पन्द्रह साल पहले बनी श्री श्याम केमिकल का नहीं हुआ नवीनीकरण
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फर्नेस आयल के चोरी मामले में जेल जा चुका है फैक्ट्री का मालिक
भिलाई। हथखोज के श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री में आगजनी के चलते हुई मजदूर की मौत मामले में नीत नये तथ्य सामने आ रहे हैं। 15 साल पहले बनी श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री का एक भी बार नवीनीकरण नहीं हुआ है। फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों के प्रति बरती गई लापरवाही को अग्नि दुर्घटना का कारण माना जा रहा है। फैक्ट्री का मालिक कमल सेन उर्फ कमल चौहान पूर्व में फर्नेस आयल चोरी के मामले में भी जेल जा चुका है।
भारी औद्योगिक क्षेत्र हथखोज के श्री श्याम केमिकल में बीते 28 अप्रैल को हुई आगजनी की घटना में एक गरीब मजदूर की मौत के लिए काफी हद तक फैक्ट्री का मालिक कमल सेन उर्फ कमल चौहान जिम्मेदार है। इस मामले पर विशेष गंभीरता के साथ जांच किया जाये तो फैक्ट्री मालिक की लापरवाही सामने आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।
बताया जाता है कि श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री का निर्माण 15 साल पहले हुआ है। यह पुरी तरीके से हैंड मैनिफेक्चरिंग प्लांट है। बावजूद इसके फैक्ट्री मालिक ने कभी कलपुर्जों को बदलने का काम किया है और न ही समय के साथ मौजूदा परिस्थितियों के अनुरुप सुरक्षा मानकों को अपनााया है। जबकि किसी भी केमिकल फैक्ट्री में नियमत: दो से पांच सााल के भीतर कलपुर्जों को बदलना अनिवार्य है। इसके अलावा आगजनी जैसी दुर्घटना की संभावना को देखते हुए उसके रोकथाम के लिए अग्निशमन सिस्टम, पानी की टंकी तथा फैक्टी के चारों ओर पानी की पाइप लाइन बिछाना भी जरुरी है। लेकिन श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री में ऐसी कोई भी व्यवस्था बनाने के प्रति मालिक कमल सेन उर्फ कमल चौहान ने कभी भी गंभीरता नहीं दिखाई। आग पर काबू पाने का इंतजाम फैक्ट्री पर रहता तो 28 अप्रैल को हुई दुर्घटना में मजदूरों को झुलसने से बचाया जा सकता था।
सूत्रों का कहना है कि श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री का मालिक महज दिखावे के लिए उद्योग चलाता है। जबकि उसका मुख्य धंधा फर्नेस आयल की अफरा-तफरी है। फर्नेस आयल चोरी के मामले में कमल सेन उर्फ कमल चौहान पूर्व में महासमुन्द जिले में पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। फर्नेस आयल के काले कारोबार को ढके रहने के इरादे से श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री का संचालन कमल सेन के द्वारा महज औपचारिक तौर पर किया जा रहा है। इसी वजह से फैक्ट्री के 15 साल पुराने हो जाने के बावजूद उसके जीर्णोद्धार के लिए उसके द्वारा फुटी कौड़ी तक खर्च नहीं किया गया है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी है कि केमिकल आधारित उद्योग में पल-पल आगजनी का खतरा बना रहता है। इस खतरे को टालने फैक्ट्री के मशीनरी और कलपुर्जों की नियमित मरम्मत करनी पड़ती है। बिजली के तार व सिस्टम को भी उच्च गुणवत्ता के साथ बेहतर बनाये रखना जरुरी है। लेकिन श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री में इन सभी महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति कभी भी गंभीरता नहीं बरती गई। 28 अप्रैल को लगी आग की असली वजह इसी लापरवाही को माना जा रहा है।
इस लापरवाही ने पचपेड़ी गांव के गरीब मजदूर गोपेन्द्र की अग्नि दुर्घटना में बलि ले ली है।
यह पुरी तरीके से हैंड मैनिफेक्चरिंग प्लांट है। बावजूद फैक्ट्री मालिक ने कलपुर्जों को बदलने का काम नहीं किया
2. न ही समय के साथ मौजूदा परिस्थितियों के अनुरुप कंपनी में सुरक्षा मानकों को अपनााया गया है
3. किसी भी केमिकल फैक्ट्री में नियमत: दो से पांच सााल के भीतर कलपुर्जों को बदलना अनिवार्य है ये भी है गंभीर लापरवाही
4. आगजनी जैसी दुर्घटना की संभावना को देखते हुए उसके रोकथाम के लिए अग्निशमन सिस्टम, पानी की टंकी तथा फैक्टी के चारों ओर पानी की पाइप लाइन बिछाना भी जरुरी है