प्रवासी मजदूरों के साथ अमानवीयता का व्यवहार बंद करे केंद्र सरकार-आरपी शर्मा
विपक्षी दलों और विषय विशेषज्ञों से सलाह कर फैसला ले केंद्र सरकार
भिलाई। आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति और भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मृति प्रतिष्ठान रूआबांधा भिलाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ई-मेल कर देश भर के प्रवासी मजदूरों के साथ नियमों की आड़ में अमानवीय व्यवहार बंद करने की मांग की है। संस्थान ने इन मजदूरों से रेल किराया वसूले जाने और जनदबाव में फैसला वापस लिए जाने जैसे मामलों पर प्रधानमंत्री से दखल देने की मांग की है।
समिति के संयोजक और प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आर पी शर्मा ने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम प्रधानमंत्री कार्यालय ई-मेल कर कोरोना संक्रमण काल में सरकारी फैसलों में मानवीय रुख अपनाने का आग्रह करते हुए विपक्षी दलों और विषय विशेषज्ञों से सलाह कर जनता के अनुकूल फैसला लेने की मांग की है।
श्री शर्मा ने अपने ई-मेल पत्र में कहा है कि कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 40 दिन से देश का मजदूर वर्ग सड़क पर आ चुका है और पूरी तरह बदहाल हो चुका है। इन मजदूरों का पहले ही काम छिन चुका है और सरकारी राहत भी नहीं मिल रही है। ऐसे में देर से ही सही लेकिन केंद्र सरकार ने इन्हें लौटने की इजाजत दी है लेकिन नियमों को इतना ज्यादा जटिल बना दिया गया है कि औपचारिकताएं पूरी करने में ही मजदूर परेशान हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे मजदूरों से रेल का किराया वसूलने का फैसला पूरी तरह अमानवीय और अभद्र है। इस बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश भर में और राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के मजदूरों के लिए ट्रेन का किराया अपने-अपने राजनीतिक दलों की ओर से देने की घोषणा की, जो कि एक स्वागतयोग्य कदम है। इसका सीधा असर केंद्र सरकार पर हुआ और जनदबाव बढ़ता देख अंतत: केंद्र सरकार की ओर से स्पष्टीकरण जारी हुआ।
श्री शर्मा ने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार देश भर में फंसे मजदूरों से रेल टिकट का भाड़ा वसूलने जा रही थी, वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है। इस पूरे घटनाक्रम का दुखद पहलू यह है कि केंद्र सरकार ने अमीरों को विदेशों से विशेष विमान भेज कर स्वदेश बुला लिया लेकिन 40 दिन से भूखे-प्यासे बेरोजगार मजदूरों के लिए केंद्र सरकार तत्काल राहत घोषित नहीं कर पाई।
दूसरी तरफ करोड़ों रुपए सेना से फूल बिखरवाने और बैंड बजवाने पर खर्च कर दिए गए। वहीं डाक्टर अभी तक कोरोना से बचाव के उपकरणों के लिए तरस रहे हैं। श्री शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार इस संकटकाल में थोपने वाले फैसले न लें बल्कि लोकतांत्रिक ढंग से विपक्षी दलों व विषय विशेषज्ञों से सलाह कर फैसला लें। जिसमें पूरे देश की सम्मिलित भागीदारी नजर आए।