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किम जोंग का आदेश, हरेक को रोज 90 किलो मल त्याग करना होगा, फेल होने पर सजा human manure as fertilizer in north korea kim jong un | knowledge – News in Hindi

उत्तर कोरिया (North Korea) अपने-आप में दुनिया का सबसे रहस्यमयी देश (mysterious country) माना जा सकता है. यहां से अव्वल तो खबरें आती ही नहीं, या फिर कुछ बहुत ही अजीबोगरीब निकलकर आता है. जैसे कोरिया के वर्तमान सैन्य शासक किम जोंग (Kim Jong) ने अपने देशवासियों के रोज 90 किलो के लगभग मलत्याग (feces) करने को कहा ताकि खेती के लिए खाद की कमी न हो.

देश की तंगहाली से उबरने के लिए किम ने खेती-किसानी को सुधारने की बात करते हुए साथ के साथ ये आदेश भी दे दिया. Radio Free Asia ने इसपर रिपोर्ट छापी, जिसके अनुसार उत्तर कोरिया के हर स्वस्थ व्यक्ति तो रोज अकेले ही कम से कम 90 किलो मल त्याग करना है और खेती के लिए उसकी खाद तैयार करनी है. इस तरह से पूरे महीने में एक व्यक्ति लगभग 3 टन मल त्याग करेगा. अगर वो इससे कम मल त्याग करता है तो उसे सजा बतौर उसे 300 किलोग्राम खाद या फिर जानवरों के मल से बनी खाद सरकार को उपलब्ध करनी होती है.

लोग मानते हैं कि ये गरीब लोगों को और गरीब करने का तरीका है लेकिन किम के डर से कोई भी विरोध में सामने नहीं आ पाता

चूंकि कोई भी स्वस्थ से स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में इतना मल त्याग नहीं कर सकता इसलिए सारे ही लोग सजा के तौर पर जानवरों की खाद उपलब्ध कराने को मजबूर हैं. खाद भी न जुटा पाने वालों को पैसे देने होते हैं ताकि सरकारी अधिकारी उसकी खाद खरीद सकें. हर हफ्ते सरकारी लोग इलाके बांटकर रिकॉर्ड रखते हैं कि किसके हिस्से से कितना मल या पैसे आ रहे हैं. लोगों को मल त्याग के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इसे सोशलिस्ट मुहिम का रूप दिया जा चुका है.फॉक्स न्यूज में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि कोई भी इतनी ज्यादा मात्रा में मल त्याग तो कर नहीं सकता, लिहाजा उसे बदले में पैसे देने होते हैं, जिसका कोई हिसाब नहीं होता कि क्या वाकई में पैसों से खाद बनवाई गई है. खुद लोग मानते हैं कि ये गरीब लोगों को और गरीब करने का तरीका है लेकिन किम के डर से कोई भी विरोध में सामने नहीं आ पाता.

वैसे खाद बनाने का ये अनोखा आइडिया उत्तर कोरिया में खाद की कमी के कारण पैदा हुआ. दरअसल साल 2010 में दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को खाद देने से मना कर दिया था क्योंकि उसने दक्षिण कोरिया के एक नेवी जहाज पर मिसाइल से हमला कर उसपर सवार 46 लोगों को मार दिया था. इसके तुरंत बाद दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया से अपने सारे राजनैतिक और व्यापारिक संबंध तोड़ दिए. इससे खाद के लिए पूरी तरह से अपने पड़ोसी देश पर निर्भर उ. कोरिया में खेती का बड़ा नुकसान होने लगा. तभी ये तरीका निकलकर आया.

लोगों को मल त्याग के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इसे सोशलिस्ट मुहिम का रूप दिया जा चुका है

मल जमा होकर सरकारी अधिकारियों के जरिए कोरिया के प्लांट में भेजा जाता है, जहां उसे खाद में बदलकर खेतों तक पहुंचाया जाता है. वैसे हाल ही में 20 दिनों तक गायब रहने के बाद तानाशाह किम जोंग राजधानी प्योंगयांग के बाहर एक खाद फैक्टरी का उद्घाटन करते नजर आए थे. Sunchon Phosphate Fertilizer Factory का फीता काटते किम के दिखने से उनकी मौत की अटकलों पर तो विराम लग गया लेकिन ये चर्चा शुरू हो गई कि उत्तर कोरिया में फिलहाल कृषि को बचाए रखने के लिए खाद की कितनी जरूरत है.

वहीं खुफिया एजेंसियों का ये भी मानना है कि ये खाद फैक्टरी नहीं, बल्कि किसी सीक्रेट मकसद के लिए बनी फैक्टरी है. सैटेलाइट इमेज में आई फैक्टरी काफी लंबे-चौड़े दायरे में फैली दिख रही है. इसी वजह से कयास लग रहे हैं कि फैक्टरी का एक हिस्सा भले ही खाद बनाने के काम आए, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा परमाणु हथियारों से जुड़ा कोई काम करेगा. यहां बता दें कि खाद में काम आने वाले फॉस्फोरिक एसिड से परमाणु हथियार के लिए यूरेनियम भी निकाला जा सकता है. इस बारे में ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में Middlebury Institute of International Studies की शोधकर्ता मार्गरेट क्रॉय कहती हैं कि उत्तर कोरिया को खाद भी चाहिए और साथ में वो ये भी सीखने की कोशिश कर सकता है कि खाद निर्माण की प्रक्रिया के बीच यूरेनियम कैसे निकाला जा सकता है.

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