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वित्तमंत्री के आर्थिक पैकेज को लेकर रेहड़ी-पटरी वालों का आया यह जवाब- 20 lakh crore relief package will solve the problems of the street vendors Nirmala Sitharaman nodrss | delhi-ncr – News in Hindi

वित्तमंत्री के आर्थिक पैकेज को लेकर रेहड़ी-पटरी वालों का आया यह जवाब

लोन देना रेहड़ी-पटरीवालों की समस्या का समाधान नहीं है-नासवी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की ओर से रेहड़ी-पटरीवालों के लिए की गई पांच हजार करोड़ रुपये के लोन की घोषणा से रेहड़ी वालों की सबसे बड़ी संस्था नासवी संतुष्ट नहीं है.

नई दिल्ली. देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के रेहड़ी-पटरी वालों को 5 हजार करोड़ रुपये लोन के लिए घोषित करने हजार पटरी वालों में असंतोष है. देश के 24 राज्यों से 9 लाख 90 हजार पटरी वालों के रजिस्ट्रेशन वाली संस्था नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स इन इंडिया (NASVI) का कहना है कि लॉकडाउन (Lockdown) के बाद से अधिकांश पटरी वाले भूखे मरने को मजबूर हैं. चौतरफा मार झेलने वाले रेहड़ी पटरी वालों के लिए सरकार ने ऋण की घोषणा तो कर दी है लेकिन यह ऋण तभी लिया जाएगा जबकि वे लोग भूख से जिंदा बच पाएंगे.

‘लोन देना रेहड़ी-पटरीवालों की समस्या का समाधान नहीं’
नासवी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद कहते हैं कि सिर्फ लोन देना रेहड़ी-पटरीवालों की समस्या का समाधान नहीं है. रेहड़ी वाले का व्यापार कम पैसों में भी शुरू हो सकता है लेकिन इसके बाद आने वाली मुश्किलें इतनी ज़्यादा हैं कि वह रोजाना कमाकर बमुश्किल ही परिवार का पेट भर पाता है.
आज दिल्ली से लेकर पूरे भारत में ठेला, रेहड़ी और पटरी बाजार की रीढ़ हैं. देश के घरों में ज़रूरत का 80 फीसदी सामान आज पटरी बाजार से ही आ रहा है लेकिन कोरोना की इस मार के बाद हुए लॉकडाउन में पटरीवाले सबसे ज्यादा मुसीबत झेल रहे हैं.जीवन बच सके इसलिए बैंक खातों में क्यों नहीं किया कैश ट्रांसफर?
अरविंद कहते हैं कि करीब दो महीने के लॉकडाउन के बाद पटरी वालों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल ज़िंदगी बचाने की है. रोज कमाकर रोज खाने वाले इन लोगों को इस वक्त खातों में सीधे कैश की ज़रूरत थी ताकि इस बेरोजगारी और कठिन वक्त में दो जून की रोटी खाकर ज़िंदा रह सकें. लोन की घोषणा करके सरकार ने इन लोगों की समस्या को समझा तो है लेकिन उसका कोई निदान नहीं निकाला है. ये लोग लोन तो तब लेंगे जब लॉकडाउन खुलेगा, बैंक में लोन की कार्रवाई और कागज पूरे होंगे. तब तक न जाने कितने लोग मारे जाएंगे.

नाईट मार्केट्स, वेंडर मार्केट्स, फ़ूड जोन्स की दी जाए अनुमति
अरविंद कहते हैं कि सरकार ने 50 लाख वेंडर्स का डेटा निकाला है लेकिन पिछले 50 दिनों में और शायद आने वाले कुछ दिनों में सिर्फ सब्जी और फल वालों को ही बेचने की अनुमति मिली है. ये संख्या कुल वेंडर्स की पांच फीसदी भी नहीं है. ऐसे में बाकी बचे 95 फीसदी से ज्यादा पटरीवाले अपना जीवन कैसे चलाएं. रेहड़ी वालों के कई स्थानीय संगठन और राष्ट्रीय संगठन ने पीएम मोदी को भी कई बार लिखा है. जिसमें कोरोना के इस संकट के दौरान नाइट मार्केट्स, सभी किस्म के पटरीवालों के इधर-उधर न भटकने बल्कि एक निश्चित स्थान दे देने, फूड जोन्स बनाने, वैकल्पिक आधार पर पटरियां खोलने की अनुमति मांगी है. ताकि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बेहद ज़रूरी रेहड़ी, पटरी और ठेलों को लगवाया जा सके.

कोविड-19 को लेकर ट्रेनिंग दे और कराए रजिस्ट्रेशन
रेहड़ी-पटरीवालों के बिना बाज़ार की व्यवस्था ठीक नहीं चल सकती. ठेला लगाने वाले अमरचंद और कन्हैया कहते हैं कि सरकार को कोरोना से बचाव के लिए ठेलेवालों को भी ट्रेनिंग देनी चाहिए. अभी तक मास्क पहनना है, दूरी रखनी है बस इतनी ही चीजें पता है, जिनका कड़ाई से पालन भी नहीं हो रहा. इतना ही नहीं लॉकडाउन में अन्य काम करने वाले भी सब्जी और फल का ठेला लगा रहे हैं. लिहाजा टाउन वेंडिंग कमेटी या अन्य किसी माध्यम से इनके रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी होनी चाहिए.

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First published: May 17, 2020, 9:48 PM IST



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