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मुंबई में क्यों है ​बिस्तरों की इतनी कमी कि इंतज़ार में मर रहे हैं कोविड 19 मरीज़! | Know why mumbai faces shortage of beds for corona virus patients | mumbai – News in Hindi

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस (Corona Virus) के कुल कन्फर्म केस 30 हज़ार से ज़्यादा हैं और मौतों की संख्या 11 सौ से ज़्यादा. इनमें से 18 हज़ार के आसपास कन्फर्म केस (Confirm Cases) अकेले मुंबई में हैं यानी राज्य में वैश्विक महामारी (Pandemic) के कहर का 60 फीसदी मुंबई में है, जहां मौतों का आंकड़ा भी राज्य की तुलना में ऐसा ही है. इस मामले में मुंबई भारत के अन्य महानगरों से आगे है. इन हालात में मुंबई में मरीज़ों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

कोविड 19 संक्रमण की रफ्तार में पिछले दिनों मुंबई में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है. ऐसे समझें कि 11 मार्च से 30 अप्रैल के बीच 51 दिनों में महानगरी में कुल 7061 कन्फर्म केस दर्ज हुए थे, जबकि ​मई महीने के पहले 15 दिनों में 10 हज़ार से ज़्यादा केस दर्ज हुए. इस तरह मरीज़ों की संख्या बढ़ने की वजह से अस्पतालों में बिस्तरों की बेहद कमी नज़र आने लगी है. वो भी तब जबकि केवल गंभीर मरीज़ों को ही अस्पताल की ज़रूरत होती है. जानें क्या है इस कमी का कारण और हालात कैसे बन रहे हैं.

पहले स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था समझें
सीसीसी : कोविड केयर सेंटर दो तरह के हैं. सीसीसी 1 में संक्रमण के संदिग्धों को क्वारैण्टीन किया जाता है और सीसीसी 2 में उन मरीज़ों को दाखिल किया जाता है, जो एसिम्प्टोमैटिक हों या हल्के लक्षणों वाले हों, लेकिन जिनकी मौजूदा हालत काबू में हो. मुंबई में सीसीसी 1 के लिए 22941 और सीसीसी 2 के लिए 34329 बिस्तर उपलब्ध हैं.

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न्यूज़ 18 क्रिएटिव.

डीसीएचसी : डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में कोविड 19 से पीड़ित सामान्य मरीज़ों के साथ ही उन्हें रखा जाता है, जिनमें सामान्य लक्षणों के साथ ही डायबिटीज़, हाइपरटेंशन, हृदय रोग जैसे रोगों की कोई हिस्ट्री रही हो या जो मरीज़ वरिष्ठ नागरिक हों. इस कैटेगरी के मरीज़ों के लिए 10 हज़ार से ज़्यादा बिस्तर उपलब्ध हैं.

डीसीएच : डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों में कोरोना वायरस से गंभीर रूप से पीड़ितों को रखा जाता है. ऐसे मरीज़ों को आईसीयू और वेंटिलेटरों की ज़रूरत होती है. उन मरीज़ों को भी यहां रखा जाता है, जिनकी सेहत बिगड़ने की आशंका ज़्यादा हो. डीसीएच में 4800 से कुछ ज़्यादा बिस्तर उपलब्ध हैं.

इंतज़ार में मर रहे हैं मरीज़

सीसीसी और डीसीएचसी में तो बिस्तरों की संख्या पर्याप्त मानी जा सकती है लेकिन डीसीएच की बात करें तो बिस्तर बेहद सीमित हैं. इस पूरे मुद्दे पर इंडियन एक्सप्रेस की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक इस स्थिति में बिस्तरों के लिए वेटिंग चल रही है और कई मरीज़ बिस्तर के इंतज़ार में ही दम तोड़ रहे हैं.

क्या है प्रशासनिक व्यवस्था और क्यों है संकट?
ब्रहन्मुंबई नगरपालिका का प्रोटोकॉल स्पष्ट है कि अगर डीसीएच में कोई मरीज़ स्थिर हालत में हो और उसकी देखभाल डीसीएचसी में संभव हो तो फौरन बिस्तर खाली करवाया जाए. अब एक तो यह प्रक्रिया बहुत धीमी रफ्तार से चल रही है और दूसरी तरफ, प्राइवेट अस्पताल इस प्रोटोकॉल को गंभीरता से नहीं ले रहे.

दक्षिण मुंबई वार्ड के उपायुक्त के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल एक मरीज़ को डीसीएच सुविधा में तब तक रख रहे हैं, जब तक टेस्ट निगेटिव न आ जाए. अगर कुछ दिनों तक हालत स्थिर रहती है तो मरीज़ को निचली श्रेणी की सुविधा में शिफ्ट किया जाना चाहिए. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. और बीएमसी के पास इतना स्टाफ नहीं है कि हर जगह निगरानी की जा सके.

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डॉक्टरों का तर्क क्या है?
प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों ने बीएमसी के इस इल्ज़ाम को खारिज किया है. केईएम अस्पताल के डॉ हेमंत देशमुख के मुताबिक ‘प्रोटोकॉल ये है कि क्रिटिकल मरीज़ों को डीसीएच सुविधा में रखा जाए. अब ऐसे मरीज़ हैं जो किडनी फेलियर या कैंसर के​ शिकार हैं. उनकी हालत तो स्थिर दिखती है लेकिन कभी भी बिगड़ सकती है, ऐसे में उन्हें वहां से हटाया नहीं जा सकता. यह हर डॉक्टर की ज़िम्मेदारी है.’

कैसे हो सकती है बिस्तरों की कमी?
डेटा को समझना ज़रूरी है. लक्षणों वाले और क्रिटिकल हालत वाले मरीज़ों को डीसीएच की ज़रूरत पड़ती है, तो महाराष्ट्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ऐसे मरीज़ कुल मरीज़ों के 30 फीसदी होते हैं. अब मुंबई में 15 मई तक के आंकड़े देखें तो साढ़े 12 एक्टिव केस हैं. इसके 30 फीसदी के हिसाब से 3750 से कुछ ज़्यादा मरीज़ों को डीसीएच की ज़रूरत है जबकि इस श्रेणी में उपलब्ध बिस्तर हैं 4800. फिर भी कमी है? क्यों?

बीएमसी की मानें तो अस्पताल रियल टाइम डेटा मुहैया नहीं करवा रहे. हर अस्पताल को बिस्तर भरने और खाली होने के समय पर डेटा देना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा इसलिए किसी भी वक्त देखें तो शहर डीसीएच सुविधा में 95 से 97 फीसदी बिस्तर भरे दिखते हैं. बिस्तर खाली होने के बावजूद बीएमसी की आपदा सेल को पता नहीं होता क्योंकि डेटा में दर्ज नहीं है और इसी वजह से ज़रूरतमंदों को समय पर बिस्तर अलॉट करने में भी देर या परेशानी हो रही है.

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मुंबई में कोविड 19 मरीज़ों के लिए अतिरिक्त बिस्तर जुटाने की कोशिशें जारी हैं. फाइल फोटो.

कैसे जूझा जा रहा है हालात से?
बीएमसी स्टाफ की कमी बता चुकी है इसलिए हर ​जगह निगरानी मुमकिन नहीं है. लेकिन ऐसी योजनाओं की बात कही जा रही है कि मई के आखिर तक डीसीएच में कम से कम 3300 बिस्तर और शामिल कर लिये जाएंगे. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने प्राइवेट अस्पतालों से भी 60 फीसदी बिस्तर कोविड 19 मरीज़ों के लिए सुरक्षित रखे जाने को कहा है.

दूसरी तरफ, बीएमसी कुछ सीसीसी 2 श्रेणी वाले केंद्रों में आईसीयू सुविधा की तैयारी में है. मुलुंड में एक स्कूल में सीसीसी 2 सुविधा केंद्र में 10 आईसीयू बिस्तर तैयार हो चुके हैं. इस योजना के विस्तार की तैयारियां हैं, जिनमें ऑक्सीज़न सपोर्ट की सुविधा भी होगी. बहरहाल, जब तक ये योजनाएं अमल में नहीं आतीं, मरीज़ों के पास इंतज़ार करने का ही विकल्प है.

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