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Lockdown Diary: दिन तो काम में कट जाता है, रात भर रहती है बैचेनी, जल्द आना चाहता हूं भारत, coronavirus covid-19-indians-who-are-living-in-saudi-arabia-during-lockdown-air india-dlnh | delhi-ncr – News in Hindi

Lockdown Diary: दिन तो काम में कट जाता है, रात भर रहती है बैचेनी, जल्द आना चाहता हूं भारत

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सऊदी अरब में नौकरी करने गए ओखला, दिल्ली निवासी ताज मोहम्मद ने बताया कि वो कोरोना से कितने घबराए हुए हैं. उन्हीं के शब्दों में जानें कि कैसे घर पर कई बार कॉल करके बीवी और बच्चों को हिदायत देते हुए उनका दिन कटता है.

नई दिल्ली. दुनिया के ज़्यादातर देश कोरोना (Corona) की चपेट में आ चुके हैं. लाखों भारतीय (Indians) कारोबार, पढ़ाई और रोज़गार के चलते दूसरे देशों में गए हुए हैं. लेकिन ऐसे में उन्हें सबसे ज़्यादा फिक्र भारत में रह रहे अपने परिवार की सता रही है. सोशल और डिजिटल मीडिया (Social Media) पर पल-पल आती कोरोना से जुड़ी खबरें उन्हें डरा जाती हैं.

लेकिन वो पल बड़ा सुकून देने वाला होता है जब पता चलता है कि कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) इलाज करने के साथ-साथ घरों में ज़रूरत का सामान भी पहुंचा रहे हैं और बीमार पड़ने पर अस्पताल ले जा रहे हैं. सऊदी अरब (Saudi Arabia) के दम्माम में नौकरी करने गए ओखला, दिल्ली के एक ऐसे ही एक शख्स से हमने बात की. उन्हीं के शब्दों में जानें कि कैसे घर पर दिन में कई बार कॉल करके बीवी और बच्चों को हिदायत देते हुए उनका दिन कटता है.

“मैं अक्टूबर में भारत से दम्माम आया था. कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़ा हुआ हूं. जब घर से चला था तभी तय कर लिया था कि इंशा अल्लाह ईद बच्चों के साथ ही मनाऊंगा. जब दिसम्बर और जनवरी में चीन का हाल देखा तो कुछ सवाल थे जो दिमाग में आए और चले गए. लेकिन फरवरी में इटली, ईरान ने तो और ज़्यादा डरा दिया. तब तक केरल से एक कोरोना पॉजिटिव मरीज के बारे में पता चल चुका था. अब तक अपने घर को लेकर परेशानी बढ़ चुकी थी. लेकिन मरीज केरल में मिला है तो सरकार ज़रूरी इंतज़ाम कर लेगी और उत्तर भारत तक यह बीमारी नहीं पहुंच पाएगी. मुझे ऐसी उम्मीद थी.

लेकिन वो सब एक वहम साबित हुआ. जब मार्च में लॉकडाउन का ऐलान हुआ तो मैं समझ गया कि हालात ठीक नहीं हैं. अगर मैं अपने खर्च पर भी आना चाहता तो अब आ नहीं सकता था. फ्लाइट रोक दी गईं थी. कसम से तीन-चार दिन तक तो खाना भी अच्छा नहीं लगा.भारी मन से काम करने चला जाता था, लेकिन दिल और दिमाग भारत में घर पर ही लगे रहते थे. हर तीन-चार घंटे बाद 5 मिनट निकालकर घर पर एक फोन करता. बीवी से बात करने के बाद बारी-बारी तीनों बच्चों से बात करता. उन्हें समझाता कि अब घर का दरवाज़ा भी नहीं खोलना है. न तो पड़ोसियों के यहां जाना है औन न ही उन्हें बुलाना है.

16 साल के बड़े बेटे को समझाया कि कम से कम 10 दिन की सब्जी घर में लाकर रखो. दूध लेने के लिए भी हो सके तो चार दिन बाद ही जाओ. छोटा बेटा क्रिकेट का शौकीन है. उसे मना किया कि बिल्डिंग की छत पर या पार्किंग में मत जाना. इसके अलावा बस यही दुआ करता कि अल्लाह किसी तरह से घर वापसी का रास्ता बना दे.

अब चार दिन पहले पता चला है कि एयर इंडिया की फ्लाइट आ रही हैं. हर मुमकिन कोशिश में लगा हूं कि पहली या दूसरी ही फ्लाइट से घर पहुंच जाऊं. क्योंकि यहां दिन तो काम में कट जाता है, लेकिन रातभर बड़ी बैचेनी रहती है. जब से पॉजिटिव का आंकड़ा 50 हज़ार के पार गया है तो अब एक पल भी चैन नहीं रहता है.”

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First published: May 8, 2020, 1:27 PM IST



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