कोरोना वायरस को लेकर खूब फैलाई गईं सांप्रदायिक अफवाहें, अधिकतर में मुस्लिमों पर लगाए गए झूठे आरोप- बूम लाइव | majority-of-coronavirus-related-fact-checks-related-to-communal-rumours-against-muslims-claims-boom-live | nation – News in Hindi
दावा किया गया कि अप्रैल के अंत तक बूम लाइव की तथ्य जांच में से कई सांप्रदायिक अफवाहों पर थीं.
बूम लाइव फेसबुक (Facebook) जैसी सोशल मीडिया (Social Media) कंपनियों के साथ काम करने वाली तथ्यों की जांच (फैक्ट चेकिंग) से जुड़ी वेबसाइट है.
अप्रैल में सामने आई ये प्रवृत्ति
बूम लाइव ने कहा कि उसने इस साल जनवरी से लेकर मई तक कोविड-19 से संबंधित गलत/भ्रामक जानकारियों से संबंधित 178 तथ्यात्मक जांचों का विश्लेषण किया. रिपोर्ट में कहा गया, “अप्रैल के दौरान एक नयी तरह की प्रवृत्ति देखने को मिली जिसमें मुसलमानों को निशाना बनाते हुए गलत सूचनाओं से संबंधित आरोप ज्यादा आने लगे.” इसमें दावा किया गया कि अप्रैल के अंत तक बूम लाइव की तथ्य जांच में से कई (34 विशिष्ट तथ्य जांच) सांप्रदायिक अफवाहों पर थीं.
इस्लाम विरोधी अफवाहें हुईं वायरलरिपोर्ट में कहा गया कि तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के कई सदस्यों के संक्रमित पाए जाने के बाद “इंटरनेट पर उनके जान-बूझ कर वायरस फैलाने की इस्लाम-विरोधी नफरत से जुड़ी अफवाहें वायरल होने लगीं.” अप्रैल में जो अन्य प्रवृत्तियां सामने आईं उनमें- राजनीति से जुड़ी फर्जी खबरें, बंद के बारे में गलत जानकारी, इटली के बारे में गलत जानकारी के साथ ही अर्थव्यवस्था से संबंधित अफवाहें- प्रमुख रूप से थीं.
जनवरी-फरवरी के दौरान चीन के बारे में अधिकतर अफवाहें देखने को मिलीं जिनमें से कुछ कोविड-19 से संबंधित गलत पूर्वानुमान और इलाज/रोकथाम/उपचार से जुड़ी थीं. मार्च में इटली और बंद से जुड़ी फर्जी खबरें सामने आईं और इसी के साथ वायरस के जैविक हथियार होने संबंधी अफवाहें भी वायरल होने लगीं.
फरवरी में सामने आईं ये घटनाएं
बूम लाइव ने कहा कि उसने कोविड-19 को लेकर अपनी पहली तथ्यान्वेषी जांच 25 जनवरी को की थी जबकि फरवरी में दिल्ली चुनाव, डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा और दिल्ली दंगों जैसी अहम घटनाएं और गतिविधियां देखने को मिलीं. उसने कहा, “मार्च में मुद्दों में व्यापक बदलाव देखने को मिला, और कोविड-19 से जुड़ी ज्यादा गलत जानकारियां ऑनलाइन वायरल हुईं.”
बूम लाइव ने कहा कि अधिकतर गलत या भ्रामक दावे वीडियो के साथ प्रसारित किये गए (35 प्रतिशत), टेक्स्ट संदेशों को साझा करने की भी अच्छी खासी संख्या थी (29.4 प्रतिशत), फर्जी उपचार, इलाज या प्रसिद्ध हस्तियों को उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए उद्धृत करने के मामले भी सामने आए (29.4 प्रतिशत) जो या तो गलत तरीके से उद्धृत किये गए थे या उनसे छेड़छाड़ की गई थी.
गलत संदर्भों में वायरल हो रहीं वीडियो क्लिप
बूम लाइव ने कहा, “हमनें यह भी देखा कि छोटी संख्या में ऑडियो क्लिप्स (2.2 प्रतिशत) भी गलत संदर्भों में वायरल हो रही हैं. हमारे कुछ तथ्यान्वेषण मुख्यधारा के मीडिया संगठनों की खबरों पर भी थे (4 प्रतिशत). इनमें से अधिकतर कहानियां एक खास समुदाय के खिलाफ गलत दावे करती पायी गयीं.”
बूम लाइव ने कहा कि उसने मार्च में टेक्स्ट आधारित गलत सूचनाओं में तेजी देखी क्योंकि गलत अधिसूचनाएं और बंद को लेकर दिशानिर्देश वायरल हो रहे थे.
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First published: May 9, 2020, 10:52 PM IST