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कौन है दलाई लामा का वारिस, जिसे चीन ने 25 सालों से छिपा रखा है america asks china to release panchen lama tibet dalai lama | knowledge – News in Hindi

25 साल पहले पंचेन लामा (Panchen Lama) घोषित हुए गेधुन की रिहाई की मांग तेज हो गई है. माना जा रहा है कि उसे चीन ने राजनैतिक बंदी बना रखा है. अमेरिका ने खुद इसके लिए चीन पर दबाव डाला है. इधर चीन अपनी बात अड़ा हुआ है कि वही तिब्बत के अगले धार्मिक गुरु की खोज करेगा. जानिए, क्यों तिब्बती धर्म गुरु चुनने पर चीन का इतना जोर है और क्या है धर्म गुरु चुने जाने की प्रक्रिया.

कहां से हुई शुरुआत
साल 1995 में गेधुन को 11वां पंचेन लामा के तौर पर पहचाना गया. यानी 6 साल का गेधुन तब तिबब्त में दलाई लामा के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हो गया. इसके 3 दिनों बाद ही गेधुन एकाएक लापता हो गया. माना जा रहा है कि चीन ने अपने हितों के लिए उसे अगवा कर लिया और राजनैतिक बंदी बना लिया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता गेधुन को सबसे कम उम्र का राजनैतिक बंदी बताते हुए उसकी रिहाई की पिछले 25 सालों से मांग करते रहे हैं. अब कोरोना संक्रमण की वजह से पहले से ही भड़का हुआ अमेरिका चीन पर दबाव डाल रहा है कि वो गेधुन को जल्द से जल्द रिहा कर सके. अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी के प्रमुख सैम ब्राउनबैक के मुताबिक अमेरिका पंचेन लामा की रिहाई के बारे में चीनी अधिकारियों से लगातार बात कर रहा है. चीनी सरकार खुद दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनना चाहती है जो तिब्बतियों के धार्मिक हितों के खिलाफ है.

चीनी सरकार खुद दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनना चाहती है जो तिब्बतियों के धार्मिक हितों के खिलाफ है

चीन क्यों खुद धर्मगुरु घोषित करना चाहता है
असल में दलाई लामा पिछले 25 सालों से ज्यादा वक्त से तिब्बत को चीन से आजाद करने की मुहिम चला रहे हैं. अगर उत्तराधिकारी खुद दलाई लामा द्वारा चुना जाए तो वो भी आजाद तिब्बत के लिए मुहिम चलाएगा. चीन ये नहीं चाहता. यही वजह है कि वो अपनी ओर से किसी को दलाई लामा का वारिस बनाना चाहता है ताकि वो चीन के प्रभाव में रहे. इससे तिब्बत में आजादी की मुहिम कमजोर पड़ जाएगी.

कहां से हुई लड़ाई की शुरुआत
तिबब्त और चीन के बीच पहले से ही तनाव चला आ रहा था, जिसकी वजह थी चीन का तिब्बत को अपना हिस्सा मानना. इसपर बातचीत के लिए चीन ने दलाई लामा को अपने यहां आने का न्यौता दिया लेकिन उसकी शर्त थी कि वे बिना किसी सुरक्षा के आएं. ये चीन की कोई चाल हो सकती थी. ये समझने के बाद तिब्बतियों ने अपने धर्म गुरु को चीन जाने से रोक दिया. वार्ता शुरू होने से पहले ही विफल देखकर भड़के हुए चीन ने योजना बनाई और साल 1959 में आजाद तिब्बत पर भारी संख्या में चीनी सैनिकों ने हमला किया और उसपर कब्जा कर लिया. इससे पहले से ही People’s Republic of China और तिब्बतियों के बीच लड़ाई चल रही थी. माना जाता है कि इस लड़ाई में लगभग 87,000 तिब्बती मारे गए.

दलाई लामा किसी तरह बच निकले और असम के रास्ते भारत आ पहुंचे

भारत में ली शरण
इस बीच दलाई लामा किसी तरह बच निकले और असम के रास्ते भारत आ पहुंचे. ये 1959 में अप्रैल की बात है. तत्कालीन सरकार ने दलाई लामा को हिमाचल में शरण दी. यहां से दलाई लामा ने अपने देश की आजादी के लिए मुहिम छेड़ दी. यहां से सताए हुए तिब्बत की आवाज दुनियाभर में पहुंचने लगी. चीन इस बीच दलाई लामा को ब्लैकलिस्ट कर चुका था और भारत से चीन की दुश्मनी की एक वजह दलाई लामा भी माने जाते रहे हैं.

क्या है पंचेन लामा और दलाई लामा
तेनजिन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso) 14वें दलाई लामा हैं, जो फिलहाल हिमाचल में रह रहे हैं. इन्हें 13वें लामा द्वारा साल 1937 में उत्तराधिकारी चुना गया था. पूरी तरह तैयार होकर इन्होंने साल 1950 में अपनी जिम्मेदारी संभाली, तब इनकी उम्र महज 15 साल थी. बुद्ध के जीवन दर्शन पर चलने वाले तिब्बत में दलाई लामा सबसे प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं. अब बात करें, पंचेन लामा की तो ये दलाई लामा के बाद या कई बार उनके बराबर का मजबूत व्यक्ति होता है. इसे बाकायदा चुना जाता है.

बुद्ध के जीवन दर्शन पर चलने वाले तिब्बत में दलाई लामा सबसे प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं

कैसे होता है चुनाव
लामा अपना जीवन रहते पंचेन लामा के व्यक्तित्व के बारे में कोई संकेत देते हैं. इसी आधार पर बहुत से बच्चों को चुना जाता है, जिनका जन्म लामा के मौत के तुरंत बाद हुआ हो. इस दौरान कोई विद्वान अस्थायी तौर पर दलाई लामा की जगह होता है. इस बीच चुने हुए बच्चों की मुश्किल से मुश्किल मानसिक और शारीरिक परीक्षा होती है और इसमें पूर्व लामा के व्यक्तित्व से मेल खाने वाले सबसे मजबूत बच्चे को उत्तराधिकारी मान लिया जाता है.

गेधुन को वर्तमान दलाई लामा ने साल 1995 में जब पंचेन लामा घोषित किया, जब उसकी उम्र महज 6 साल की थी. उसके बाद से वो लापता है. दुनियाभर का मानना है कि तिब्बत में आजादी की जंग कमजोर पड़ जाए, इसलिए चीन ने उसे अगवा कर रखा है. यही वजग है कि अब लगातार गेधुन को सामने लाने की मांग उठ रही है, जिसकी उम्र अब लगभग 30 साल हो चुकी होगी.

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