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Employers can cut the wages of employees who do not work on their own says bombay highcourt amidst lockdown due to coronavirus | एम्पलॉयर्स कानून के अनुसार उन कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर सकते हैं, जो अपनी मर्जी से काम पर नहीं आते – बॉम्बे हाईकोर्ट | maharashtra – News in Hindi

कोरोना संकट: अपनी मर्जी से काम पर नहीं आने वालों की सैलरी काट सकती हैं कंपनियां- बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद पीठ (Aurangabad bench ) ने ट्रेड यूनियनों और मजदूरों के प्रतिनिधियों को याचिका में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी है.

मुंबई. कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते लागू प्रतिबंधों से जिन क्षेत्रों को छूट दी गई है, वहां अगर कोई कर्मचारी अपनी मर्जी से काम पर नहीं आता है तो कंपनी उन कर्मचारियों का वेतन काट सकती हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट  (Bombay High Court) की औरंगाबाद पीठ (Aurangabad bench ) ने गुरुवार को यह बात कही. 

औरंगाबाद बेंच के जस्टिस रवींद्र वी. घुगे (Justice Ravindra V Ghuge) पांच मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें 29 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा जारी एक अधिसूचना को चुनौती दी. इसमें कहा गया था कि एम्पलॉयर्स लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए अपने कर्मचारियों को सैलरी दें जिसमें प्रवासी, कॉन्ट्रैक्ट बेसिस मजदूर, पूर्ण मासिक वेतन पाने वाले लोग शामिल हैं.

कंपनियों के वकील टीके. प्रभाकरन ने कहा कि चूंकि लॉकडाउन के कारण मैन्यूफैक्चरिंग काम बंद है और कई श्रमिक काम पर आने के इच्छुक नहीं थे, ऐसे में कंपनियां अपने कामगारों को तन्ख्वाह ना देने की छूट मांग रही थीं. मैन्यूफैक्चरर्स ने कहा कि वे न्यूनतम मजदूरी कानून के अनुसार सकल मजदूरी या मजदूरी की न्यूनतम दरों का 50 प्रतिशत, जो भी अधिक हो उसका भुगतान करेंगे.

केंद्र की ओर से पेश वकील डीजी नागोडे और वकील डीआर काले ने राज्य का पक्ष रखते हुए अधिकारियों से निर्देश लेने के लिए समय मांगा. जस्टिस घुगे ने इस तरह के एक मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित बताते हुए गृह मंत्रालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित
पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को समान दलीलों में कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी और सुनवाई स्थगित कर दी थी. इसके अलावा केरल हाईकोर्ट ने राज्य के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें राज्य कर्मचारियों को 50 प्रतिशत भुगतान की अनुमति दी गई थी.

जज ने कहा, ‘मैं गृह मंत्रालय के आदेश को रोकने का इच्छुक नहीं हूं और याचिकाकर्ताओं से अपेक्षा करूंगा कि कर्मचारियों को सकल मासिक वेतन का भुगतान करें, उन लोगों के मामले में जिन्हें काम पर आने की जरूरत नहीं है, उन्हें भत्ते छोड़कर महीने-दर-महीने के आधार पर भुगतान किया जाए.’

हालांकि अदालत ने यह भी कहा ‘इस तरह की घटना में कि जहां कर्मचारी स्वेच्छा से अनुपस्थित रहते हैं, प्रबंधन इस तरह की कार्रवाई शुरू करते समय उनकी अनुपस्थिति के चलते वेतन में कटौती करने के लिए स्वतंत्र होगा. यह उन क्षेत्रों पर भी लागू होगा जहां लॉकडाउन नहीं हुआ होगा.’

अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि महाराष्ट्र ने कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में आंशिक रूप से लॉकडाउन को हटा दिया है, इसलिए श्रमिकों से काम पर लौटने की उम्मीद की जाएगी. अदालत ने ट्रेड यूनियनों और मजदूरों के प्रतिनिधियों को याचिका में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी. इस मामले की अगली सुनवाई 18 मई को होगी.

यह भी पढ़ें: जालौन: महाराष्ट्र से आ रहे 1200 मजदूरों को पुलिस ने रोका, विरोध में नारेबाजी

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First published: May 2, 2020, 7:04 AM IST



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