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कैसा है इजरायल का हेल्थ सिस्टम, जो कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा कर रहा है health system in israel who claims to develop coronavirus vaccine | knowledge – News in Hindi

फिलहाल कोरोना को लेकर तमाम देश यही कोशिश कर रहे हैं कि वे संक्रमण की रफ्तार घटा सकें, जिसे विज्ञान की भाषा में flattening the curve कहते हैं. साथ ही दूसरा बड़ा काम है संदिग्धों की जांच और मरीजों का इलाज. इजरायल (Israel) दोनों ही मामलों में बहुत से देशों से काफी आगे चल रहा है. यहां अब तक कोरोना के कुल 16,314 मामले दर्ज हुए है, वहीं इसकी वजह से मृत्युदर भी ढाई सौ के भीतर है.

वैसे इजरायल को पहले से ही सेहतमंद देश माना जाता रहा है. साल 2019 में लंदन के थिंक टैंक The Legatum Prosperity Index ने 167 देशों में यह जानने की कोशिश की कि कौन सा देश सेहत के मामले में कहां खड़ा है. इसमें अस्पतालों की सुविधा और मृत्युदर के साथ ही ये भी देखा गया कि देश के लोग सेहत को लेकर कितने जागरुक हैं. इस हेल्थ इंडेक्स में इजरायल 11वें नंबर पर दिखा.

इसमें और भी सुधार दिख रहे हैं. जैसे जनवरी 2020 में ही यहां के स्वास्थ्य मंत्री ने People’s Health Ordinance Decree पर दस्तखत किए ताकि कोरोना या इसके जैसी किसी महामारी के फैलने पर मंत्रालय के पास जल्दी फैसले लेने का अधिकार हो. इसी के तहत जनवरी से ही यहां दूसरे देशों से आने वालों के लिए 14 दिनों का क्वारंटाइन अनिवार्य कर दिया गया. उस वक्त दूसरे देशों को इजरायल का ये कदम जल्दी और संसाधन खत्म करने वाला लग रहा था लेकिन आज उसी के कारण देश में कोरोना की दर कम है.

जनवरी से ही यहां दूसरे देशों से आने वालों के लिए 14 दिनों का क्वारंटाइन अनिवार्य कर दिया गया

कोरोना से इतर भी यहां पर सेहत को लेकर सरकार और लोग काफी जागरुक हैं. अगर आप इजरायल के रहने वाले हैं तो आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस होना ही चाहिए. National Health Insurance Law of 1995 के तहत वहां रहने वाले अपने परिवार के मुताबिक इंश्योरेंस चुन सकते हैं, जिसमें काफी बड़ी मदद सरकार की तरफ से होती है. यहां के हेल्थ सिस्टम का अंदाजा इसी बात से लग सकता है साल 1948 में यहां केवल 53% लोगों के पास ही हेल्थ इंश्योरेंस था, जो अगले 10 सालों के भीतर 90% से ऊपर चला गया. यहां के अस्पताल सारी सुविधाओं से युक्त हैं. साल 2014 के एक सर्वे के अनुसार 48 देशों में इजरायल का हेल्थ सिस्टम चौथे नंबर पर रखा गया. साथ ही मृत्यु दर के मामले में भी Bloomberg ने इस देश को सातवें स्थान पर रखा.

कोरोना के मामले में भी इस देश की कामयाबी का राज इसकी जागरुकता में है. यहां पर मामलों की शुरुआत में ही प्रतिबंध लग गए जो अब तक जारी हैं. जैसे कोई भी नागरिक घर से 100 मीटर यार्ड से ज्यादा दूरी तक नहीं जा सकता है, जब तक कि अस्पताल न जाना हो. सारे पब्लिक ट्रांसपोर्ट और दुकानें बंद कर दी गईं. 20 से ज्यादा लोगों के एक जगह जमा होने पर बैन लग गया. कोरोना संक्रमण की पक्की जांच के लिए यहां की Central Virology Laboratory ने एक नई तरह की टेस्ट किट बनाई, जिसे RT-PCR कहा जा रहा है. Tel Aviv University में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर Dr Khitam Muhsen के अनुसार ये प्रामाणिक नतीजे देती है, जिसके कारण यहां पर इलाज जल्दी शुरू हो सका.

कोरोना से इतर भी यहां पर सेहत को लेकर सरकार और लोग काफी जागरुक हैं

हालांकि मल्टी-कल्चरल देश होने के कारण यहां अलग तरह की मुश्किलें आईं. कई स्थानीय रिपोर्ट बताती हैं कि संक्रमित हुए मरीजों में आधे से ज्यादा वे हैं, जो ultra-Orthodox हैं. जैसे एक शहर Bnei Brak, जहां इन्हीं की आबादी ज्यादा है, वहां कोरोना संक्रमितों की संख्या दूसरे नंबर पर है, जबकि ये शहर आबादी के लिहाज से देश का सातवां शहर है. इसी तरह से जेरुशलम में भी ultra-Orthodox लोग बड़ी संख्या में बसे हुए हैं और यही शहर कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है. हालांकि इस तरह के डाटा आने के बाद से यहां हंगामा मचा हुआ है, जिसमें ultra-Orthodox समूह का कहना है कि उन्हें साजिश के तौर पर बीमारी फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

मजहब को लेकर कई दूसरी समस्याएं भी दिख रही हैं. जैसे यहां की बड़ी आबादी, जो कि यहूदी, मुस्लिम या कैथोलिक भी है, अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते लंबी दाढ़ी रखती है. ऐसे में मास्क लगाने पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यही वजह है कि देश मास्क की कमी से जूझने की बजाए, कस्टम मेड मास्क को लेकर जूझ रहा है. यहां की सरकार ने आश्वस्त भी किया है कि लोगों को दाढ़ी कटाने की जरूरत नहीं, वे नई तरह के मास्क बनवाएंगे जो दाढ़ी में भी उतने ही कारगर रहें.

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