ईश्वर की पूजा उपासना वहीं हो सकती है, जहाँ पर दो चीज हो – ज्योतिष*

31.1.2021
*ईश्वर की पूजा उपासना वहीं हो सकती है, जहाँ पर दो चीज हो – ज्योतिष*
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ईश्वर भी और उपासक आत्मा भी। ईश्वर तो सब जगह है, परंतु आत्मा सब जगह नहीं है। शरीर के अंदर दोनों हैं। इसलिए ईश्वर की उपासना और अनुभूति शरीर से बाहर, सब जगह नहीं हो सकती। शरीर के अंदर ही हो सकती है। अतः शरीर के अंदर ही ईश्वर की उपासना एवं अनुभूति करें।
आँख नाक कान आदि सभी इंद्रियां बहिर्मुखी हैं। वे बाहर का व्यवहार करती हैं। हम एक समय में एक ही व्यवहार कर सकते हैं, या तो बाहर का या अपने अंदर का। अर्थात या तो संसार के साथ व्यवहार कर पाएंगे या ईश्वर की उपासना कर पाएंगे। जब हम व्यवहार काल में इंद्रियों से काम लेते हैं, तो हमारी बाह्य वृत्ति होती है, और हम संसार के साथ संबद्ध होते हैं। यदि ईश्वर के साथ संबद्ध होना हो, तो हमें बाह्य इंद्रियों के कार्य बंद करने होंगे। सब इंद्रियों को तथा मन को भी शांत करके अपनी अंतर्मुखी वृत्ति बनानी होगी। अर्थात ईश्वर का ध्यान करने का दृढ़ संकल्प बनाकर, हमें ईश्वर से बातचीत करनी होगी। तब तो हम ईश्वर की उपासना ठीक प्रकार से कर पाएंगे, अन्यथा नहीं।
ईश्वर एक है। सर्वव्यापक है। निराकार है। सर्वज्ञ है। न्यायकारी है, और आनंद स्वरूप है। ईश्वर का यह स्वरूप अपने मन में रखकर ईश्वर का ध्यान करें। ओम् शब्द का लंबा उच्चारण करें। उसका अर्थ बोलें, हे ईश्वर ! आप सर्वरक्षक हैं। हमारी भी रक्षा कीजिए। इसी प्रकार से, ओम् न्यायकारी। लंबा बोलें। फिर इसका अर्थ बोलें — हे ईश्वर ! आप न्यायकारी हैं, हमें भी न्यायकारी बनाइए। आप कभी किसी पर अन्याय नहीं करते, हम भी कभी किसी पर अन्याय नहीं करेंगे। इस प्रकार से अर्थ सहित ओम का जप अर्थात बार बार उच्चारण करें। इसके बाद गायत्री मंत्र से ईश्वर का ध्यान करें। वह भी अर्थ सहित करें।
इस प्रकार से प्रतिदिन सुबह शाम दोनों समय ईश्वर की उपासना करें। कम से कम 15/20 मिनट. अधिक जितनी आपकी इच्छा हो, 30 मिनट 45 मिनट 1 घंटा, जितनी इच्छा हो, अनुकूलता हो और आपकी श्रद्धा हो, उतना समय प्रतिदिन ईश्वर उपासना में अवश्य लगाएं।
*ईश्वर की इस उपासना से आपको बहुत शांति आनंद उत्साह निर्भयता प्रेम दया परोपकार आदि भावनाएं प्राप्त होंगी। और चिंता क्रोध लोभ ईर्ष्या अभिमान राग द्वेष घृणा इत्यादि दोष भी कम होते जाएंगे। कुल मिलाकर आपका जीवन सुखमय बनेगा।
– jyotishsahu30@gmal.com