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बड़ी सफलता: भारत ने बनाई फेलूदा स्ट्रिप जो मिनटों में करेगी कोरोना टेस्ट – Big success: India made Feluda strip which will do corona test in minutes | nation – News in Hindi

बड़ी सफलता: भारत ने बनाई 'फेलूदा' स्ट्रिप जो मिनटों में करेगी कोरोना टेस्ट

देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 70,756 हो गई है.

बता दें कि इस टेस्ट (Test) में काग​ज की पतली स्ट्रिप में उभरी लाइन से पता चल जाता है कि कोई शख्स कोरोना पॉजिटिव (Corona positive) है या नहीं.

नई दिल्ली. दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को कम करने के लिए वैज्ञानिक (scientist) दिन रात कोरेाना वैक्सीन या नई तरह की किट तैयार करने में लगे हुए हैं. कोरोना की इस जंग में अब भारतीय वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है. भारतीय वैज्ञानिकों ने एक पेपर बेस्ड टेस्ट स्ट्रिप तैयार की जो COVID-19 का पता लगा सकती है. इस टेस्ट किट को ‘फेलूदा'(Feluda) नाम दिया गया है. बता दें कि इस किट को फेलूदा का नाम बांग्ला फिल्मकार सत्यजीत रे की फिल्मों से लिया गया है. फेलूदा उनकी फिल्मों का एक किरदार रहा है जो बंगाल में रहने वाला प्राइवेट जासूसी किरदार है, जो छानबीन कर हर समस्या का रहस्य खोज ही लेता है. बता दें कि इस टेस्ट में काग​ज की पतली स्ट्रिप में उभरी लाइन से पता चल जाता है कि कोई शख्स कोरोना पॉजिटिव है या नहीं.

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों को कोविड-19 के त्वरित परीक्षण के लिए एक नई किट विकसित में बड़ी सफलता मिली है. सीएसआईआर से संबद्ध नई दिल्ली स्थित जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह एक पेपर-स्ट्रिप आधारित परीक्षण किट है, जिसकी मदद से कम समय में कोविड-19 के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है.

यह पेपर स्ट्रिप-आधारित परीक्षण किट आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ सौविक मैती और डॉ देबज्योति चक्रवर्ती की अगुवाई वाली एक टीम ने विकसित की है. यह किट एक घंटे से भी कम समय में नए कोरोना वायरस (एसएआरएस-सीओवी-2) के वायरल आरएनए का पता लगा सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर प्रचलित परीक्षण विधियों के मुकाबले यह एक पेपर-स्ट्रिप किट काफी सस्ती है और इसके विकसित होने के बाद बड़े पैमाने पर कोरोना के परीक्षण चुनौती से निपटने में मदद मिल सकती है.

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आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ देबज्योति चक्रवर्ती ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि संक्रमण के शिकार संदिग्ध व्यक्तियों में कोरोना वायरस के जीनोमिक अनुक्रम की पहचान करने के लिए इस पेपर-किट में जीन-संपादन की अत्याधुनिक तकनीक क्रिस्पर-कैस-9 का उपयोग किया गया है. इस किट की एक खासियत यह है कि इसका उपयोग तेजी से फैल रही कोविड-19 महामारी का पता लगाने के लिए व्यापक स्तर पर किया जा सकेगा. डॉ देबज्योति चक्रवर्ती ने कहा, अभी इस परीक्षण किट की वैद्यता का परीक्षण किया जा रहा है, जिसके पूरा होने के बाद इसका उपयोग नए कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए किया जा सकेगा. इस किट के आने से वायरस के परीक्षण के लिए वर्तमान में इस्तेमाल की जाने वाली महंगी रियल टाइम पीसीआर मशीनों की जरूरत नहीं पड़ेगी. नई किट के उपयोग से परीक्षण की लागत करीब 500 रुपये आती है.”

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चीन में आए कोरोना मामलों के बाद तेज कर दिया गया था काम

आईजीआईबी के वैज्ञानिकों ने बताया कि वे इस टूल पर लगभग दो साल से काम कर रहे हैं. लेकिन, जनवरी के अंत में, जब चीन में कोरोना का प्रकोप चरम पर था, तो उन्होंने यह देखने के लिए परीक्षण शुरू किया कि यह किट कोविड-19 का पता लगाने में कितनी कारगर हो सकती है. इस कवायद में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए आईजीआईबी के वैज्ञानिक पिछले करीब दो महीनों से दिन-रात जुटे हुए थे. सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने कहा, इस किट के विकास से जुड़े प्राथमिक परिणाम उत्साहजनक हैं. हालांकि, प्राथमिक नतीजे अभी सीमित नमूनों पर देखे गए हैं और इसका परीक्षण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. दूसरे देशों से मंगाए गए नमूनों पर भी इसका परीक्षण किया जाएगा. नियामक निकायों से इसके उपयोग की अनुमति जल्दी ही मिल सकती है, जिसके बाद इस किट का उपयोग परीक्षण के लिए किया जा सकता है.

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