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प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने पर दी गई याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार उठा रही है कदम-On Issue Of Migrant Workers Being Charged For Moving Back Home supreme court says govt is taking necceary step | nation – News in Hindi

प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने पर दी गई याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार उठा रही है कदम

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गयी कि लॉकडाउन की वजह से रास्तों में फंसे मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेलवे और राज्यों को उनकी मुफ्त यात्रा का बंदोबस्त करना चाहिए

नई दिल्ली. प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) से रेलवे की तरफ से लिए जा रहे किराए को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि इस संबंध में उन्हें अलग से आदेश देने की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस सिलसिले में केंद्र और राज्य सरकारें कदम उठा रही हैं. इस बीच सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि 7 मई से विदेश में फंसे लोगों को लाने का सिलसिला शुरू होगा.

क्या थी दलील
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि मजदूरों के लिए 15 फीसदी किराया देना भी मुश्किल चुनौती है. कई लोगों से हॉस्पिटल के सर्टिफिकेट भी मांगे जा रहे हैं जो कि गलत है. भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार को प्रवासी मजदूरों को लाने-ले जाने के तरीके और साधन उपलब्ध कराने चाहिए. सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए तुषार मेहता ने कहा कि सरकार नियमों के हिसाब से अपना काम कर रही है. इस केस की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल, अशोक भूषण और बीआर गवई कर रहे थे.

क्या थी मांग?सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गयी कि लॉकडाउन की वजह से रास्तों में फंसे मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेलवे और राज्यों को उनकी मुफ्त यात्रा का बंदोबस्त करना चाहिए. साथ ही उनसे कोई किराया नहीं वसूल जाए क्योंकि ये उनकी गलती का नतीजा नहीं है.

मुफ्त यात्रा की मांग
ये याचिका आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रभारी निदेशक जगदीप एस छोकर और वकील गौरव जैन ने दायक की थी. इसमें दलील दी गयी है कि इन कामगारों से अपने पैतृक गांव तक जाने के लिए ट्रेन और बसों का किराया नहीं लिया जाना चाहिए. हलफनामे में कहा गया है कि इन मजदूरों को ट्रेन के भाड़े के रूप में 800 रुपये तक देना पड़ रहा है जो पूरी तरह अनुचित है. इसमें इन कामगारों की कोई गलती नही है और इनके पास पैसा भी नहीं है, इसलिए रेलवे और राज्यों को इन्हें पहुंचाने के लिए मुफ्त यात्रा के इंतजाम करने चाहिए.

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First published: May 5, 2020, 1:19 PM IST



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