लॉकडाउन: अपने घर जाते हुए दूसरों के लिए ऐसे मदद भी कर रहे हैं प्रवासी मजदूर | coronavirus lockdown migrant worker helps delhi man send medicines to mother | nation – News in Hindi
लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी जारी है.
दिल्ली निवासी सुभाष सिंह की 67 वर्षीय मां बिहार के पूर्णिया में रहती हैं. उनके दिल में ब्लॉक हो गया है, लेकिन सुभाष इस लॉकडाउन के चलते अपनी मां तक न तो खुद पहुंच पा रहे हैं और न ही दवाएं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसे में एक मजदूर ने उनकी मदद की.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, दिल्ली निवासी सुभाष सिंह की 67 वर्षीय मां बिहार के पूर्णिया में रहती हैं. उनके दिल में ब्लॉक हो गया है. दिल्ली के डॉक्टर ने उन्हें कुछ दवाएं लिखी हैं, लेकिन सुभाष इस लॉकडाउन के चलते अपनी मां तक न तो खुद पहुंच पा रहे हैं और न ही दवाएं पहुंचा पा रहे हैं.
द्वारका में रहने वाले 40 वर्षीय सुभाष सिंह पिछले डेढ़ साल से हर तीन महीने में अपनी मां को पार्सल के जरिए दवा भेज रहे हैं. इसके लिए हर बार उन्हें 20,000 रुपये से अधिक की लागत आती है. सुभाष बताते हैं, ‘अगर मेरी मां ये दवाएं नहीं खाती हैं, तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. ये उनकी जान के लिए खतरा हो सकता है.’
जब से लॉकडाउन की घोषणा हुई है, तब से सुभाष सिंह के लिए मां को दवाइयां भेजना बहुत मुश्किल हो गया है. कुछ दिन पहले वह द्वारका के लोकल पोस्ट ऑफिस भी गए थे, लेकिन वह बंद था. वह बताते हैं, ‘मैंने प्राइवेट कूरियल वालों से भी बात की और यहां तक कि भारतीय डाकघर के हेड ऑफिस भी गया, लेकिन किसी ने मेरा पार्सल स्वीकार नहीं किया.’शुक्रवार को जब उन्हें सूचना मिली की प्रवासी मजदूरों को लेकर एक बस पटना जा रही है, तो सुभाष स्टेशन पहुंच गए. स्टेशन के बाहर चेक पॉइंट के पास खड़े होकर वह वहां से गुजरने वाले मजदूरों से मदद की गुहार लगाते रहे. पुलिसवालों से भी मदद मांगी.
आखिर में एक प्रवासी मजदूर दवाइयों का पार्सल मुजफ्फरपुर तक ले जाने के लिए राजी हो गया. तय हुआ कि वहां से उनका भाई दवा का पार्सल रिसीव कर लेगा. इतनी बड़ी मदद मिलने के बाद सुभाष अब कुछ राहत महसूस कर रहे हैं.
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First published: May 9, 2020, 7:39 AM IST