भारत की वो सीक्रेट लैब, जो बन रही है पहाड़ के नीचे लंबी सुरंग में, क्या होगा इसमें। a secret scientific lab is about to make under the nilgiri mountain | knowledge – News in Hindi
ये सुरंग तमिलनाडु के थेनी जिले में है. जब ये काम करना शुरू करेगी तो इसमें देश के बेहतरीन वैज्ञानिकों का जमावड़ा लगेगा. ये सुरंग बिल्कुल उसी तरह की है, जिस तरह की साइंटिफिक सुरंग स्विट्जरलैंड में बनी है, जहां सारी दुनिया के साइंटिस्ट गॉड ऑफ पार्टिकल पर काम कर रहे हैं. लेकिन भारत में बन रही ये वैज्ञानिक सुरंग कुछ अलग है. ये जो पार्टिकल्स बनाने जा रही है, उन्हें करामाती पार्टिकल्स या न्यूट्रीनो भी कहा जाता है. इन न्यूट्रीनो का दुनिया में खासा महत्व है.
खास साइंटिफिक लैब दुनिया का सबसे बड़ा चुंबक
आप ये कह सकते हैं कि जब इस सुरंग में काम शुरू हो जाएगा तो ये दुनिया में अपनी तरह की एकदम खास साइंटिफिक लैब होगी. इसमें दुनिया का सबसे बड़ा चुंबक लगाया जाएगा.
तमिलनाडु की इस पहाड़ के इर्द गिर्द बाड़ लगाई जा चुकी है. नीचे सुंरग में खास उपकरण लग रहे हैं. यहां कोई फटक नहीं सकता.
उस चुंबक से चार गुना ज्यादा बड़ा जो जिनेवा की सर्न लैब में है. गॉड ऑफ पार्टिकल्स बनाने वाली सर्न लैब में लगे हुए चुंबक का वजन 12.500 टन है. तो आप समझ सकते हैं कि ये प्रोजेक्ट कितना बड़ा है.
इलाके के लोग क्यों डरे हुए हैं
हालांकि इस प्रोजेक्ट में जिस न्यूट्रीनो नाम के पार्टिकल पर काम होगा, उसे पर्यावरणवादी और इलाके के लोग किलर पार्टिकल कहते हैं. लोगों को डर है जब ये लैब शुरू होगी तो क्षेत्र का विनाश कर देगी. उन्हें लगता है कि इससे इलाके में रेडिएशन बढ़ेगा. उन्हें ये भी लगता है कि न्यूट्रीनो ऐसा कण है, जो किसी भी तरह के संहार में सक्षम है.
जानिए कितने गजब के होते हैं न्यूट्रीनो पार्टिकल
माना जाता है कि ये ब्रह्मांड से धरती पर पहुंचने वाले सबसे गतिशील और ऊर्जावान अणु हैं. वे ब्रह्मांड में हर जगह विचरण करते रहते हैं. उन्हें देखना और पकड़ना नामुमकिन है. ये तभी नजर आते हैं, जब नाभिकीय प्रतिक्रियाएं हों.
न्यूट्रीनो जो सूर्य, अन्य तारों और ब्रह्मांड की सक्रिय सौर गंगाओं से धरती पर पहुंचते रहते हैं. अनुमान है कि हर क्षण हमारे शरीर की त्वचा के हर सेंटीमीटर पर सूर्य से आए 65 बिलियन न्यूट्रीनो टकराते हैं. ब्रह्मांड फोटान के बाद न्यूट्रीनो ही सबसे ज्यादा पाए जाते हैं. न्यूट्रीनो उन मूल कणों में से एक है जिनके द्वारा पदार्थों तथा ब्रह्माण्ड की रचना हुई है.
इस लैब में दुनिया का सबसे बड़ा गोलाकर चुंबक लगेगा, जिसका वजन 50 हजार टन होगा.
भारत की खोज के बाद दुनिया ने इस पर काम शुरू किया
चेन्नई के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंसेस (आईएमएससी) में पार्टिकल भौतिकविज्ञानी पी. इंदुमति, जो तमिलनाडु थेनी लैब की कोआर्डिनेटर हैं, वो कहती हैं कि इससे पहले किसी को नहीं मालूम था कि न्यूट्रीनो कास्मिक किरणों में मौजूद रहते हैं. दरअसल भारत ने ही पहली बार दुनिया को इस बारे में बताया. लेकिन हमारी खोज के बाद ही दूसरे देशों ने इस पर काम शुरू कर दिया.
आसपास के लोगों का यहां आना निषिद्ध है
निश्चित तौर पर ये सीक्रेट सुरंग ही होगी, क्योंकि इस एरिया में बाड़ लगाकर लोगों का आना जाना बंद कर दिया गया है. इस बाड़ के बीचों बीच वो नीलगिरी पहाड़ नजर आता है, जिसके नीचे ये वैज्ञानिक सुरंग बन रही है. इसमें डिटेक्टर के तौर पर जो चुंबक लगाया जा रहा है, उसका वजन 50 हजार टन है.
हालांकि लोगों के विरोध और अदालत में जाने के चलते इस प्रोजेक्ट में कुछ देर तो हो गई है लेकिन ये तय है कि 1500 करोड़ रुपये का ये प्रोजेक्ट भारत को दुनिया के वैज्ञानिक क्षेत्र में एक खास तरीके से स्थापित जरूर कर देगा.
कहा जा रहा है कि इस खास लैब में जिस पार्टिकल पर काम होगा, उसका महत्व नाभिकीय हथियारों में भी होता है.
क्या इससे बनेंगे सैन्य हथियार बी
केरल औऱ तमिलनाडु के पर्यावरणवादियों का आरोप है कि यहां जो न्यूट्रीनो तलाशे जाएंगे, उसमें अमेरिका के शिकागो स्थित एक फैक्ट्री की भी सेवाएं ली जाएंगी. लोग ये भी मान रहे हैं कि चूंकि न्यूट्रीनो का ज्यादा उपयोग सैन्य कामों या हथियार बनाने के लिए हो सकता है लिहाजा इससे इस इलाके में गुप्त सैन्य गतिविधियां भी होंगी.
न्यूट्रीनो बीम के इस्तेमाल से बन सकते हैं तबाही के हथियार
गौरतलब है न्यूट्रीनो बीम का इस्तेमाल नाभिकीय हथियार बनाने में हो सकता है. इस हथियार से उनसे मिनटों में कहीं भी किसी को भी तबाह किया जा सकता है. चूंकि न्यूट्रीनो को किसी भी धातु से रोका नहीं जा सकता लिहाजा इससे ऐसे हथियार बनाए जा सकते हैं, जिससे कोई बचाव नहीं होगा.
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