Uncategorized

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती दुर्ग में करेंगे धर्मसभा को संबोधित, तैयारियां शुरु

3 व 4 जनवरी 2019 को शिवाजी पार्क बोरसी में विशाल सत्संग व धर्मसभा महोत्सव

हजारों की संख्या में जुटेंगे शंकराचार्य के अनुयायी व श्रद्धालु

दुर्ग। गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज आगामी जनवरी माह में दो दिवसीय प्रवास पर दुर्ग आएंगे। वे यहां बोरसी-पोटिया रोड स्थित शिवाजी पार्क में 3 जनवरी2019 को दोपहर साढ़े 3 बजे विशाल सत्संग व धर्मसभा को संबोधित करेंगे। वहीं 4 जनवरी 2019 को प्रात: 11 बजे धर्म,अध्यात्म एवं राष्ट्र से संबंधित विषयों पर सीधे श्रद्धालुओं से वार्तालाप कर उनके जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे। स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी को शंकराचार्य का पद संभालते 25 वर्ष पूर्ण हो गए है। इस अवसर को यादगार बनाने धर्मसंघपीठ परिषद, आदित्य वाहिनी व आनंद वाहिनी द्वारा पूरे देशभर में पंञचविंशति पट्टाभिषेक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। दुर्ग में आयोजित विशाल सत्संग, धर्मसभा व संगोष्ठी इसी महोत्सव का हिस्सा है। कार्यक्रम में दुर्ग-भिलाई के अलावा जिलेभर से शंकराचार्य जी के अनुयायियों एवं श्रद्धालुओं के हजारों की संख्या में जुटने की संभावना है। जिसके चलते आयोजन समिति द्वारा जोरदार तैयारियां की जा रही है। यह बातें कार्यक्रम संयोजक गिरधर मढ़रिया एवं छत्तीसगढ़ आदित्य वाहिनी के महामंत्री अवधेश नंदन श्रीवास्तव ने रविवार को पत्रकारों से संयुक्त चर्चा में कही। इस दौरान छत्तीसगढ़ कार्यक्रम प्रभारी संदीप पांडेय, पीठ परिषद दुर्ग अध्यक्ष रमेश शर्मा, आदित्य वाहिनी दुर्ग अध्यक्ष हीरेन्द्र कुमार साहू, पीठ परिषद संयोजक संतोष रावत, आनंद वाहिनी दुर्ग अध्यक्ष कविता शर्मा एवं अन्य सदस्यगण मौजूद थे।

दुर्ग कार्यक्रम संयोजक गिरधर मढ़रिया व छत्तीसगढ़ आदित्य वाहिनी के महामंत्री अवधेश नंदन श्रीवास्तव ने चर्चा में बताया कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने देशभर में हिन्दु धर्म के अस्तित्व व राष्ट्र रक्षा का अभियान छेड़ रखा है। जिसके माध्यम से वे लोगों में जागृति ला रहे है। इस अभियान में उनका अन्यों के हितों पर भी काफी जोर होता है। उन्होने बताया कि शंकराचार्य जी विश्व को दिशा देने में सक्षम है। वे विश्व बैंक को भी मार्गदर्शन दे चुके है। उनके द्वारा अब तक 150 धर्मग्रंथों की रचना की जा चुकी है। गणित विषय पर उन्होने 13 धर्मग्रंथ लिखे है। 104 देशों में उनके गणित विषय के धर्मग्रंथ का अध्ययन किया जाता है। विदेशों में उनके धर्मग्रंथों पर शोध भी चल रहा है।

Related Articles

Back to top button