जब आलू के अकाल के कारण गईं लाखों जानें, 10 लाख ने छोड़ा मुल्क | knowledge News in Hindi

आलू के इस अकाल की शुरुआत साल 1845 में हुई, जब वहां पर आलुओं में एक खास तरह का फंगस लगने लगा. P. infestans नाम के इस फंगस ने उस साल आधी से ज्यादा आलुओं की फसल तबाह कर दी और ये सिलसिला सात सालों तक चलने के बाद साल 1852 में थमा. तब तक 10 लाख से ज्यादा आयरिश लोगों की भुखमरी और खराब आलू खाने से मौत हो चुकी थी. वहीं 10 लाख से भी ज्यादा लोग आयरलैंड छोड़कर दूसरे देशों की ओर जा चुके थे. माना जाता है कि तब अचानक से ही आयरलैंड की आबादी लगभग 25 प्रतिशत तक कम हो गई.

आलू में बीमारी फैली तो उनके पास खरीदने को न तो पैसे थे और न ही खुद की फसल का कोई हिस्सा साबुत बचा था
ऐसे हुई अकाल की शुरुआतसाल 1845 में आलुओं में फंगल लगने पर आयरिश नेताओं ने क्वीन विक्टोरिया से भुखमरी फैलने की खबर बताई और लोगों की मदद की अपील की. तब आयरलैंड पर अंग्रेजी शासन था. क्वीन ने कार्रवाई के तौर पर कॉर्न लॉ वापस ले लिया. ये वो लॉ था, जिसके कारण अनाजों की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी. अनाज की कीमत अपेक्षाकृत कम हो गई लेकिन तब भी भुखमरी खत्म नहीं हो सकी. आलू खराब होने के कारण बर्बाद किसान खुद अपने लिए भी फसल नहीं उगा पा रहे थे.
कैसे बने थे तब हालात
1800 सदी के दौरान आयरलैंड खेती-किसानी करने वाला देश था, जहां की आबादी 80 लाख के करीब थी. तब देश बार-बार अकाल और महामारियों से जूझने के कारण काफी गरीब था. एक छोटे से कमरे, जिसमें खिड़कियां भी नहीं होती थीं, कई-कई लोग रहते. छोटे समुदाय के साथ रहने को यहां clachans कहा जाता था. जब आलू में फंगस लगा, जब गरीब आयरिश आबादी के खाने का 70 प्रतिशत आलू ही हुआ करता था. इसकी वजह ये थी कि आलू के अलावा वे कुछ और न तो उपजा सकते थे और न ही खरीद पाते थे. आलू में प्रोटीन, कार्ब्स और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होने की वजह से वे आलू के साथ छाछ पीते. यही उनका मुख्य भोजन था.

आलू में फंगस लगा, जब गरीब आयरिश आबादी के खाने का 70 प्रतिशत आलू ही हुआ करता था
जब आलू में बीमारी फैली तो उनके पास खरीदने को न तो पैसे थे और न ही खुद की फसल का कोई हिस्सा साबुत बचा था. यही वजह है कि अकाल के दौरान आलू की कमी से आयरिश मरने लगे. एक ही कमरे में लाशें मुर्गियों और सुअरों जैसे पशुधन के बीच पड़ी सड़ती रहती थीं. गांव के गांव में लोगों का अंतिम संस्कार तक नहीं हो सका.
ब्रिटेन का क्रूर रवैया
परिवार के परिवार भुखमरी और कुपोषण से मरने लगे. लेकिन इस दौरान भी ब्रिटेन अपने लिए आयरलैंड से अनाज, पशुधन और मक्खन जैसी चीजें मंगवाता रहा. अकेले साल 1847 में आयरलैंड से बड़ी मात्रा में मटर, बीन्स, खरगोश, मछली और शहद जैसी चीजें निर्यात हुईं. इस बीच देश की लगभग 25 प्रतिशत आबादी या तो खत्म हो गई या फिर उत्तरी अमेरिका और ब्रिटेन चली गई. आयरलैंड के इस बुरे वक्त के दौरान भी ब्रिटेन की सरकार का रवैया सख्त ही रहा. एक Relief Commission भी बनाई गई जो मक्के से बना सूप वितरित करने का काम किया करती लेकिन ये सूप भी न तो पौष्टिक था और न ही सारे लोगों तक पहुंच पाता था. नतीजतन लोग कुपोषित होते गए और मौतें बढ़ती गईं.

इस दौरान नेटिव अमेरिकन लोगों ने, जिन्हें Choctaw कहा जाता है, आयरलैंड की मदद की कोशिश की
दशकों बाद साल 1997 में तत्कालीन ब्रिटिश पीएम टोनी ब्लेयर ने यूके की सरकार की तरफ से आयरलैंड से लिखित में माफी मांगी थी कि उतने संकट में भी सरकार उनकी मदद नहीं कर सकी.
नेटिव अमेरिका ने की मदद
अब बात करें आयरलैंड को तब मिली मदद की, तो इस दौरान नेटिव अमेरिकन लोगों ने, जिन्हें Choctaw कहा जाता है, आयरलैंड की मदद की कोशिश की. साल 1847 में जब Choctaw ने आयरलैंड की हालत के बारे में जाना, तब उनके खुद के पास बहुत सुविधाएं नहीं थीं. इसके बाद भी उन्होंने थोड़े-थोड़े पैसे जमा करके लगभग 170 डॉलर की मदद भेजी थी. आयरिश इस मदद को कभी भूल नहीं सके. अब जब नेटिव अमेरिकी लोग भी कोरोना संक्रमित हैं, आयरलैंड के लोग लगातार फंड बनाकर पैसे भेज रहे हैं. एक क्राउडफंडिंग वेबसाइट के जरिए अब तक 23 लाख डॉलर से अधिक की रकम जमा करके इस समुदाय को भेजी जा चुकी है. बता दें कि Choctaw या नेटिव अमेरिकी कहलाता ये समुदाय उन लोगों से बना है, जिन्हें दशकों पहले दूसरे गरीब देशों से मजदूरी के लिए अमेरिका लाया गया था. अब भी इस समुदाय के आर्थिक हालात खास अच्छे नहीं हैं और लगभग 40 फीसदी घरों में बिजली कनेक्शन नहीं है.
ये भी देखें:
चेतावनी: 5 दिनों में कोरोना के 10 हजार से ज्यादा मामले, अगले 4 हफ्ते होंगे खतरनाक
बड़ी कामयाबी: इस पालतू जानवर में मिली कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी
किम जोंग का हमशक्ल अकेला नहीं, ये बड़े लीडर भी रखते रहे डुप्लीकेट
जानें कौन से देशों की इकोनॉमी शराब की बिक्री पर करती है ज्यादा निर्भर