कोरोना में उत्तर प्रदेश के जेल बंदियों के लिए टेलीफोन ही सहारा | Telephone only support for jail inmates of Uttar Pradesh during Corona crisis | nation – News in Hindi
(News18 Creative)
यह पांचों जेलें उत्तर प्रदेश की जेलों का प्रतिनिधित्व करती हैं. उत्तर प्रदेश भारत की सबसे ज्यादा आबादी का राज्य है और इन जेलों में क्षमता से ज्यादा बंदी हैं. इनमें महिला बंदी भी शामिल हैं. शोध में इन पांचों जेलों के करीब 15, 790 बंदियों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़ों को शामिल किया गया. यह सर्वेक्षण जेल सुधारक वर्तिका नन्दा के देश की जेलों पर किए जा रहे एक शोध का हिस्सा है. वे जेलों पर काम कर रही तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक हैं. इन आंकड़ों को उत्तर प्रदेश के जेल विभाग से लिया गया है. सर्वेक्षण से यह साफ है कि जेलों में कोरोना काल में फोन-कॉल का अनुपात कम से कम तीन गुना बढ़ गया है. नोएडा और गौतम बुद्ध नगर की जिला जेलों में हर रोज किए जा रहे फोन में वृद्धि का अनुपात अधिकतम है. यहां पर फोन कॉल में 7 से सीधे 325 और 38 से 260 का उछाल दर्ज किया गया है. दिलचस्प बात यह भी कि कोरोना से पहले इन जेलों में महिलाओं ने एक भी फोन नहीं किया था और अब यह संख्या 25 और 5 पर है.
इस परिप्रक्ष्य में जेल में फोन की उपलब्धता भी गौर करने योग्य है. जिला जेल, लखनऊ में प्रति 435 बंदियों पर एक फोन जबकि केंद्रीय जेल, नैनी में प्रति 2079 बंदियों पर एक फोन उपलब्ध है. उत्तर प्रदेश कारागार विभाग के महानिदेशक आनंद कुमार का कहना है कि कोरोना संकट की शुरुआत के साथ ही विभाग ने पूरी सक्रियता दिखाते हुए जेलों में टेलीफोन की सुविधा उपलब्ध करवा दी. जेल स्टाफ यह कोशिश कर रहा है कि सभी बंदियों को फोन के जरिए अपने परिवारों से संपर्क करने का पूरा मौका मिले. वर्तिका नन्दा का कहना है कि जेलों में फोन की यह सुविधा जेल सुधार की दिशा में एक कारगर कदम है. संवादविहीन जेलों में अब संवाद की एक नई परंपरा बन रही है. यह जेलों में सुधार लाने और उन्हें मानवीय बनाने में मदद करेगा.
शोध से यह भी सामने आया कि कोरोना से पहले ज्यादातर जेलों में महिलाओं को फोन करने की सुविधा नहीं दी जाती थी क्योंकि फोन बूथ पुरुषों की जेल में लगे होते हैं. अब जेलों ने फोन लाइनों की सुविधा सभी बंदियों के लिए बराबरी के साथ उपलब्ध करवा दी है. जेल प्रशासन ने फोन ऐसी जगहों पर लगवा दिए हैं जहां महिलाओं के जाने पर पाबंदी नहीं है. बंदी जेल में आए इस बदलाव से बेहद खुश हैं. फोन की सुविधा ने उनकी जिंदगी में सुकून दिया है लेकिन कई जेलों में बंदियों की बड़ी तादाद के सामने फोन की संख्या बहुत कम है. इसलिए अगली कॉल के इंतजार का समय 3 से 10 दिन के बीच का है. मौजूदा समय में एक बंदी को प्रति काल 2 से 5 मिनट तक बात करने की सुविधा है. जाहिर है, फोन बढ़ेंगे तो बंदिशों में जीती जेलों में तनाव कुछ कम होगा. मुलाकातें बंद होने से सिमटे संवाद के बीच फिलहाल फोन ही सबसे बड़ा आसरा है.
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए देश से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: May 11, 2020, 10:31 AM IST