Madras High Court One cannot control tears after seeing the pathetic condition of migrant labourers | प्रवासियों पर मद्रास HC ने कहा- मजदूरों की भूख-तड़प देख आंसू रोक पाना मुश्किल | nation – News in Hindi


मद्रास हाईकोर्ट ने कहा- मजदूरों की दयनीयता देखकर आंसू रोक पाना मुश्किल
मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार (Government) को प्रवासी मजदूरों (Migrant Labourers) की सुरक्षा और उनकी देखभाल के मामले में आड़े हाथ लिया. हाईकोर्ट ने सरकार से प्रवासी मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए राज्यवार आंकड़ा देखने को कहा.
राज्यवार आंकड़ा देखे सरकार : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा, ‘प्रवासी मजदूरों की स्थिति दयनीय है… यह मानवीय त्रासदी के अलावा कुछ नहीं है.’ इस बीच हाईकोर्ट ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और उनकी देखभाल के मामले में आड़े हाथ लिया. हाईकोर्ट ने स्थिति के मद्देनजर उठाए गए कदमों पर सरकार को घेरा और प्रवासी मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए राज्यवार आंकड़ा देखने को कहा.
हाईकोर्ट की जस्टिस एन किरुबाकरन और आर हेमलता की बेंच ने कहा, ‘प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए कई दिनों तक पैदल सफर करते रहे, ये दुख की बात है. उनमें से कई मजदूर सड़क दुर्घटना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए सभी राज्यों को मानवीय कदम उठाना चाहिए.’
औरंगाबाद जैसी घटना ने झकझोर कर रख दिया
कोर्ट ने कहा, ‘पिछले दिनों औरंगाबाद ट्रेन हादसे में 16 मजदूरों की दर्दनाक मौत जैसी घटनाओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया. इन्हें देखकर शायद ही किसी का दिल ना पसीजा हो. आंसुओं को रोक पाना मुश्किल था. यह एक मानवीय त्रासदी है.’
कोर्ट की टिप्पणी के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने प्रवासियों से अपील की कि वे शिविरों मे ही रहें. सरकार उनकी हर तरह से मदद करेगी. उन्होंने कहा, ‘हम आपको वापस भेजने के लिए अन्य राज्यों के साथ समन्वय कर रहे हैं. तब तक आप शिविरों में रहें. हम आपके ट्रेन का किराया और यात्रा का खर्च उठाएंगे.’ उन्होंने कहा कि लगभग 53 हजार प्रवासी श्रमिकों को बिहार, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और बंगाल भेजा जा चुका है.
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First published: May 16, 2020, 6:01 PM IST