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नहीं थी एंबुलेंस, डॉक्‍टर ने 70KM कार चलाकर गर्भवती आदिवासी महिला को पहुंचाया अस्‍पताल | telangana doctor Drives 70 km to Shift pregnant mother to hospital | nation – News in Hindi

नहीं थी एंबुलेंस, डॉक्‍टर ने 70KM कार चलाकर गर्भवती आदिवासी महिला को पहुंचाया अस्‍पताल

पीएचसी में जन्‍मा बच्‍चा.

मंगलवार की देर शाम तेलंगाना (Telangana) के महमूदाबाद जिले के कोलाराम गांव की रहने वाली 28 साल की गर्भवती आदिवासी महिला गट्टी मंजुला को गर्भ का दर्द उठा था.

नई दिल्‍ली. देश में इस समय कोविड 19 महामारी (Covid 19) के कारण स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों (Health care Workers) पर काम का बोझ है. वे पूरी लगन से लोगों को इलाज कर रहे हैं. इस बीच तेलंगाना में एक डॉक्‍टर ने बच्‍चे को जन्‍म देने को तैयार एक आदिवासी महिला (Tribe Woman) को अपनी कार में करीब 70 किमी ड्राइव करके प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र ((पीएचसी)) पहुंचाया. दरअसल महिला को ले जाने के लिए एंबुलेंस का लंबा इंतजार करना पड़ता और इस दौरान वह बच्‍चे को जन्‍म दे सकती थी.

इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक मंगलवार की देर शाम महमूदाबाद जिले के कोलाराम गांव की रहने वाली 28 साल की गर्भवती आदिवासी महिला गट्टी मंजुला को गर्भ का दर्द उठा. दर्द इतना अधिक था कि वह किसी भी वक्‍त बच्‍चे को जन्‍म दे सकती थी. उसे तुरंत अस्‍पताल या स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र ले जाने की जरूरत थी. लेकिन उसके गांव से नजदीकी प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र की दूरी 20 किमी थी. साथ ही एंबुलेंस भी उपलब्‍ध नहीं थी.

 

ऐसे में डॉक्‍टर मोहम्‍मद मुकरम के पास मदद के लिए फोन आया. इसके बाद वह जंगलों के बीच से कार चलाते हुए गांव पहुंचे और महिला को लेकर प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र पहुंचे.

डॉ. मुकरम ने बताया, ‘मंगलवार की शाम मैं करीब 7:30 बजे घर जाने की तैयारी कर रहा था. तभी कोलाराम गांव की आशा वर्कर पद्मा का फोन आया. यह एक इमरजेंसी केस था. मैं जानता था कि एकलौती उपलब्‍ध एंबुलेंस दूसरी पीएचसी जा चुकी है. एंबुलेंस का इंतजार करने का कोई औचित्‍य नहीं था. इसलिए मैंने अपनी कार निकाली और गांव पहुंचकर महिला को लेकर पीएचसी पहुंच गया. मैं सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहा था.’

डॉ. मुकरम को 2017 और 2019 में बेस्‍ट मेडिकल ऑफिसर का अवॉर्ड मिल चुका है. उन्‍होंने कहा, ‘सभी डॉक्‍टर अच्‍छा कार्य कर रहे हैं. इस एक मामले में समय की कीमत थी. इसलिए मैंने दो बार नहीं सोचा.’

जंगलों के बीच सिंगल लेन सड़क पर कुल 70 किमी कार ड्राइव करके रात 9:30 बजे गंगाराम पीएचसी पहुंचे. वहां गट्टी मंजुला ने 2.8 किलो के नवजात को जन्‍म दिया. लेकिन उसका रंग नीला पड़ गया. इसके बाद डॉक्‍टरों ने बच्‍चे को रिवाइव किया. डॉ. मुकरम का कहना है कि इसीलिए उसे पीएचसी पहुंचाना जरूरी था, नहीं तो वह बच्‍चा खो देती या उसकी जान को खतरा होता. इस घटना को महमूदाबाद के जिलाधिकारी वीपी गौतम ने भी सोशल मीडिया पर शेयर करके डॉ. मुकरम की प्रशंसा की.

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First published: May 13, 2020, 11:09 PM IST



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