यूनिवर्सिटी COVID के बाद के दौर में अपनायें आर्थिक व्यवहारिकता के तरीके वरना बन जायेंगी NPA: गडकरी । Universities Must Follow Ways for Economic Viability in Post-Covid World, or They become NPAs: Gadkari | nation – News in Hindi


नितिन गड़करी ने उद्योगों की तरह विश्वविद्यालयों को भी आर्थिक व्यवहारिकता अपनाने को कहा है (फाइल फोटो)
मंत्री (Minister) ने सुझाव दिया कि एक छात्र ट्रेनी के तौर पर काम कर सकता है, जिसे किसी भी उद्योग परियोजना (Industry Projects) में एक वर्कर के तौर पर काम दिया जा सकता है. इससे सरकार या उद्योग का पैसा बच सकता है और छात्र को स्टाइपेंड का भुगतान करना समाप्त हो सकता है और विश्वविद्यालय (Universities) के लिए पैसा मिल सकता है.
नई दिल्ली. कोविड (COVID) के बाद की दुनिया में उच्च शिक्षा (Higher Education) के लिए चुनौतीपूर्ण समय की भविष्यवाणी करते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) ने विश्वविद्यालयों की आर्थिक व्यवहारिकता सुनिश्चित करने के लिए कहा है. इसके लिए उन्होंने स्टेकहोल्डर्स को सुझाव दिए हैं ताकि शिक्षण ‘एम्पायर्स’, कुछ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की तरह बंद न हो जाएं या गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) न बनें.
उन्होंने दो उपायों का प्रस्ताव किया है: सरकार और उद्योगों (industries) के साथ संबंध स्थापित करना जिससे ट्रेनी छात्रों को स्टाइपेंड (stipends) दिया जा सके, और दूसरा विदेशी निवेश (Foreign Investment) लाना, जैसे कि अधिक विदेशी छात्रों को प्राप्त करना और विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ज्वाइंट वेंचर आदि करना.
उद्योगों की तरह, उच्च शिक्षा को भी आर्थिक व्यवहारिकता के लिए करना होगा काम: गडकरीMSMEs सहित कई मंत्रालयों के मंत्री गडकरी एक वेबिनार में बोल रहे थे, जिसका विषय ‘कोविड बाद की अर्थव्यवस्था का उच्च शिक्षा पर प्रभाव’. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की उच्च शिक्षा समिति के साथ लाइव बातचीत में ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सी राज कुमार, टेक स्टार्ट-अप अपग्रेड के संस्थापक रोनी स्क्रूवाला और एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज़ (AIU) के महासचिव पंकज मित्तल सहित अन्य लोग भी इसमें मौजूद थे.
गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय मानकों को सरकारी फंडिंग के जरिए हासिल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि उद्योगों की तरह, उच्च शिक्षा को भी आर्थिक व्यवहारिकता के लिए काम करना होगा.
विश्वविद्यालयों को विदेशी निवेश और उद्योगों के साथ जुड़ाव
मंत्री ने संशोधित वेतन आयोग के कारण शिक्षकों के बढ़े हुए वेतन से लेकर कई मुद्दों पर बात की और कहा कि वे छात्रों की फीस-भुगतान क्षमता के बारे में सुनिश्चित नहीं थे. मंत्री (Minister) ने सुझाव दिया कि एक छात्र ट्रेनी के तौर पर काम कर सकता है, जिसे किसी भी उद्योग परियोजना में एक वर्कर के तौर पर काम दिया जा सकता है. इससे सरकार या उद्योग का पैसा बच सकता है और छात्र को स्टाइपेंड का भुगतान करना समाप्त हो सकता है और विश्वविद्यालय के लिए पैसा मिल सकता है.
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First published: May 15, 2020, 10:43 PM IST