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कोरोना वैक्सीन बनने में लग सकते हैं 4-5 साल, तब तक COVID-19 से निपटने के लिए क्या करें? । Controlling coronavirus spread could take 4-5 years can not depend on COVID-19 vaccine | nation – News in Hindi

नई दिल्ली. WHO के वैज्ञानिकों (Scientist) का कहना कि कोरोना वायरस पर नियंत्रण में 4-5 साल लग सकते हैं, ऐसे में केवल वैक्सीन (Vaccine) पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है. ऐसे में वे रास्ते और तरीके क्या हो सकते हैं, जिससे न सिर्फ कोरोना वायरस (Coronavirus) पर काबू पाया जा सके बल्कि इसका संक्रमण होने के बावजूद इसके घातक प्रभाव को रोका जा सके.

ऐसे में कई मुद्दे (Issues) हैं, जिनका ख्याल रखे बिना दुनिया का कोरोना वायरस (Coronavirus) से निपटना असंभव होगा. कोरोना वायरस से जुड़े कई मुद्दों को जवाब यहां पढ़ें-

कोरोना वायरस के मामले दुनिया भर में बढ़ रहे हैं
जबकि देश के कुछ हिस्सों को सावधानी से फिर से खोलने की तैयारी की जा रही है, तब भी कई हॉटस्पॉट्स में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. नए मामलों की रिपोर्ट की जा रही है और विशेषज्ञों को चिंता है कि दुनिया के कुछ हिस्से जल्द ही कोरोना प्रसार की दूसरी लहर का सामना कर सकते हैं. यह सब तब है जब 100 से अधिक समूह एक सफल वैक्सीन विकसित करने या विभिन्न दवाओं और उपचारों पर लगातार प्रयोग कर रहे हैं जो वायरस से लड़ने में कारगर हो सके.हम अकेले वैक्सीन पर निर्भर नहीं रह सकते

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिक अब कह रहे हैं कि हमें केवल वैक्सीन पर उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए क्योंकि यह संकट को कम करने या बड़े पैमाने पर फैलने से रोकने का समाधान नहीं होगा. दरअसल इस तरह से वायरस को रोकने में 4-5 साल का समय भी लग सकता है.

क्या लॉकडाउन मददगार नहीं हैं?
डब्ल्यूएचओ ने अपनी पिछली रिपोर्ट में कहा था कि लॉकडाउन कोरोना को रोकने में मददगार रहा है, लेकिन यह वायरस को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका नहीं है. वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कम से कम 60-70% आबादी घातक संक्रमण से प्रतिरक्षा हासिल करे. हर आयु वर्ग या श्रेणी को प्रभावित किए बिना कोरोना वायरस के प्रति झुंड प्रतिरक्षा/ हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) संभव नहीं है. ऐसे में इसका एकमात्र संभव तरीका तेजी से एक टीका विकसित करना है.

वैक्सीन के ट्रायल तेजी से हो रहे हैं

वैश्विक स्तर पर, मॉर्डेना, सनोफी और नोवावैक्स जैसी कंपनियां अपने संबंधित टीकों के लिए मानव परीक्षण शुरू करने की राह पर हैं, जो मुख्य रूप से शरीर के अंदर वायरस के आनुवंशिक आरएनए को इंजेक्ट करेंगी ताकि यह देखा जा सके कि प्रतिरक्षा प्रणाली इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है. ये कुछ सबसे तेज़ परीक्षण हैं जिन्हें हम देख रहे हैं, कुछ ने कहा कि सितंबर तक, हमारे पास एक लाख खुराक तैयार होगी.

टीके के विकास में क्या गलत हो सकता है?
एक टीका विकसित करने के लिए कई चिकित्सा समूहों और विशेषज्ञ प्रयास कर रहे हैं और आशाजनक परिणाम प्राप्त करने का दावा भी कर रहे हैं. फिर भी किसी दिए गए उत्पाद की व्यवहार्यता या प्रभावकारिता जैसे मुद्दे बचे रहेंगे. यहां तक ​​कि अगर किसी दिए गए टीके या परीक्षण को मंजूरी मिल जाती है, तो भी उसे बहुत से क्लीनिकल ​परीक्षणों से गुजरना पड़ता है. लागत, एक ऐसा मुद्दा बना हुआ है जो कुछ के लिए उत्पाद को अप्राप्य बना सकता है, विशेष रूप से अविकसित या विकासशील देशों में.

वैक्सीन-विरोधी समुदाय से खतरा
दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ते वैक्सीन विरोधी आंदोलन भी चल हैं, जो चिंताओं को और बढ़ाते हैं. वे मानते हैं कि वैक्सीन लेना एक व्यक्तिगत विकल्प होना चाहिए न कि अनिवार्य कदम. यह संक्रमण फैलाने में योगदान कर सकते हैं, भले ही अन्य लोगों को यह टीका लग जाए.

क्लिनिकल परीक्षण में समय लगता है
क्लिनिकल ​​परीक्षण तीन चरणों में होते हैं, जो इसे लम्बा खींचते हैं. एक प्रायोगिक वैक्सीन जिसे सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है उसे सीमित तरीके से लोगों तक पहुंचाया जाता है- जैसे कि उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं आदि को. एक और मुद्दा जो एक टीके के तेजी से विकास में बाधा डालता है, वह है लाइसेंसिंग. अतीत में, एक अनुमोदित वैक्सीन का सबसे तेज़ रोलआउट, मम्प्स वैक्सीन, सभी जरूरी अनुमति और लाइसेंस प्राप्त करने के लिए 4 साल के करीब लगे थे.

हम किन अन्य मुद्दों का सामना कर रहे हैं?
अन्य मुद्दे जो अत्यधिक संभावना बनाते हैं कि वायरस समस्या बना रहेगा, वह इसके उत्परिवर्तन की समस्या है. कोरोना वायरस एक तरह का है और हम अभी भी वायरस के शरीर पर हमला करने के विभिन्न तरीकों की खोज कर रहे हैं, जिससे एक प्रभावी टीका बनाने का काम और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. SARS CoV-19 केवल हर गुजरते महीने के साथ मजबूत हो रहा है, अधिक लोगों को संक्रमित कर रहा है और विभिन्न आयु समूहों में विभिन्न लक्षणों को दिखा रहा है.

कोरोना वायरस मौसमी फ्लू की तरह वापस लौट सकता है
एक और वापस लौटने का मुद्दा भी है जो वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को लगता है कि फ्लू, कोरोना वायरस की तरह बहुत अधिक मौसमी संक्रमण के रूप में विकसित हो सकता है और धीमी गति के प्रसारित होने के बाद वापस आ सकता है.

क्या किया जा सकता है?
हम जिस तरह से रहते हैं, आते-जाते हैं, या काम करते हैं, उसमें यह वायरस बहुत सारे बदलाव करेगा. लेकिन अभी, लंबे समय के लिए, एकमात्र चीज जो प्रसार को कम करने में मदद कर सकती है, जहां तक संभव हो सके उतना सामाजिक दूरी और स्वच्छता की कोशिश है.

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