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मेरठ Lockdown में फंसे मजदूर परिवार की राजस्थान सरकार से गुहार- हमें वापस बुला लो- Meerut Lockdown trapped laborer family plead Rajasthan government call us back upum upas | ajmer – News in Hindi

मेरठ Lockdown में फंसे मजदूर परिवार की राजस्थान सरकार से गुहार- हमें वापस बुला लो

मेरठ सिटी रेलवे स्टेशन पर हफ्तों से राजस्थान का ये मजदूर परिवार खुलेआसमान के नीचे गुजर बसर कर रहा है.

राजस्थान (Rajasthan) में अजमेर का ये परिवार 19 मार्च को रोज़ी रोटी की तलाश में आया था. इसी बीच लॉकडाउन हो गया. ये परिवार तब से अपने 5 बच्चों के साथ ऐसे ही खुले आकाश के नीचे अपना सारी गृहस्थी सिराहने ऱखकर जीवनयापन कर रहा है.

मेरठ. लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से आजकल हर ओर सन्नाटा पसरा हुआ है. इस सन्नाटे में एक वर्ग तो घर में बैठकर इंतज़ार कर रहा है कि कब लॉकडाउन खत्म होगा? और कब उनकी ज़िन्दगी की रफ्तार पहले जैसी हो जाएगी? इस वर्ग को न खाने की दिक्कत है और न ही रहने की लेकिन एक-एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जिसे रोज रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है, इसके लिए ज़मीन बिस्तर और खुला आकाश छत बन गया है. ये मजदूर वर्ग है.

मेरठ (Meerut) सिटी रेलवे स्टेशन के बाहर न्यूज़ 18 की टीम को राजस्थान के रहने वाले एक ऐसा मज़दूर परिवार मिला, जिनके लिए आजकल खुला आकाश छत और धरती बिछौना बन गई है. इन मज़ूदरों का कहना है कि सुना है सीएम योगी अपने मज़दूरों को वापस बुला रहे हैं. इस मज़दूर का पूरा परिवार राजस्थान की गहलोत सरकार से भी यही गुहार लगा रहा है. उन्हें भी वापस बुला लो सरकार.

19 मार्च से स्टेशन के बाहर रह रहा है मजदूर परिवार

राजस्थान में अजमेर का ये परिवार 19 मार्च को रोज़ी रोटी की तलाश में आया था. इसी बीच लॉकडाउन हो गया. जहां काम के लिए आए था, वहां भी कोई आसरा नहीं मिला तो खुला आकाश छत और धरती बिछौना बन गया. ये परिवार तब से अपने 5 बच्चों के साथ ऐसे ही खुले आकाश के नीचे अपना सारी गृहस्थी सिराहने ऱखकर जीवनयापन कर रहा है.यूपी सरकार की तरह कदम उठाए राजस्थान सरकार

परिवार का कहना है कि जैसे यूपी के मुख्यमंत्री दूसरे राज्यों से अपने मज़दूर भाईयों को वापस बुला रहे हैं. वैसे ही राजस्थान की सरकार को भी उन्हें वापस बुलाना चाहिए. योगी सरकार की तारीफ करते हुए ये परिवार कहता है कि उन्हें यहां खाने की कोई समस्या नहीं हुई. बच्चों को दूध भी उपलब्ध हुआ. खाना भी उपलब्ध हुआ. अब बस सरकार से यही गुहार है कि उन्हें उनके घर तक पहुंचा दिया जाए.

इस परिवार के अलावा हमें कुछ दिव्यांग भी मिले, जो लॉकडाउन के वक्त से ही यहीं सिटी रेलवे स्टेशन पर जि़न्दगी गुज़ार रहे हैं. कोई चल नहीं सकता, कोई देख नहीं सकता. इनके सामने सिवाय इंतज़ार के और कोई रास्ता नहीं. तमाम मुश्किलों के बीच ये यही कहते हैं कि साहब ये वक्त भी बीत जाएगा. न बुरा वक्त ज्यादा दिन तक ठहरता है और न ही अच्छा वक्त.

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First published: May 12, 2020, 1:47 PM IST



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