Lockdown 3.0: 12 घंटे काम, 2-3 साल के लिए रद्द हो श्रम कानून, उद्योग जगत ने सरकार से की ये मांग | Coronavirus lockdown suspend labour laws increase working hour urge to employers associations | nation – News in Hindi
ये बैठक में लॉकडाउन की समस्या और उसके बाद अर्थव्यवस्था को उबारने की चुनौती के मद्देनज़र बुलाई गई थी. बैठक में नियोक्ता समूहों के ज़्यादातर प्रतिनिधियों ने कामकाज का समय बढ़ाने की मांग की. उनका कहना था कि काम करने की समयसीमा रोज़ाना 12 घंटे किया जाना चाहिए, ताकि लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई हो सके. नियोक्ता और कर्मचारी, दोनों ही तरफ़ से सामाजिक सुरक्षा से जुड़े खर्चे में कटौती की भी सलाह दी गई है.
औद्योगिक विवाद कानून में ढील की मांग
यही नहीं, उद्योग जगत ने सरकार से औद्योगिक विवाद कानून (Industrial Disputes Act) में ढील दिए जाने की भी मांग की है. उनका सुझाव है कि इस कानून में ढील बरतते हुए लॉकडाउन की अवधि को कामबंदी (Lay Off) के तौर पर माना जाए. ऐसा करने से मज़दूरों और कर्मचारियों के प्रति उद्योग जगत की देनदारियों पर फर्क पड़ेगा.ये है उद्योग जगत की प्रमुख मांगें:-
>>मजदूरों के काम के घंटे 8 की वजह 12 घंटे किए जाए.
>>उद्योग जगत को इस संकट से निकलने के लिए एक पैकेज का ऐलान हो.
>>कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन भी कंपिनयों के सीएसआर यानी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत लाया जाना चाहिए. कंपनियों को टैक्स पर छूट के रूप में इसका फायदा मिलेगा.
>>सस्ते दर पर बिजली मुहैया कराई जाए.
>>उद्योग जगत ने रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन बनाने की जगह कंटेन्मेंट और नॉन कंटेन्मेंट ज़ोन बनाने की सलाह दी है.
>>उद्योग जगत का कहना था कि नॉन कंटेन्मेंट इलाकों में सभी आर्थिक गतिविधियां शुरू की जानी चाहिए.
ये संगठन हुए शामिल
बैठक में उद्योग जगत की सबसे बड़ी संस्था फिक्की, सीआईआई, एसोचैम, पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और लघु उद्योग भारती समेत 12 संगठनों ने भाग लिया.
श्रम मंत्री बोले- मांगों पर करेंगे विचार
इस बैठक में श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि वो उद्योग जगत और नियोक्ता समूहों की बात पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे, ताकि इस संकट से निकल कर आर्थिक विकास की गति बढ़ाई जा सके.
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