देश दुनिया

आनेवाले समय में सैनिक पहनेंगे मकड़ी के जाल से बनी बुलेटप्रूफ जैकेट bulletproof vest spider silk american army | knowledge – News in Hindi

आनेवाले समय में सैनिक पहनेंगे मकड़ी के जाल से बनी बुलेटप्रूफ जैकेट

स्पाइडर सिल्क बढ़िया क्वालिटी के सिल्क की तुलना में हल्का और लचीला है

आर्मी (army) और खुफिया दस्ते (intelligence agency) के लोग जो फौलादी बुलेटप्रूफ जैकेट (bulletproof vest) पहनते हैं, वो अब मकड़ी के रेशम (spider silk) से बनने जा रही है. इसे ड्रैगन सिल्क (dragon silk) कहा जा रहा है.

बुलेटप्रूफ जैकेट (bulletproof vest) फिलहाल केवलार (kevlar) से बनती हैं. केवलार बेहद ताकतवर सिंथेटिक फाइबर होता है जो विशेष रूप से टायर और अन्य रबड़ उत्पादों के निर्माण में एक मजबूत एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है. अब अमेरिका की क्रेग बायोक्राफ्ट लेबोरेटरीज (Kraig Biocraft Laboratories) मकड़ी के सिल्क से ये जैकेट बनाने की प्रक्रिया में है. उसका दावा है कि मकड़ी के जाले इतने मजबूत होते हैं कि ढंग से बुनने पर वे बंदूक की गोली को भी रोक सकते हैं.

क्या है स्पाइडर सिल्क
स्पाइडर सिल्क एक तरह का प्रोटीन फाइबर है जो मकड़ियां प्रोड्यूस करती हैं. यह बढ़िया क्वालिटी के सिल्क की तुलना में हल्का और लचीला है, और मजबूत भी है. इसके संभावित प्रयोग सेनाओं के लिए जैकेट से लेकर डॉक्टरों के लिए सर्जिकल सूट तक हो सकते हैं. लेकिन इन प्रकार के उत्पादों को वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त मकड़ी रेशम का उत्पादन और कटाई एक बड़ी चुनौती होगी. अमेरिका के मिशिगन में स्थित क्रेग बायोक्राफ्ट लेबोरेटरीज ने मकड़ी रेशम का इस्तेमाल दस्ताने बनाने के लिए किया है जिनकी टेस्टिंग चल रही है.

आर्मी के लोग जो फौलादी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं, वो अब मकड़ी के रेशम से बनने जा रही है

कैसे करता है काम
माना जा रहा है कि स्पाइडर सिल्क यानि मकड़ी का रेशम वर्तमान जैकेट में इस्तेमाल होने वाले केवलार से भी ज़्यादा मजबूत होता है. अल्ट्रा-स्ट्रांग स्पाइडर सिल्क अब तक खोजे जा सके प्राकृतिक फाइबर में सबसे मजबूत फाइबर है. यह लड़ाई या मुठभेड़ के दौरान गोलियों से सैनिकों की रक्षा कर सकता है. क्रेग बायोक्राफ्ट लेबोरेटरीज के सीईओ किम थॉम्पसन का कहना है कि रेशम इतना मजबूत होता है कि स्वाभाविक रूप शिकार की ऊर्जा को कम कर देता है. इस तरह से सैनिकों को स्पाइडर सिल्क ठोस केवलार की तुलना में ज्यादा आरामदेह ढंग से सुरक्षा दे सकता है.

कैसे बनेगा मकड़ी से रेशम
थॉम्पसन इस विचार पर लगभग 10 वर्षों से काम कर रहे हैं. साल 2011 में क्रैग सलाहकार बोर्ड के कुछ वैज्ञानिकों ने एक शोध प्रकाशित किया जिसमें बताया गया है कि यह प्रक्रिया कैसे काम करती है. वैज्ञानिक स्पाइडर रेशम का उत्पादन करने वाले प्रोटीन पर मकड़ी से डीएन लेते हैं. प्रोटीन अमीनो एसिड से बने अणु होते हैं जो कोशिकाओं में कार्य करते हैं, जैसे घावों को ठीक करना. प्रोटीन को मॉडिफाई किया जाता है, फिर रासायनिक रूप से एक प्रकार का जैविक चालू और बंद स्विच करने के लिए कोड किया जाता है. जब रेशम का कीड़ा अपने विकास में एक निश्चित बिंदु तक पहुंच जाता है, तो प्रोटीन स्विच हो जाता है, और रेशम का उत्पादन तेजी से होने लगता है.

रेशम की जैकेट मजबूत होने के साथ आराम देने वाली भी हो सकेगी

बुलेटप्रूफ जैकेट के बाजार में रेशम का भविष्य
इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक बार उत्पादन बढ़ेगा तो चलने भी लगेगा. थॉम्पसन का अनुमान है कि जिस तरह से खुद को सुरक्षित रखने के लिए सैनिक फिलहाल जैकेट लादकर चलते हैं, रेशम से बनी जैकेट उससे कहीं हल्की और आराम देने वाली होगी. इससे उनके दौड़ने-भागने और लड़ाई के मैदान में काम की क्षमता भी बढ़ जाएगी. रेशम के इस जैकेट के बारे में खोज पर सकारात्मक नतीजे साइंस जर्नल  Proceedings of the National Academy of Sciences में भी आ चुके हैं. फिलहाल ये अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि सिल्क के जैकेट कब तैयार हो सकेंगे लेकिन सबसे पहले इस रेशम से सेना के लिए अंडरगार्मेंट बनाए जाएंगे, जिसकी तैयारी चल रही है ताकि मुश्किल हालातों के दौरान भी सैनिकों के पास सुरक्षित और साबुत कपड़े रहें.

ये भी देखें:

फ्रोजन लेडी जो बर्फ बनकर भी जिंदा रही, आज तक डॉक्टरों के लिए है गुत्थी

जैसे-जैसे म्यूटेशन बढ़ेगा, कितना खतरनाक होता जाएगा कोरोना वायरस?

बच्चों के फेवरेट मैथ टीचर से कैसे आतंकी बन गया रियाज नायकू

जब आलू के अकाल के कारण गईं लाखों जानें, 10 लाख ने छोड़ा मुल्क

News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए नॉलेज से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.


First published: May 7, 2020, 5:21 PM IST



Source link

Related Articles

Back to top button