आखिरी समय कब्र भी नहीं हो सकी नसीब, परिजनों ने हिंदू रीति रिवाज से की अंत्येष्टि there was no place in christian cemetry then family of a dead man cremate the body according to hindu rituals | ranchi – News in Hindi
मृतक का नाम राशरण टूटी है और वह पिछले 15 सालों से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है. (सांकेतिक फोटो)
रांची में कबिस्तान (Cemetry) में जगह नहीं होने के चलते परिजन ने श्मशान में ले जाकर मृतक का किया अंतिम संस्कार.
15 साल से ईसाई धर्म का पालन
जानकारी के अनुसार मृतक का नाम राशरण टूटी है और वह पिछले 15 सालों से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है. रामशरण के पुत्र फिलिप टूटी ने बताया कि हम सभी लोग पिछले कई सालों से नियमित संत फ्रांसिस चर्च जाते हैं. पिता के निधन के बाद चर्च के प्रितिनिधियों से संपर्क किया गया. चर्च के फादस से भी बात हुई. लेकिन फादर ने कहा कि कब्रिस्तान में जगह नहीं बची है. ऐसे में शव को अपने गांव ले जाओ और वहीं पर उनका अंतिम संस्कार करो.
लोगों से मांगो सहयोगजब फिलिप ने पिता के शव को अपने गांव फुदी ले जाने में असमर्थता जताई तो फादर ने स्थानीय लोगों से सहयोग मांगने को कहा. साथ ही दूसरा विकल्प तलाशने को कहा. बाद में परिवार और स्थानीय लोगों ने आपसी सहमति के साथ शव का अंतिम संस्कार हरमू मुक्तिधाम ले जाकर करने की बात कही. परिजन ने बाद में रामशरण के शव को हिंदू रीति रिवाज के साथ जला दिया.
कब्रिस्तान में देना होता है चंदा
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में चर्च के फादर से संपर्क नहीं हो सका. वहीं संत फ्रांसिस चर्च हरमू के सदस्य पी आईद ने बताया कि इस घटना की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. हालांकि अन्य लोगों ने बताया कि संत फ्रांसिस चर्च का नियम है कि हर परिवार को कब्रिस्तान में चंदा देना होता है. यदि चंदा नहीं दिया हो या फिर मृतक रांची के बाहर का हो, ऐसी स्थिति में चर्च प्रबंधन को शव दफनाने से रोक सकता है.
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First published: May 1, 2020, 9:03 AM IST