इसके कारण मजेदार वाकये भी हो रहे हैं, जैसे कोई दुकान जो दोनों देशों की सीमाओं के बीच आती है, उसका एक सेक्शन खुला हुआ है तो दूसरा पूरी तरह से बंद है. माना जा रहा है कि अगर सब ठीक दिखने लगा तो जून से यहां कैफे, रेस्त्रां और दूसरी चीजें खोल दी जाएंगी.
क्यों हो रहा है विरोध
देश में लगातार हो रही मौतों की संख्या इतनी भयावह है कि बीते महीने (अप्रैल) को दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सबसे डरावने महीने के तौर पर दर्ज किया गया. इसपर ब्रुसेल्स की Vrije Universiteit ने स्टडी की. इसके आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में ही देश में 14,790 मौतें हुई हैं. इसमें कोरोना के अलावा नॉन-कोरोना मौतें भी शामिल हैं. जबकि साल 1940 में नाजी हमले के दौरान हुई मौतें भी इससे कम थीं. हालांकि बेल्जियम की सरकार का मानना है कि उनके यहां मौतें इतनी ज्यादा इसलिए दिख रही हैं क्योंकि उन्होंने सरकारी और निजी अस्पतालों के अलावा नर्सिंग होम और ओल्ड एज होम में हुई कोरोना मौतों को भी शामिल किया है.
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