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बंद फैक्ट्री में वेतन देने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, सरकार को एक हफ्ते में देना होगा जवाब-Company filed complained against Government of India orders for paid Salary during covid 19 lockdown | business – News in Hindi

बंद फैक्ट्री में वेतन देने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, सरकार को एक हफ्ते में देना होगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट

कोरोना (Coronavirus) की वजह से बंद फैक्टरियों (Lockdown) में स्टाफ को वेतन देने के मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने केन्द्र सरकार (Government of India) से एक हफ़्ते में जवाब मांगा है.

नई दिल्ली.लॉकडाउन (Locdown) के दौरान बंद पड़ी निजी कंपनियों और फैक्टरियों (Closed Factories) में स्टाफ को वेतन देने के सरकार के आदेश के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से एक हफ़्ते में जवाब मांगा और आदेश दिया कि इस बीच किसी कंपनी या फ़ैक्टरी प्रबंधन के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.

क्या है मामला-केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था कि बन्दी के दौरान कोई भी फैक्टरी या इंडस्ट्री अपने कर्मचारियों का वेतन नहीं कटेगा. इसके खिलाफ कुछ कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कि है. उनका कहना है कि वो वेतन नहीं दे सकते. उनको नुकसान हो रहा है. सरकार का आदेश रद्द किया जाए.

आज सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा. सरकार के जवाब के बाद आगे की सुनवाई होगी.तब तक के लिए कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार किसी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी.

 श्रम कानूनों पर इन राज्यों के खिलाफ भी दायर हुई याचिकाआपको बता दें कि कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से देश में ज्यादातर उद्योग धंधे पूरी तरह से बंद हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से औद्योगिक क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर श्रम कानूनों में ढील दी गई है, अब इन फैसलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस पहुंच गया है.

पंकज यादव ने जनहित याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि राज्य सरकारों के इन अध्यादेशों को रद्द कर श्रम कानून को संरक्षित करें. राज्य सरकारों ने फैक्ट्री एक्ट का संशोधन कर मजदूरों के मूल अधिकारों को हनन करने का प्रयास किया है. आठ घंटे की जगह बारह घंटे कार्य करवाना तथा निम्नतम मजदूरी से भी वंचित रखना मानवाधिकार का हनन है.

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First published: May 15, 2020, 12:17 PM IST



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