उत्तर कोरिया में अब तक क्यों रखे हुए हैं किम के पिता और दादा के शव north korea display of dead leaders helped by russian scientist kim jong un | knowledge – News in Hindi
कोरिया के दूसरे शासक Kim Jong-il की दिसंबर 2011 में मौत के बाद उनका शरीर राजधानी के Kumsusan Memorial Palace में रख दिया गया. वर्तमान तानाशाह और मृतक के बेटे किम जोंग का कहना था कि पिता देश की एकता और रक्षा को लेकर खासे सक्रिय थे और उनके मृत शरीर को जनता के दर्शनार्थ पर लोगों को भी वफादारी की प्रेरणा मिलती रहेगी. इससे पहले उत्तर कोरिया के संस्थापक Kim Il-sung की साल 1994 में मौत के बाद भी उनके शरीर की अंतयेष्टि नहीं हुई थी, बल्कि उसे भी इसी पैलेस में रख दिया गया था. इसी के बगल में कोरिया के दूसरे राजा का शव रखा गया.
Kumsusan Palace of Sun में उत्तर कोरिया के तानाशाहों की समाधि बनाए जाने की परंपरा बन गई है
प्योंगयांग में बने Kumsusan Palace of Sun में जहां उत्तर कोरिया के तानाशाहों की समाधि बनाए जाने की परंपरा बन गई है, वो साल 1976 में असेंबली हॉल की तरह बनाया गया था, जहां से Kim Il-sung अपना कामकाज किया करते थे. साल 1994 में राजा की मौत के बाद उनके दफ्तर को समाधि वाली इमारत में बदल दिया गया. अब यहां पर कांच के ताबूतों में किम जोंग के दादा और पिता के मृत शरीर रखे हुए हैं. शवों के सिर के नीचे कोरियन स्टाइल के तकिए हैं, जिनपर नॉर्थ कोरिया का झंडा बना हुआ है. यहां पर शासकों की ताकत के कई प्रमाण रखे हैं, जैसे उनके मेडल, पढ़ाई के सर्टिफिकेट आदि. इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्मारक माना जाता है.यहां जाने के खास कायदे हैं. कोई भी किसी भी तरह की पोशाक में नहीं जा सकता बल्कि अगर वो पुरुष है तो उसे शर्ट-टाई-ट्राउजर पहनना होगा और स्त्री है तो ठीक तरह से ढंगे हुए फॉर्मल कपड़े. अंदर जाते हुए आपको एक एक्सरे मशीन से गुजारा जाएगा, साथ ही एक ब्लोअर भी है जो कपड़ों की धूल साफ करेगी ताकि भीतर गंदगी का कण तक न जा सके.
उत्तर कोरिया का वर्तमान सैन्य शासक शवों के मेंटेनेंस पर करोड़ों खर्च करता है
वैसे सालों-साल बीतने के बाद भी शव खराब हों, इसके लिए खास तकनीक अपनाई जाती है. रूस में मॉस्को के विशेषज्ञ इसके लिए काम कर रहे हैं, जो Lenin Lab से ताल्लुक रखते हैं. बड़े राजनेताओं और शख्सियतों के मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए काम करने वाली इस लैब ने सबसे साल 1924 में व्लादिमीर लेनिन के शव पर लेप लगाकर उसे डिसप्ले में रखा था. इसी लैब के रिसर्चर हर साल उत्तर कोरिया भी जाते हैं ताकि वहां के मृत तानाशाहों के शरीर को सुरक्षित और फ्रैश दिखा सकें.
बर्कले के University of California में एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर Alexei Yurchak के मुताबिक कम्युनिस्ट शासकों के शवों को सुरक्षित रखने की परंपरा मॉस्को लैब ने शुरू की और धीरे-धीरे लोकल वैज्ञानिकों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाने लगा. वैसे शवों को सहेजने के पीछे कम्युनिस्ट देशों के नेताओं के मृत शरीरों के जरिए ही देशों को एक तार में बांधने की मानसिकता काम करती थी.
मनीफिकेशन की प्रक्रिया, जो प्राचीन मिस्र में अपनाई जाती थी, उसमें मृतक का शरीर अकड़ जाता था
ममिफिकेशन की प्रक्रिया, जो प्राचीन मिस्र में अपनाई जाती थी, उसमें मृतक का शरीर अकड़ जाता था. अब कोरियाई शासकों के साथ निहायत आधुनिक प्रक्रिया का उपयोग किया गया है ताकि शव का शरीर फ्लैक्जिबल रहे और ताजादम लगे. हालांकि देश को इसके लिए हर साल काफी ज्यादा पैसे खर्चने होते हैं. असल में नब्बे के दशक के दौरान जब सोवियत यूनियन टूट गया था, जब उसे पैसों के लिए फॉरेन क्लाइंट्स की तरफ देखना पड़ा. इसी दौर में उत्तर कोरिया के संस्थापक की मौत हुई और रूस ने उसके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए काफी फीस ली. महीनों तक चलने वाली इस प्रक्रिया के तहत शरीर पर खास केमिकल लगाए जाते हैं, जिनके बारे में कुछ खास साइंटिस्ट ही जानते हैं.
अब तक ये पता नहीं चल सका है कि हर साल कितने पैसे कोरियाई देश रूस को देता है. हालांकि साल 2016 में जब मॉस्को ने पहली बार लेनिन के शरीर को सुरक्षित रखे जाने पर टिप्पणी की थी, तो उसने इसपर सालाना मेंटेनेंस लगभग 200,000 डॉलर बताया था. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नॉर्थ कोरिया चूंकि रूस के लिए फॉरेन क्लाइंट है तो उससे किम परिवार के 2 शवों के मेंटेनेंस के कितने पैसे लिए जाते होंगे.
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