छत्तीसगढ़

किसानों को अब हाईकोर्ट से आस, धान खरीदी नहीं होने से बढ़ने लगी नाराजगी किसानों का धान आज 5-6 महीनों से पड़ा-पड़ा सड़ रहा है. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है

किसानों को अब हाईकोर्ट से आस, धान खरीदी नहीं होने से बढ़ने लगी नाराजगी किसानों का धान आज 5-6 महीनों से पड़ा-पड़ा सड़ रहा है. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-.धान बेचने से वंचित किसान और धन्यवाद करता हो और राष्ट्रीय समाचार चैनलों में जाकर इस वैश्विक महामारी टूट गई .अब किसानों का धैर्य समाप्त हो चुका है जिले के चारो ब्लॉकों से में भी रिकॉर्ड धान खरीदी की बात करता लगभग 100 किसानों ने भारतीय सरकार की उपेक्षा से परेशान किसानों हो उस किसान पुत्र मुख्यमंत्री के पास

 

किसानसंघके जिला अध्यक्ष दानेश्वर को अब अपने साथ न्याय के लिए न्यायालय का द्वार खटखटाना पड़ेगा इसकी पूरी तैयारी वे कर चुके हैं. उन्हें किसानों कीसमस्यासुनने और उसपर परिहार के नेतृत्व में हाईकोर्ट में याचिका लगाने का निर्णय लिया है. दानेश्वर उत्तर देने का समय नहीं है या वे इस विषय को इतना आवश्यक नहीं मानते परिहार ने बताया कि भारतीय किसान लगने लगा है कि सरकारों पर लगाम लगाने वाली न्यायपालिका से ही उसे संघ भी एक जनहित याचिका सरकार भारतीय किसान संघ के लोहारा केविरुद्ध दायर करेगी.किसानों के लिए न्याय मिलेगा इसलिए किसान अब मुंह विकासखंड उठाकर हाईकोर्ट की ओर देख रहा है. के अध्यक्ष संजय साहू ने अबयेलड़ाई करोया मरोकीहोगई है बताया कि अभी भी 5 हज़ार टोकनधारी किसानों को 2 लाख क्विंटल से अधिक धान बिक्री करना शेष है भारतीय किसान संघ के द्वारा अपना धान सरकार खरीद ले इस हेतु फरवरी माह में पूरे प्रदेश में जगह जगह ऐसी वैश्विक महामारी में भी किसान आंदोलन किये गये जिसके परिणाम स्वरूप सरकार ने धान खरीदी तो कि क्यों रात दिन जद्दोजहद करता लॉकडाउन के चलते विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म एवं पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों, मंत्रियों एवं मुख्यमंत्री को गुहार लगाता रहता लेकिन इसे किसानों कादुर्भाग्य कहे या अफसरों की लालफिताशाही, जिस लेकिन सभी टोकनधारी किसानों का धान नहीं खरीदा और ना ही शासन प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट उत्तर दिया सरकार शराब दुकान खोलने हेतु सारी व्यवस्था करा सकती है लेकिन धान खरीदी के विषय पर लॉकडाउन एवं बहुत से कारण एवं समस्याओं की बात कहती है. यह सरकार अपने ही राज्य की जनता का शोषण करने पर तू है. सरकार को शराब से उजड़ते किसानों मजदूरों के घर नहीं दिखाई पड़ते, उन्हें चाहिए तो मात्र राजस्व . जबकि वह सरकार जिसने शराबबंदी गया. ज्ञात हो कि धान बिक्रीनाहोपाने की घोषणा की हो किसान भी अब जागरूकहोगयाहै अपने अधिकार की लड़ाई वह स्वयं लड़ेगा पुनःकमर कस सरकार विरुद्ध सड़क पर ना लड़ के कारण कई किसान अभी तक कर्जदार बने हुए हैं, कई किसानों के राज्य का मुख्यमंत्री छोटे से छोटे दान बच्चों की शिक्षा में अवरोध आ गया, दाताओंकेदान करनेपरट्वीटकर तुरंत कितने ही किसानों की बेटियों की शादी हाईकोर्ट में लड़ेगा.

 

 

 

 

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