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म्यूचुअल फंड्स की इन स्कीम्स में लगे ₹3.5 लाख करोड़ पर बड़ा खतरा! अब क्या करें निवेशक-Mutual Funds Investment in India 1000 debt papers up for maturity by Dec MFs have Rs 3-5 Lacs cr exposure | business – News in Hindi

नई दिल्ली. म्यूचुअल फंड हाउस (Mutual Funds Scheme) फ्रैंकलिन टेम्पलटन की ओर से स्कीम 6 डेट स्कीम बंद होने के बाद एमएफ स्कीम में पैसा लगाने वालों के लिए लगातार निगेटिव खबरें आ रही है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक,  अगले कुछ महीनों में करीब 1000 बॉन्ड मैच्योर (Bonds Maturity) होने वाले हैं. इनमें से कुछ सिक्योरिटी के मामले में डिफॉल्ट हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. क्योंकि इंडस्ट्री के पास 3.5 लाख करोड़ रुपये के डेट पेपर्स हैं, जो अगले आठ महीनों में मैच्योर होने वाले हैं. आने वाले समय में कुछ पेपर्स की रेटिंग घटाई जा सकती है, जिसका असर गंभीर होगा. इस पर एक्सपर्टस का कहना है कि निवेशकों को फिलहाल घबराना नहीं चाहिए. क्योंकि अभी उनके पास अपना पैसा निकालने के लिए लंबा समय है. मौजूदा समय में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स या फिर सरकारी स्कीम्स में पैसा लगाना बेहतर होगा.

क्या है मामला- अंग्रेजी के अखाबर इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, दिसंबर 2020 तक करीब 1000 बॉन्ड मैच्योर होने वाले हैं. इनमें से कुछ डिफॉल्ट हो सकता है. क्योंकि, कोरोना संकट की वजह से कई कंपनियों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है. ऐसे में कुछ पेपर्स की रेटिंग घटाई जा सकती है, जिसका असर गंभीर होगा.

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इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि AAA से कम रेटिंग पर जांच का शिकंजा कस सकता है. शीर्ष रेटिंग एजेंसियों के अनुसार, म्यूचुअल फंडों ने AAA और A1 से कम रेटिंग वाले पत्रों में 18,402 करोड़ रुपये का निवेश किया है.

म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) निवेश बाजार के जोखिम के अधीन हैं.

अगर आसान शब्दों में कहें तो रेटिंग एजेंसियां हर कंपनी के बॉन्ड को उसके मुनाफे और कर्ज़ चुकाने के हिसाब से रेटिंग देती है. अगर उन कंपनियों की वित्तीय हालत में कुछ भी बदलता है तो उनकी रेटिंग पर इसका असर होता. वहीं, अब कोरोना की वजह से सिम्पेल्क्स, हजारीबाग रांची एक्सप्रेसवे, डीएचएफएल और एसेल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों की रेटिंग पर असर हो सकता हैं.  इस पैसे पर डूबने की खतरा मंडरा रहा है.

इस डिफॉल्ट का सबसे बड़ा झटका म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को लग सकता है, क्योंकि इंडस्ट्री के पास 3.5 लाख करोड़ रुपये के डेट पेपर्स हैं, जो अगले आठ महीनों में मैच्योर होने वाले हैं. आने वाले समय में कुछ पेपर्स की रेटिंग घटाई जा सकती है, जिसका असर गंभीर होगा.

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वित्त वर्ष में तमाम सेक्टर्स के करीब 16 लाख करोड़ रुपये के डेट पत्रों में से करीब 50 फीसदी की रेटिंग घट सकती है, जिससे डिफॉल्ट का संकट बढ़ जाएगा.

सबसे बुरा असर पावर सेक्टर पर पड़ सकता है, जिसका डिफॉल्ट एसेंसी के अनुसार, 13 गुना तक बढ़ सकता है. ऑटो पार्ट, रियल एस्टेट, जेम और जूलरी, एयरलाइंस, मुर्गीपालन और मीट, टैक्सटाइल और निर्माण जैसे सेक्टर्स में कर्ज का जोखिम काफी अधिक है. इनके रेवेन्यू पर काफी बुरा असर पड़ने वाला है.

म्यूचुअल फंडों की अधिक जोखिम वाले इन डेट पत्रों में 27,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है. इसमें से ज्यादातर दिसंबर में मैच्योर होंगे.

म्यूचुअल में पैसा निकालने से जुड़ा जरूरी नियम बदला

अब क्या होगा-RBI ने म्यूचुअल फंड्स के लिए Special Liquidity Facility शुरू करने का ऐलान किया है. इससे अब फंड हाउस अपने बॉन्ड्स या अन्य पेपर बैंकों के पास रखकर पैसा ले सकते है. आपको बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंकों (RBI) ने म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) के​ लिए 50,000 करोड़ रुपये के लिक्विडिटी लाइन का ऐलान किया है. RBI ने यह कदम फ्रेंक्लिन टेम्पलटेन द्वारा 6 डेट फंड्स को हाल ही में बंद करने के बाद उठाया है.

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अब क्या करें निवेशक- एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने न्यूज18हिंदी को बताया जिन स्कीम्स का 60 फीसदी डेट मार्केट और 40 फीसदी इक्विटी में लगा है. वहां भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है. लेकिन ऐसे में निवेशकों को घबराना बिल्कुल नहीं चाहिए. बल्कि पैसा निकालकर अन्य जगह जैसे सरकार की छोटी सेविंग्स स्कीम्स या फिर बैंकों में एफडी करा सकते है. इसके अलावा शेयर बाजार में भी कुल रकम का 20 फीसदी निवेश कर सकते है.

लॉकडाउन की स्थिति में तेजी से निवेशक निकाल रहे है अपने पैसे
मार्च महीने में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से कुल 2.3 लाख करोड़ रुपये निकाला गया है. AMFI द्वारा हाल ही में जारी आंकड़े से यह जानकारी मिलती है. फरवरी में करीब 1,985 करोड़ रुपये की निकासी की गई थी. छोटी अवधि में पैसों की जरूरत पूरा करने के लिए कॉरपोरेट्स जिन लिक्विड फंड में पैसे रखते हैं, उस पर सबसे अधिक असर पड़ा है. मार्च महीने में इन्होंने 1.1 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं, जबकि फरवरी में 43,825 करोड़ रुपये की निकासी की गई थी.



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